प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी अपनी उम्र कृपया कर रुपये को ना बताएं
आजकल भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी अजीब सी स्तिथि में है , समझ में नहीं आ रहा है कि यह कौन सा आकार ले रही है । बड़ी उम्मीदों से भारतीय जनमानस ने कई - कई सालो बाद भारत देश में फिर से एक स्थिर सरकार के लिए जनादेश दिया । शायद इस 125 करोड़ भारतवासियो के दिल - दिमाग में सयुंक्त सरकारों से विश्वास उठ गया था या फिर श्री नरेंद्र मोदी , जो आज कल देश के प्रधान मंत्री हैं, के लोक - लुभावन नारो से प्रभावित हो गए थे । ऊपर से उस समय प्रधान मंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी जी का जन - मानस की दुखती हुई नस को पकड़ लेना एवं प्रचार - प्रसार के माध्यम से इतना प्रचारित कर देना की 125 करोड़ भारतवासियो को नरेंद्र मोदी के कहे हुए वाक्यों में भारत देश का भविष्य एवं उनके अच्छे दिन आ जायेंगे , पूर्ण होता हुआ दिखाई देने लगा था । उस समय श्री नरेंद्र मोदी अपने प्रचार - प्रसार में अति लोक - लुभावन नारो के साथ एक लोक - लुभावन नारा जो की भारत की स्मिता (इज़्ज़त) से जुड़ा हुआ था देना नहीं भूलते थे और वह था भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य सूत्रधार रुपये का लगातार अवमूल्य या अपनी स्तिथि से कमज़ोर हो जाना ।
चूँकि उस समय देश के प्रधान मंत्री एक अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जी थे, इसीलिए इस गिरते हुए रुपये की साख पर उनका यह नारा कि रूपया कही मनमोहन सिंह जी की उम्र के बराबर न हो जाए , लोगो के दिल दिमाग को छू गया था । चूँकि, विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी के बाद उभर रही थी , इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय विनिमय (व्यापार) में बहुत तेज़ गति आ गई थी। चूँकि अमेरिकन डॉलर (रूपया) मुद्रा की विश्व की मान्यता प्राप्त मुद्राओं में से एक है , भारत देश अपनी कई व्यापारिक एवं सामाजिक कमज़ोरियों से जूझता हुआ आगे बढ़ रहा था, व्यापार के नए आयाम तलाश रहा था , अमेरिका अपनी मंदी से उभर रहा था , तो यह स्तिथि तो निर्मित होनी ही थी जिसका , भरपूर फायदा उस समय के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार श्रीं नरेंद्र मोदी ने इन परिस्थितियों को अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी की नीतियों की विफलता बता कर देश के मान - सम्मान से जोड़ कर उनका मजाक उड़ाते हुए ज्यादातर चुनावी सभा में कहते थे की रूपया जो की उस समय 63 - 64 रुपये के आस - पास पंहुचा था कही मनमोहन सिंह जी की उम्र को लाँघ ना जाये ।
इससे प्रभावित होकर भारत के 125 करोड़ नागरिको के मान - सम्मान और इज़्ज़त को आप बचा लेंगे , मान कर आपको पूर्ण बहुमत की सरकार दी । और यह माना था की आप भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल कारक रुपये को अपनी उम्र से तो ज़्यादा नहीं जाने देंगे और उसके मान - सम्मान को बचा लेंगे । जबकि उस समय crude oil (petrol) का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 115 डॉलर था जो अब 50 डॉलर के नीचे आ चुका है। Gold : 1880 डॉलर के ऊपर था जिसका मूल्य अब 1100 डॉलर के नीचे आ चूका है । इसी प्रकार जिन - जिन चीज़ो का अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार एवं व्यापार से सम्बन्ध था उन सभी का मूल्य 50 प्रतिशत से ऊपर गिर चुका है। कहने का तात्पर्य यह है की , भारत को अपनी व्यापारिक गतिविधियों के लिए जो - जो चीज़े आयत करनी है (मांगनी है) वह सभी करीब - करीब आधे कीमत की हो गई है । यानि की कम डॉलर में ज़्यादा सामान ।
उसके बावजूद 125 करोड़ भारतीयों का मान - सम्मान एवं अर्थव्यवस्था का मूल कारक रुपया , डॉलर की तुलना में (अमेरिकी मुद्रा) भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आयु को छूने का प्रयास क्यों कर रहा है ? और इस देश के 56 इंची सीने वाले प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी खामोश क्यों है ? वह इस रुपये को समझा - बुझा कर इसे इसके मूल्य से गिरने से रोक क्यों नहीं रहे है ? प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आप जानो , रुपये की जिद्द जाने , आपका 56 इंची सीना जाने , आपकी बनाई हुई अर्थव्यवस्था की नीतियाँ जाने, मैं तो सिर्फ 125 करोड़ भारतवासियो में से एक नागरिक आपसे एक निवेदन करूँगा की इस भारत देश के रुपये के गिरते उए मूल्य को रोक कर भारतीयों के मान - सम्मान को बचाने का कष्ट करे ।
आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी , रूपया 64 के पार हो चुका है, कृपया कर इसे अपनी उम्र ना बताये ।
LUCKY BABA
Om Sai....
Om Sai....


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