Sunday, July 12, 2015

भारत के गौरव को श्री नरेंद्र मोदी ने ठेस क्यूँ पहुंचाई ? 




























भारतीय इतिहास में शायद यह पहली घटना होगी जिसमे भारत के प्रधान मंत्री ने किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अकेले बैठ कर किसी दूसरे देश के प्रधान मंत्री का इंतज़ार किया हो। यह घटना भारतीय समाचार माध्यमो में देख कर मुझ जैसे एक साधारण भारतीय का सर शर्म से झुक गया । किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मैंने अपने भारत देश के प्रधान मंत्री को इतना लाचार नहीं देखा। शायद मैंने पहली बार अपने जीवन में किसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ( BRICS Sumit ) किसी दूसरे देश में (रूस ), 125 करोड़ भारतीयों का नेतृत्व करने वाले देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को कुर्सी पर अकेले बैठ कर दूसरी पड़ी खाली कुर्सी को निहारते हुए देखा । मेरा सर शर्म से झुक गया । 

शायद ऐसी ही हर उस भारतीय को शर्मिंदगी महसूस हुई होगी जिसने भी टी.वी चैनेलो पे देश के प्रधान मंत्री को सूट बूट पहने हुए अकेले एक कुर्सी पर बैठ कर दूसरी खाली  कुर्सी को निहारते हुए देखा होगा । और हद तो तब हुई जब उस खाली  कुर्सी पे बैठने वाला पडोसी देश के प्रधान मंत्री को सूट टाई पहने हुए , छाती फुलाकर,  तेज़ तेज़ कदमो से उस कमरे में आते हुए देखा । नवाज़ शरीफ़ अपनी मदमस्त चाल से अपनी कुर्सी की तरफ चलते हुए आगे बढ़ा और 125 करोड़ देशवासिओं का नेतृत्व करने वाले प्रधान मंत्री आगे बढ़ कर उनका स्वागत कर रहे थे । मेरा सर और मेरे ख्याल से हर भारतवासी का सर, जिसमे ज़रा सा भी राष्ट्र प्रेम है, शर्म से झुक गया होगा ।

आखिर, 56 इंच के सीने वाले , 125 करोड़ देशवासियो का नेतृत्व करने वाले श्री नरेंद्र मोदी जी: ऐसी कौन सी लाचारी थी, ऐसी किस चीज़ से हम शर्म सार थे जो किसी दूसरे देश में और वह भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आपको यह सब करने के लिए मज़बूर किया ? मेरे ख्याल से , मेरे जैसे स्वाभिमानी, हर भारतीय नागरिक के दिमाग में यह सवाल आया होगा : चलिए आपने यह सब  किस मज़बूरी से किया, किस लाचारी से किया , यह आप जाने और आपके साथ गए हुए साथी - संगत  जाने । लेकिन, हम भारतीयों को यह अधिकार तो है की अपने मतों  से चुने हुए प्रधान मंत्री से यह पूछे कि यह करने से भारत देश को किस चीज़ की उपलब्धि हुई ? आपकी इस दरियादिली से राष्ट्र का सम्मान तो गायब हो गया , लेकिन प्राप्त क्या हुआ ? यह भारत जैसे राष्ट्र को आपको अवश्य बताना चाहिए, यह मैं निवेदन कर रहा हूँ । हम जैसे भारतीयों को तो, लाल बहादुर शास्त्री के 1965 के वह फोटो और वादे याद हैं जिसमे पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष सर झुकाये है और शास्त्री जी सीना तान के चल रहे हैं ।          

1971 - 72 का शिमला समझौता याद है , जिसमे इंदिरा गांधी गर्व से अपना सर उठाये हुए हैं और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री जुल्फिकार खान भुट्टो सर झुका कर भारतीय शर्तो पर समझौते कर रहे हैं। या फिर , भारतीय प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की वह गरजती हुई आवाज़ याद, है जब कारगिल में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मज़बूर करते हुए उन्होंने कहा था - की पाकिस्तान को अपने किये की सज़ा भुगतनी होगी और उन्होंने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को मुँह के बल पटक के दिखाया था । हमें यह भी याद है की भारतीय प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने , पाकिस्तान के राष्ट्र पति परवेज़ मुशर्रफ को अपने राष्ट्र भारत में आने पर भारतीय परम्पराओं के अनुसार उनके स्वागत एवं सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। इस स्वागत सत्कार से हम भारतीयों ने बहुत गौरव शाली महसूस किया था । लेकिन , नरेंद्र मोदी जी - ध्यान से सुनिए , जैसे ही परवेज़ मुशर्रफ ने अनर्गल बातें करना शुरू की और ऊट पटांग शर्ते भारत के सामने रखी , तब उस समय के प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दो टूक शब्दों में इन् सारी  बातों को सिरे से नकार दिया था। और उस समय के तत्कालीन पाकिस्तान के राष्ट्र पति, परवेज़ मुशर्रफ को मुह छुपा कर भारत छोड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ा था ।  

कहाँ यह गौरवशाली परम्पराएँ, और कहाँ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत जैसे राष्ट्र के प्रधान मंत्री का अकेले  कुर्सी पर बैठ कर दूसरी खाली कुर्सी को निहारते हुए देखना एवं छाती फुलाकर लम्बे - लम्बे  डग भरते हुए नवाज़ शरीफ का स्वागत करते हुए देखना, मुझ जैसे अधनेय से भारतीय को शर्मसार  कर गया । तब उस भारतीय सैनिक पर क्या गुज़री होगी जो भारतीय सीमाओं पर किन्ही भी परिस्थितियों में 24 घंटे प्रहरी की तरह खड़ा है ?  या, उस सैनिक के परिवार वालों पर क्या गुज़री होगी , जिसके शव को  उसी दिन उसके घर लाया गया था , जो की पाकिस्तानी सैनिकों के द्वारा मारा गया था ? उस भारतीय किसान पर क्या गुज़री होगी, जो दिन और रात एक करके भारत के गौरव को बचाये रखने के लिए अन्न पैदा करता है ? उस भारतीय बेरोज़गार युवक पर क्या गुज़री होगी जो भूख से सोने को तो तैयार है , लेकिन भारत के गौरव से समझौता करने को तैयार नहीं है ? कृपया इस शर्मसार घटना से , इस भारत  जैसे गौरव शाली राष्ट्र को क्या मिला, बताने का कष्ठ करें । 


LUCKY BABA

Om Sai …… 


No comments:

Post a Comment