Monday, December 3, 2012

                                             दर्द 

ग़ैरों से भला मुझे क्या गिला, पत्थर पे सर पटके हैं मैंने 
मेरे अपनों ने ही दिये ये दर्द हैं फूलो से मेनें जख्म खाए हैं
                                                 ये अपने मुझे हद तक तो तोड़ देते हैं देकर कोई शब्दों का ज़ख्म                                                                      कई कई बार सन्न रह जाता हूँ मेरे अपनों के शब्दों के तीर खाकर
वो भला क्या जाने और क्यू जाने मेरे इस अथाह दर्द को
दर्द देकर मुझे,सताने के बाद रुलाने की आदत पड़ गई हो जिनको  

                                                है इंतहा इस बात की कि दर्द भी दिये मेरे अपनों ने और दर्द भी मेरे अपने हैं                                                       उसकी इस इंतहा तक की नादानी को जी रहा हूँ में,इस दर्द को पी रहा हूँ में  

हर बात बिगाड़ कर अपनी मुझपे वो तोहमत लगा देते है 
खुश हूँ में इस बात पर की वो कुछ तो सजा देते है

                                               मुझे सताने का उनका अंदाज ही निराला हैं वो खुद को दर्द देते हैं             
                                               दर्द से हम जब परेशा हो न जाने क्यूँ इठलानेऔर इतराने लगते है    
                                                                                                                         


बाबा लकी 

Saturday, November 24, 2012

                                                         नरेंद्र मोदी की शेर की सवारी
भरतीय राजनीति में आज कल सबसे चर्चित नामो में से एक है नरेंद्र मोदी ये नाम पिछले दस बारह सालो में जिस तेजी से आगेआया वो भी कम दिल चस्प नही है कई लोग इसकी वजह नरेंद्र मोदी के भाग्य को देते है कई लोग उनकी कार्य शेली को कई लोग उनके मीडिया मेनेजमेंट को कई लोगो का मानना की किसी भी कार्य को करने से जादा उसके श्रेय को अर्जित करने की कला में मोदी आज के राजनितिक परिद्रश्य में सबसे प्रमुख राजनेता माने जाते है मोदी की कार्य शेली अहंकारी भी प्रतीत होती है जिससे भी कई नेतावो को तकलीफ होती है जिसका उपयोग मोदी कई बार मंच पर बेठे नेतावो के स्वाभिमान को बिना कुझ बोले परेशान करने में करते   है इस लिए भी मोदी अपनों के बीच में भी कुछ कुछ  अहंकारी दिखाई देते हैं मोदी मंच हो या फिर केमरा लोगो को असहज कर देते है उन पर प्रतिक्रिया जरुर आती हैं मोदी के कुरते पयजामे भी आम नेतावो से अलग होते है कहने का मतलब ये है की वो आम नेतावो में अपने को खाश या फिर अपनी अलग पहचान के साथ दिखाई देने में जादा सुकून महसूस करते है ओर उनकी ये सारी हरकते उनके समकक्झ नेतावो में एक विशेष प्रकार का द्वेष उनके प्रति पैदा कर देती है उस पे सोने में सुहागा उनके भाषण  देने का अंदाज, वो म्रदु भाषी होने में भी  अपने आत्म सम्मान को पूरी ताकत से बचाकर मंच में बेठे अपने किसी भी सम्कक्छ  नेता के ऊपर कटाक्झ देने से नही चूकते और अगर वो अकेले ही मंच में हैउनके समकक्झ का कोई नेता उनकी पार्टी का नही है तो विरोधी दल के नेतावो की नक़ल करने और उनका मजाक उड़ाने में उनको विशेष आनद आता हैं मोदी ने अपनी इस तरह की ब्राड इमेज खुद बड़ी मेहनत से बनाई हैंये वो इमेज है जिसे अब मोदी को खुद संम्भाल ना होगां याँ यूँ कहें की मोदी ने खुद अपनी सवारी शेर की चुनी हैं और जब उन्होंने ही खुद शेर को चुना है तो मेरा ये   मानना हैं की मोदी को इसके परिणाम भी पता हगें !में जितना शेर की सवारी के बारे में जानता हूँ या अब तक इस कहावत को जितना समझ पाया हूँ वो ये हैं की अब शेर को चलावो और फिर चलावो जब तक आप इसको चलावोगे तब तक आप का कोई शानी नही आप एक साह्शी और सफल इंसान है सब आपके रोब और रूतबे की कद्र करते है विरोधी भी आपको सम्मान देते है किन्तुं जिस दिन आप इससे उतरे उस दिन ये भूखा शेर सबसे पहले आपको खाने का प्रयास करता हैं या फिर छोटी सी भूल भी आपको उसके पेट में पहुचा देती हैं कहने का मतलब ये है की सत्ता रुपी शेर को मोदी जी अब आप चलाते रहिये आपकी परीझा की घड़ी काफी पास आ गई हैं इस शेर को चलाने में आप को जो भी कसरत करनी है वो करिए लेकिन ध्यान रखिये कसरत आपको शेर के ऊपर बेठ के ही करनी हैं जरा सी चूक आपकी आपको अपने ही शेर के भूक को  शांत करने के काम आ जायेगी इस कहावत को पढ़ा सुना तो कई बार था लेकिन वो मजा नही आता था या यूँ कहे की इसका उपियोग जिन लोगो से मेनें सूना उसमे शेर तक तो ठीक लगता था किन्तुं शेर चलाने वाला ना जाने क्यूँ मुझे ठीक नही लगता था इसीलिये ये कहावत मेरे लिए बेमानी साबित होती थी शायद दिमाग में कही बेठा होगा की शेर चलाने वाले में कुझ खाश गुड होने चाहिएऔर उसमे सबसे पहला गुण ये होना चाहिए की ये निर्णय वो खुद ले और लेने के बाद किसी की परवाह ना करे कुझ कुझ आपमें वो गुण दिखे तो बस लिखने का मन बन गया और लिख दिया !शेर के शवार में एक गुण ना जाने कहाँ से आ जातां हैं और वो गुण होतां हैं की वो सबसे ऊपर है उसकी योग्यता का कोई भी इन्शान नही है अगर वो किसी को सम्मान देता है तो समझो की उसपे बड़ा भारी अह्शान कर रहा है और जिस को सम्मान मिला है ऐसा लगता हैं जेसे उसको पहले से ये हिदायत दे दी जाती है की इस सम्मान के एवज में अब तुमको जीवन भर इस शेर के सवार की तारीफ़ करनी हैं क्रतग्य रहना है जाहिर हैं की शेर के सवार की क्या इस्तिती होगीं इसी अवस्थां में वो अपने आपको सर्वप्रमुख मानने लगता हैं इस कार्य में धीरे धीरे वो अपने चारो तरफ चाटुकारों का समूह बना लेता हैं ये चाटुकार हमेशा इस बात का ध्यान रखते है की सवार की कार्य प्रणाली से लेकर उनके चलने बेठने तक की सभी लोग तारीफ करते वक्त इस बात का ध्यान रखे की ये विशेषता सिर्फ शेर के सवार में ही हैं और जिस किसी में अगर है भी तो वो शेर के सवार की नकल हैंऔर इस में उनको तथा उनके समर्थको को विशेष आनदं आता हैं   इस तरह शेर सवार  {मोदी}अपनी तथा विरोधी पार्टीयो में एक अह्कारीं नेता के रूप में जाने जाते है ये इस्थिति जब तक आप सफल है सत्ता में है  तब तक तो लोगआप का लिहाज करते है  सम्मान में खड़े होते है चाटुकारों की फोज हमेशा आपके अहंकार को बढाने में लगी रहती है ये वो फोज है जिसने नजाने कितने लायक और समझदार शासको को धीरे धीरे निकम्मा बना दिया हैं ! मोदी जी एक और गुण अहकारीं शासक में देखा जाता है और वो मेरे ख़याल से ये है की वो हमेशा अपने को विरोधी खेमे के सर्व प्रमुख के बराबर का मानता है वो लड़ाई कोई भी लड़ रहा हो उसमे विरोधी दल का मुखिया हो या ना हो लेकिन वो अह्कारं में बार बार विरोधी दल के मुखिया को ललकारते हुए दिखता है शायद वो अपने अहकार की वजह से ऐसा हो या फिर हो सकता है की चाटुकारों की सलाह से ऐसा करता हो लेकिन होता ऐसा ही है ऐसी इस्थिती अह्कारी शासक के लिए बड़ी ही हास्यपद हो जाती है मेरे ख़याल से इस इस्थिति से बचना चाहिए ख़ास कर आप को जब ये पता हो की विरोधी दल के प्रमुख के लिए दुएम दर्जे से भी निचे का युद्द हैं ! बल्कि में तो ये कहुगां की ऐसे युद्द का अगर आपको अहशास भी हो जाए तो किसी तरह से अपने को झोकने की बजाय अपने किसी समकक्झ के नेता को मैदान में उतार देना चाहिए और खुद को रणनीतिकार के रूप में लाना चाहिए इससे कई फायदे होते है आपकी साख बची रहती है आप विरोधी दल के नेता के समकक्झ के नेता के बराबर के माने जाने लगते हो और अगर हार भी गए तो सीधे आपको को कोई दोष नहीं देता है याने की अगर शेर के ऊपर से गिर भी गए तो शेर के मूह में जाने से बच  जाते हो और अगर जीत गए तो आपका कद बहुत बढ जाता हैं और आप स्वमेव विरोधी दल के नेता के समकक्झ आ जाते हो याने बिना किसी भय के शेर को चलाने के मास्टर माने जाने लगते हो !ये सब तो मेरे दिमाग की उपज मात्र है आप शेर की सवारी कर रहे है आप मुझ से बेहतर समझते है भगवान से तो में येही दुआ करूगां की बड़ी मुश्किल से तो शेर का सवार मिला है ना मंजिल तक सही कुझ दूर तक तो इसे किसी भी हालत में शेर की सवारी करने दी जाए
.............................................................बाबा लकी          

















Friday, November 23, 2012

                                   पैरों की आहट 

मेरा तेरे पेरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने  की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
वो तेरे सुन्दरं से पैरो का जरूरत से भी ज्यादा सुन्दरं होना
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करना तेरी खामोशी से निहारने की अदा
अगूठे से जमी को कुरेदना और मासूमियत से मुझे निहारने की अदा
किस लिए है और क्यूँ है तेरे इस तरह बला के हसीन पैर
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करने  से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुस्कुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
                                  बड़ी खूब सूरती से पैरो को छूपाने की और कभी दिखाने की अदा                            
                                  तेरे पेरो को देखते वक्त मेरी निगाहोंको पढने की तेरी मासूम सीअदा
                                  न जाने क्यूं मेरी किसी भी ख़ामोशी पे वो तेरे  पैर हिलाना की अदा
                                 मेरा धीरे से  थोड़ा सा मुशकुराना तेरा जोर से खिल खिलाने की अदा
                                 मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
                                   धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
तेरे  सजने सवरने में पैरो को, बड़े ही करीने से सजाने की अदा
मेरे कुछ न बोलने पर तमतमा के बारबार मुझे देखने की अदा
जरा सी मेरी तारीफ़ में वो जी भर के मुझ से लिपटने की अदा
मेरा घबराके सहमना तेरा मुझ से इतराके के लिपटना की अदा
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की की अदा
                                  बड़ी खूब थी तेरी पुरानी वो यादे उन यादो को सुनाने की तेरी वो अदा
                                   किसी के आ जाने पे वो आ गया कहके तेरे खामोश हो जाने की वो अदा
                                  खामोशी में आखे झुकाकर धीरे से उसे देख कर मुश्कुराने की तेरी वो अदा
                                किस कदर खामोश हो जाया करती थी तू उसके आने भर की आह्ट  से
                                   जाते ही उसके पैरो को पटके जमी पे वो जोर से ठहांका लगाने की अदा
                                   मेरी तेरे पैरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने ने  की वो खामोश अदा 
                                    धीरे धीरे  मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा                                      
                                 
         बाबा लकी                                    
















                    
                                

Sunday, November 11, 2012

                                  हर पल न जाने क्यू मुझे फिर याद आ रहा है

                                  बीते हुए पलो मे क्याअब भी कुझ बचा है

                                                        किस से कहूँ की किस कदर दिल है मेरा दुखा

                                                        दिल बचाता हूँ अगर में,तो सासें रूकती है मेरी   

                                 सासें समेट कर न जाने क्यूँ जीये जा रहा हूँ में  

                                 हर पल न जाने क्यू मुझे फिर याद आ रहा है 

                                                        बीते हुए पलो में क्या अब भी कुझ बचा है  

                                                        दुखता है दिल मेरा और यादे भी कम नही है

                                 क्या करूगां में भला यादो को उनकी संजो कर 

                                 यादे सताती है उनकी और दिल है मेरा रोता 

                                                        पलो को बचाने की जिद में बरस खो गया है मेरा 

                                                        हर पल न जाने मुझे क्यूँ फिर याद आ रहा हैं 

                                बीते हुए पलो में क्या अब भी कुझ बचा है  
  

Friday, November 9, 2012

16 नवम्बर 2012 से 15 दिसम्बर 2012 तक लग्न की स्थिथि एवं भविष्य 

आने वाली 17/11/2012से दिन की शुरुवात वृश्चिक राशि की लग्न से होगी जो की मूल रूप से मंगल की राशी है यहाँ पर सूर्य 16/11/2012 को शाम को लगभग 5बजकर 8 मिनट पे पहुचेगा !सूर्य अभी तुला राशि में  जहाँ है, उन्हें भारतीय ज्योतिष में नीच का या फिर कमजोर सूर्य माना जाता है।  मंगल से सूर्य मैत्री भाव रखता है इसलिए वर्शचिक राशि में सूर्य को अच्छा माना जाता है इस लिहाज से वृश्चिक लग्न से दिन की शुरुवात अच्छी मानी जायेगी, लेकिन मेरे अनुसार मंगल सघर्ष,रक्त और भूमि का भी प्रतीक है सूर्य के मंगल की राशि में होने से इन तीनो जगह असर भी ज़्यादा  होगा ,ये एक महीना घटनावो का रहने की उम्मीद है, जिसमे राजनीतिक उठा पठक से लेकर सामाजिक, आर्थिक ,आन्दोलनो का डर  रहेगा। 

सूर्य यहाँ 15 दिसंबर तक रहेगा इन घटनावो के घटने की एक वजह में और मानता हूँ और वो ये है की वृश्चिक राशि में राहू पहले से विराजित है और में राहू तथा सूर्य की युति को ठीक नही मानता हूँ, ऊपर से दिन के लग्न की शुरुवात !सूर्य को शासक का मुखिया भी माना जाता है इस वजह से मेरा मानना है की ये एक महीना भारत सरकार और प्रदेश सरकारों के लिए संघर्ष एवं चुनौती  के रहेगे, इसमें सरकार के अस्थिर होने की भी कई बार सम्भावनाये  बनेगीं !ये युति सरकार एवं विपक्ष दोनों को ही कटघरे में खड़ा करेगी हाँ यहाँ एक बात जरुर काम करेगी और वो ये है की जिस भी मुखिया की कुंडली में गुरु और राहू अच्छी स्थिति में होगे वो स्थिति को संभाल लेगे क्योकि लग्न पे गुरु की शुभ द्रष्टि पड़ रही है ! 

शुक्र शनी और बुध की युति बारहवे भाव में होगी, में शुक्र और बुध की युति को भी ठीक नही मानता हूँ।  मेरे विचार से ये सामाजिक  कुव्यवस्था  एवं व्यशन को बहुत बडाता है बलात्कार  जेसी घटनाए भी  बढ़ेगी। चुकी ये युति बारहवे घर में है जिसे अच्छा नही माना जाता है, इसलिए हो सकता है की कोई सम्मानित व्यक्ति इसमें न फस जाए ! 

शनी उच्च का है एव शुक्र के साथ हैये युति में ठीक मानता हूँ इस वजह से औद्योगिक विकास में सुधार होगा तथा गती पकड़ेगा ! 

मंगल धनु राशी में है और धन भव में है इसलिए जमीन जायजाद के कार्यो में गती आ जायेगी ! केतू दिन की कुंडली के लग्न के अनुसार सप्तम भाव में है जो लग्न को सीधे देख रहा है जिससे धार्मिक माहोल बढेगा एवं किसी प्रकार की दुर्घटना, वाहन या भगदड़ से हो सकती है ! जो लोग काल सर्प योग मानते मानते है उनके हिसाब से पूरे महीने काल सर्प योग रहेगा, कभी आंशिक और कभी पूर्ण ! 

गुरु और सूर्य के द्रष्टी संबंध होने की वजह से ब्याज दरो में कमी आने की पूर्ण सम्भावना हैं, शनी की तीसरी द्रष्टि मंगल में होने की वजह से किसी भी प्रकार के इर्धन  - पेट्रोल, डीजल, रसोई गेस आदि में राहत की पूर्ण संभावना है। 


Lucky Baba
Om Sai....      

Thursday, November 8, 2012

                                               सपने 

                       न जाने क्यों मेरे सपने अक्सर  टूट जाते है
                       क्यों मेरे अपने अक्सर मुझ से रूठ जाते है
                                                                 
                                                                       मेरे दिल से पूछो कितना मुश्किल होता है रूठो को मनाना
                                                                       मुझ से पूछो की न मुमकिन होता है सपनों को सजाना
                     
                       क्या बताये की तुम्हे भाग्य ही मेरा कुछ ऐसा है
                       मेरे सपनों ने जो भी सजाया भाग्य ने उसे गवाया है
                                                                     
                                                                       मुझे हरदम मिलने की ख़ुशी से पहले खोने का डर रहता है
                                                                       कहा तो वो मिलते ही नही और मुझे बिछड़ने का डर रहता है
                     
                       इस सब पर हद ये है की अपने ही सपने रोज सजाता हू में
                       उधर वो बेखबर है मुझ से फिर भी सपने रोज सजाता ह में
                                                                     
                                                                       इस साजिश और मतलब की दुनिया में दिल पे दिमाग भरी है
                                                                       उस बेदरद की दुनिया में मेरे दिल पे उसका दिमाग भारी है
                                                                                                                                               
                                                                                                                                                   बाबा लकी
                               

Monday, October 29, 2012

                                                वक़्त 


                                         तू ऐसे पल का मिला हुआ मेरे वक़्त  का वो हिस्सा  है                                                                                                                                                                                                     

                                         की जिसे न में संभाल सकता हु और न ही तू फेक सकती है

                                         एक पल तो तेरे बिन मेरा कटता नही

                                         ये शर्त मैंने ही रखी थी की मुझे ज़िन्दगी युही बितानी है

                                         हर पल तो तेरी यादो के सहारे में जी रहा हु

                                         ये शर्त भी मेरी ही थी की किसी को कुछ  बताना भी नही है

                                         बड़ा मुश्किल हो रहा है ये अब मेरे ही  लिए

                                         मुझे खुद को  मेरी ही शर्तो से तुझे अपना बना पाने के लिए

                                         तू ऐसे पल का मिला हुआ मेरे वक़्त  का वो हिस्सा  है

                                         जिसे न  में सम्भाल सकता हु और ना ही तू फेक सकती है
                                                                          
                                         मुझे देख रिश्तो की भीड़ में भी किसी अपने को ढूढ़ता हूँ
                                     
                                         और एक तू है की मुझे देख भीड़ में ही कही खो जाती है
                                       
                                         ये देख तू की किसी अपने के लिए कोई किस तरह परेशा होता है
                                     
                                         परेशा मुझे देख न जाने क्यों तू उसकी बाहों में सिमट जाती है
                                       
                                         ये तो तय है की तू भी मेरे लिये कुछ न कुछ तो  परेशा होगीं

                                         बाहे जरुर किसी तेरे अपने की होगीं लेकिन महक मेरी ही तेरी सांसो में होगीं
                                       
                                         तू ऐसे पल का मिला हुआ मेरे वक्त का वो हिस्सा है
                                       
                                         जिसे न में सम्भाल सकता हूँ  न ही तू फेक सकती है
                                       
                                         मुझ से ज्यादा कौन  ये जानता है की आदत है तेरी भूल जाने की

                                         में भी तो एक अहसास हूँ तेरा ही की, तू मुझे भूल के भी न भूल पायेगी
                                       
                                         इधर मेरी कोशिश है की तेरी यादो से तुझे अपना बनाने की
                                       
                                         तू कोशिश उधर कर मुझे अपने दिलो दिमाग से भुलाने की
                                     
                                         तू ऐसे पल का मिला हुआ मेरे वक्त का वो हिस्सा हैं
                                     
                                         जिसे न में संभाल सकता हू और न ही तू फेक सकती है




















Thursday, October 18, 2012

                                        

                                            यादें 


                           में यू ही एक बेतरतीब तन्हा सा इंसान हूँ
                               
                                        जो बस यूं ही तेरे इंतज़ार में जीये जा रहा हू
                                 
                                        न जाने किस ने है मेरा दिल चुराया
                                 
                                        न जाने किस के इंतज़ार में जीये जा रहा हूँ   
                                   
                                        बहुत कोशिश की  कि मेने तुझे भूलाने की
                                     
                                       और तू है की  शायद तूने भी जिद कर ली है    
                                  
                                        मेरे ख्वाबो मेरे दिलो दिमाग से न जाने की 
                                       
                                        में यू ही एक बेतरतीब तन्हा सा इंसान हूँ
                                       
                                       जो बस यूं ही तेरे इंतज़ार में जीये जा  रहा हूँ
                                     
                                        तेरी किस अदा को है की में भूलू
                                       
                                        की मेरी हर अदा में तो  है तू शामिल

                                         बड़ा मुश्किल है की तुझे भूल पाना

                                        न भूल के भी तुझे पाने के लिए जिये जा रहा हूँ

                                        में यू ही एक बेतरतीब तन्हा सा इंसान हू

                                        जो बस यू ही तेरे इंतज़ार में जिये जा रहा हूँ

                                        क्या तूने कसम खाई है मुझे मिटाने की

                                        मुझे देख की मिटके भी जिये जा रहा हूँ

                                        तुझे हर ख़ुशी मिले इस जमाने की

                                        में हू की हर दर्द और  गम पिये जा रहा हूँ

                                        में यूं ही एक बेतरतीब तन्हा सा इंसान हूँ

                                        जो बस यूं ही तेरे इंतज़ार में जिए जा रहा हूँ

                                         तेरी दी हूई यादो को रोज़ में पीता हूँ

                                         इसी नशे के शुरुर में रोज़ जीता हूँ में

                                         तू इठलाले  ही  भले की तेरी ये जीत है   

                                         लेकिन ये सच है की में हार के भी जिए जा रहा हूँ

                                         में यूं ही एक बेतातीब तन्हा सा इंसान हूँ

                                         जो बस यू ही इंतज़ार में जिए जा रहा हूँ

                                       

 








       

Sunday, October 7, 2012

अन्ना एवं अरविन्द केजरीवाल कहीं                      

        कोई नयी साजिश तो नहीं     

आज के राजनीतिक परिद्रश्य को अगर आम आदमी की निगाह से देखे या फिर उस के मन को टटोले तो शायद प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का सबसे प्रमुख हिस्सा सबसे ज्यादा असमंजस या यू कहे की अंतर पीड़ा में है सबसे ज्यादा उसी का मन दुखी है वह सबसे प्रमुख होकर सबसे ज्यादा लाचार महसूस कर रहा है इस व्यवस्था में मुझे जहा तक लगता है की आम आदमी अपने को सबसे ज्यादा  मजबूर समझने लगा है उसकी मजबूरी ये है की उसे खुद के द्वारा अपने एवम अपनों के लिये शासक तलाशने पड़ते है  और वो भी पाच साल के लिए ! भारतीय प्रजातंत्र प्रमुख पार्टियों पर निर्भर करता है जिनकी साख लगातार गिरती जा रही है लेकिन उस का भी इलाज उन्होंने निकाल लिया है जिसका नाम करण उन्होंने कोलेशन गोरमेन्ट के रूप में किया है इस व्यवस्था से तो और भी विकृती आ गई इसमें तिकडमीयो की पौ  बारह हो गई है खैर इस सब पर आपन बाद में किसी भी दिन बात करेगे ये काफी लम्बा विषय है ! हाँ यहाँ में ये जरुर कहुगा की इस व्यवस्था ने कुछ अलग अलग फील्ड के महारथियों को सत्ता के सर्वोच्च सुखो को भोगने या पाने का रास्ता सुझा दिया है ये चूँकि महारथी है इसलिए इनकी चाल आसानी से आम आदमी नही समझ पाता है ये मूल रूप से धूर्त होते है या ज्ञानी होते है या फिर बहुत चालाक ये भी ऐक शोध का विषय है ! इनके काम करने की शुरुआत पूर्ण तैयारी से होती है ये भारतीय जनमानस की मनह स्तिथि को पहले अच्छे से समझते है उसकी खामियों को एवमं राजनीतक खामियों को समझते है कोई ज्वलंत मुद्दा ढूँढ़ते है फिर सादगी का आवरण ओढ़ते है जिससे ये अपने को आम आदमी में आम बनकर ज्ञानी साबित कर देते है और अगर ज्यादा समझदार हुए तो एक ब्राड नेम ढूड लेते है जिसकी कुछ खुबिया होनी चाहिए जैसे की साधारण दिखना समाज में उसके द्वारा किये किसी भी छेत्र में विशेष कार्य अगर सामाजिक छेत्र में किये है तो सोने में सुहागा थोड़ा उम्रदराज़ है तो फिर क्या कहना !  मुझे जहां तक लगता है की ये मनुष्य की आम मानसिकता के सिद्धांत का भी पालन करते है आम मानसिकता में किसी भी मनुष्य को प्रसिद्धी की बड़ी भूख होती है ये बड़ी सफाई से उसे समझाते होगे की आप ही अब देश को बचा सकते हो अब देश को आपकी सख्त जरूरत है आप बाहर न निकले तो अनर्थ हो जायेगा आप जेसा कहेगे हम वैसा ही करेगे आप की हां की ज़रूरत है हमारे पास पूरी तेयारी है टीम भी है आपके अनुसार काम करने के लिए देश हमेशा आपको याद रखेगा ब्राड नेम प्रसिद्धी की मानसिक्ता के सिद्धांत का पालन करते हुए यस कह देता है बिना यह विचार किये की ऐक बार यस कहने के बाद उसकी साख दाव  में लग जाएगी ! शुरू शुरू में सब कुछ देश प्रेम पर आधारित होता है टीम और ब्राण्ड नेम दोनों खुश रहते है यही सभी प्रकार के मीडिया इनको साथ देने के लिए आगे आने लगते है कुछ तो पैकेज के द्वारा मेनेज होते है कुछ टी आर पी के चक्कर में मजबूर हो के कुझ ज्वलंत विषय होने की वजह से बहर हाल इनका काम जैसे तैसे चल निकलता है देश की जानता यही समझती है की अब सब ठीक हो जाएगा यही से ये महारथी देश प्रेम के साथ अपने स्वार्थ को साधना चालु करते है इनकी पूरी कोशिश रहती है की किसी भी हाल में हल ना निकल पाए और पूरे देश को बताते रहेगे की हम तो देश के लिए हल लिए बैठे है हमारे हल से ही देश ऐक रात में राम राज्य में बदल जाएगा आम आदमी तो आम है और वो इन ज्ञानी की भी मान लेता है की देखो सब कुझ छोड़ के देश के लिए क्या नही कर रहे है!                    
अब में आप को इसी प्रकार के परिद्रश्य के बारे में बताता हूँ पिछले एक डेढ़ साल से हमारे देश में भी कुछ इसी प्रकार से चल रहा है बस फर्क है तो इतना की यहाँ दो महारथी एक साथ मैदान में कूद गए पता नही देश की ग्रह दशा का चक्कर है या फिर वाकई में राम राज्य आके रहेगा भगवान राम से ही इस विनती है की राम राज्य आ जाए तो बड़ा अच्छा हो जाएगा इसके बारे में सूना बहुत है अनुभव भी हो जाए तो क्या कहना  राम भगवान को क्या कहे त्रेतायुग में सब कर के चले गये उन्हें क्या पता था की कलयुग में लकी बाबा पैदा होगे अब तो वो इन महारथियों के द्वारा ही कलयुग में राम राज्य दिखा सकते है हाँ एक इच्छा बीच में बड़ी हो गई थी करीबन दस  बारह  साल पहले वो भी ऐसे ही महारथियों के चक्कर में अयोध्या में राम जन्म भूमि पे भगवान राम के मंदिर को देखने की हम तो राम मंदिर नही देख पाए आगे की भी उम्मीद भगवान राम के ऊपर छोड़ दी है क्या पता राम राज्य आ जाए तब राम मंदिर देख ले खैर छोड़ो अभी तो आन्दोलन एवं महारथियों पर चर्चा करते है इस बार दो महारथियो ने बाग़ डोर संभाली है एक है बाबा रामदेव  और दुसरे है अरविन्द केजरीवाल !  रामदेव तो खुद ही ब्रांड नेम है इसलिए उनको किसी और की ज़रूरत नही पड़ी अपने कुछ पिछलगूओ एवम प्रचार माध्यम के साथियो के साथ मैदान में कूद पड़े इनके बारे में बाद में चर्चा करेगे !         आज हम अरविन्द केजरीवाल के आन्दोलन के बारे में चर्चा करेगे           
अरविन्द केजरीवाल एक ऐसे महारथी है जिनके पास आदोलन चलाने के सारे गुण है सिर्फ एक कमी के अलावा और वो है मंजिल पे पहुचने की छटपटाहट वो थोड़ा हडबडाये ज़्यादा लगते है और इसी चक्कर में सबसे उलझ जाते है मुझे ऐसा लगता है की उन्हें हमेशा ये भय रहता है की उनके आन्दोलन की मलाई उनकी टीम के बाकी सदस्य उनसे ज्यादा तथा उनकी पोल खुलने से पहले कही न खाले इसमें कोई दो राय नही हो सकती की आन्दोलन की रूपरेखा वो कई साल से बना रहे थे इंतज़ार था तो एक ब्राड नेम का तथा सटीक विषय का दोनों मिले तो कुछ अती महत्वाकांछी  साथी भी मिले या यूँ कहें की साथियों को अरविन्द केजरीवाल की महत्व्कांछा  की भनक लग गई ये लोग शायद ये ताड़ ले गए की केजरीवाल आन्दोलन की आड़ में सत्ता के सर्वोच्च पदों की चाहत पाल बेटे है ! अरविन्द टीम बनाते वक्त शायद ये भूल गए की समान स्तर के लोगो की महत्व्कांछा  सामान होती है समझ भी समान होती है फर्क होता है तो भाग्य का वो सब समझते बूझते हुए आपके पीछे चलते है की भाग्य से आपने इस मुद्दे को पकड़ लिया है बस इसलिए हम आपके पीछे है लेकिन हमेशा पीछे रहेगे इसकी कोई गारेन्टी नही है जैसे ही आप से कोई सार्वजनिक चूक हुई वो अपने सौदे शुरू कर देते है केजरीवाल ने ब्राडनेम जो तलाशा वो सब खूबियों से भरा हुआ है गाँधी वादी चेहरा सादगी की मूरत आम आदमियों तक सीधी पहुच कुछ आंदोलनों की सफलता वो सब कुछ जो एक आन्दोलन कारी नेता में होती है अन्ना हजारे में समाहित है  कमिया भी अन्ना में उजागर हुई आखिर है तो वो भी हाड़ मास के ही इंसान मुख्य रूप से उनका ज्यादा पढ़ा लिखा न होना जिसकी वज़ह सेअन्ना को आन्दोलन को गति देने के बाद उसे कहा समाप्त करना है का अंदाजा नही निकाल पाए टीम पर ज्यादा आश्रित होना इतने बड़े आन्दोलन को सतत चलाने के लिए धन की व्यवस्था का सही ज़वाब न दे पाना कई सवाल ऐसे निकल के बाहर आये जिनके जवाब जनता को अभी तक आन्दोलन कारियों के साथ साथ अन्ना भी नही दे पाए शायद अन्ना अपने आप से अभीभुत हो गए थे वो जनता में आन्दोलन का स्वाद तो पैदा करने में सफल हो गए थे लेकिन मसाले जो उस में डाले थे वो कहा से आये और केसे आये ये बताना नही चाहते थे विरोधियो ने उनकी इस कमजोरी पर हमला पूरी ताकत से बोला !उधर टीम के बाकी सदस्य जो अपने को केजरीवाल से योग्यता में कम नही मानते थे अन्ना के करीब पहुचने में कामयाब हो गए इधर केजरीवाल की अति महत्वाकान्झाये अब स्तिथियों को अपने बस में करनेमें लग गई  या फिर यु कहे की अन्ना को छोड़ बाकी सदस्य  आन्दोलन का मुखिया बनने की होड़ में लग गए सारे अन्ना को अपने अपने तरीके से समझाने लगे !अन्ना भी तो हाड मॉस का बना इंसान ही है उनका दिमाग ही चकरा गया वो सीधा साधा गावं परिवेश का आन्दोलन कारी इन अंग्रेजी बोलने वाले अति महत्वाकान्झी मेट्रो कल्चरल के लोगो के बीच में  उलझ के रह गया वो समझ ही नही पा रहे थे की किस में योग्यता है और कोन बुद्धीजीवी अन्ना का मन दुखी हो गया उधर विरोधियो को जो लगातार इस आन्दोलन पे हमला कर रहे थे जनता को कही न कही ये बताने में सफलता मिल गई की ये आन्दोलन नही बल्की  कुछ अती महत्वकांक्षी लोगो की सत्ता की भूख हैं इस आन्दोलन में कई कमिया है उनमे से ये कमी मुझे बहुत सताती है और वो है सयमं की !दिल्ली में ज़बआन्दोलन ने अपनी रफ्तार पकड़ी न जाने इन लोगो में ये ज्ञान किसने दे दिया की अगला स्थल मुंबई होगा बिना ये विचार बनाए की मुंबई में हालात बिलकुल इनके पक्ष में नही है मुंबई पिछले चालीस  पचास सालो में अजीब सी मानसिकता से गुज़र रहा है जहां ठाकरे परिवार ने मुंबई  हिन्दुस्तान में होने के पश्चात भी मुम्बईअपना शहर अपना मानुष की तर्ज़ पे कर के वहां के लोगो में मुंबई पे हमारा पहला अधिकार है और हम उस पे अपना ये अधिकार किसी हालत में नहीं छोड़ेंगे का नारा देकर एक भावनात्मक एवं उग्र पंथियों का एक दल बना रखा हैं खुदको उस का मुखिया बनाया और अपना नामकरण भी किया हैमुंबई का शेर  ! अब ये सामान्य सी बात इन आन्दोलन कारियों की समझ में नही आई की ये शेर अपनी मांद में आप लोगो क्यों घुसने देगा और वो भी किसी आन्दोलन के रूप में शेर ने वही किया जो शेर को करना था परिणाम सामने था दिल्ली की हवा मुम्बई में निकल गई ये इस आन्दोलन की जानता द्वारा नकारे जाने की पहली घटना थी जिसने आन्दोलन कारियों को झकझोर के रख दिया सही मायने में देखे तो यही से इस आन्दोलन में बिखराव की स्थिति निर्मित की रही सही कसर सदस्यों की महत्वकांक्षा ने पूरी कर दी मेरा मानना है की इन्ही परिस्थितियों में नेता की भूमिका या फिर कहे की नेत्रत्व क्षमता का अहसास होता है यही अरविन्द केजरीवाल चूक गये और आन्दोलन बिखराव की तरफ बढ़ गया ! अरविन्द केजरीवाल मेरे ख्याल से प्राक्रति के नियम को समझने को तैयार नही है वरना ये साधारण सी भूल लगातार कभी न करते प्रक़ती का नियम ये है की वो जब मिटाने पर उतारती है तो वो सब कुझ अपनी ताकत से मिटा देती है इसीलिए लोग हमेशा ये समझाईस देते है की तूफ़ान को निकल जाने दो फिर निपटेगें केजरीवाल तूफ़ान के बीच में सुधार कार्य सुरु करने निकल पड़ते है जिसका खामियाजा आन्दोलन को झेलना पड़ा और में तो याहा तक कहूगा की ये आदत केजरीवाल को आगे चल कर बहुत नुक्शान पहुचायेगी कोई माने या न माने मेरा मानना है की भाग्य जीवन में बहुत अहेम होता है वो जब तक साथ देता है तब तक हर गलत कदम आपको लगता है की सही पड़ रहा हैआपके आस पास हर किये हुए कार्य को सराहने वाले मिल जाते है ये जोश इतना बड जाता की इन्शान अभी भूत होने लगता है  और ये भूल जाता है की गलत हमेशा गलत ही हो होता है चुकीं समय अच्झा  है इसलिए गलत सही सब सही लग रहा है लेकिन गलत हमेशा गलत ही रहेगा समय भाग्य जेसे ही साथ छोड़ेगा इन्शान अपनी गलतिया गिनना सुरु कर देता है की अगर उस समय ये न किया होता तो आज ये दिन न देखने पड़ते चलो कोई बात नहीअभी किसी की बात समझ में नही आएगी समय ठीक है सब ठीक है में कह रहा था की केजरीवाल जी आन्दोलन का उद्देश्य क्या था सही सही बताव क्या तुम्हे तुम्हारी टीम के लोगो ने समय रहते नही पकड़ लिया असल म्हात्वाकान्झा थी क्या ? आन्दोलन या फिर आन्दोलन का सहारा लेकर राजनीतिक गणित बिठाना इसीलिए मुझे शक हो रहा है की तुम और अन्ना फिर कोई शाजिश कर रहे हो  क्योकिअन्ना अपनी स्थिति में सन्देश देते कम दिख रहे है सफाई देते ज़्यादा दिख रहे है अरविन्द तुम इतने सीधे भी नही जितना हम सभी लोगो को दिखाने का प्रयास कर रहे हो देखना इस चक्कर में जनता को मुर्ख मत समझ लेना तुम दोनों मिलकर ये जो साजिश कर रहे हो उतनी ही करना जितनी सभालं सको वेसे ही देश के हाल किसी से छुपे हुए नही है आम आदमी को सरकार ही नही भगवान भी समझाने का प्रयास कर रहा है की तुम जनता हो तुम मुर्ख हो हम जेसा कहे वेसा समझते क्यू नही हो पैसे पेड़ में नही लगते अब इन्हें कोन  समझाये की दिन रात की मेहनत से घर की जवाब दारी उठाते उठाते खुद  उठ जाते है इन बेचारों को पेड़ मे लगे आम या फल तो दिखते नही नोट लगे पेड़ कहा ढूढे उनको कोन समझाये की ये वो लोग है जिन्होने आपको अपने लिए सरकार बनाया ये आम आदमी है ये आम आदमी खाश आदमी बना सकता है क्या ये खुद नोट लगा पेड़ ढूढ़ कर खाश नही बन सकता है वरना आप में और आम आदमी में फर्क ना खत्म हो जाए  आपने देखो नोट उगाने वाले रिश्वत खोरो को कितनी आसानी से ढूढ़ लिया एक लाख करोड़ सत्तर हज़ार करोड़ तीनसो करोड़ न जाने कितने करोड़ कितने घपले ये सब सरकार आपके ढूढे हुए साथी ही कर सकते है सरकार का मुखिया  बनके बोलते वक्त अपने पद की गरिमा का ध्यान नही रहता न सही आपके किसी साथी को भी कहा रहता है भाई आप सरकार है और वो सरकार में आपके साथी कोई बात नही/उम्र का ध्यान तो रख सकते हो इस उम्र में तो ये भाषा मेरे ज्ञान के अनुशार बिलकुल ठीक नही इतने उचे पद पे बेठने के  बाद हो सकता है इस तरह  की भाषा का इस्तेमाल सही मानते हो ! ये भ्रष्टाचार और ये भाषा दोनों ने ही मिलके अरविन्द केजरीवाल के दिमाग के घोड़ो को प्रेरित कर  दिया होगा की बहुत हो गया आन्दोलन   इस के लिए तो उम्र पड़ी है काहे का लोकपाल कोन सा लोकपालअपना जो उद्देश्य था इस आन्दोलन के द्वारा सत्ता के करीब पहुचने का वो इतनी ज़ल्दी दिखाई देने लगेगा इस की उम्मीद तो अपने को खुद नहीं थी ये ऊपर वाला है भइया जब भी देता है देता छप्पर फाड़ के कहा तो आन्दोलन ही चलाना पड़ता दो एक शाल और कहा मुद्दों सहित राजनीती का एषा रास्ता खोल दिया की पार्टी बनाने का एलान करना पडा लेकिन हद ये है की पार्टी का नाम क्या रखे ये तक नही सूज रहा उसके सविधान के बारे में तो बात करना ही अभी बेकार है वेसे भी स्वयंभू आधारित पार्टी में मुख्य स्वयंभू होते है उस पार्टी का सविधान स्वयंभू के आचार विचार पे ही आधारित होते है उनकी मर्ज़ी ही पार्टी की दिशा एवं उद्देश्य निर्धारित करते है देश की हालत ऐसी है की क्या कहे आर्थिक सुधार के बहाने प्रधान मंत्री जनता के ऊपर जो कहर बरपा रहे है उससे नित्य नये मुद्दे खड़े हो जाते है जो भी आम आदमी की बात करता है जनता उसको अपने सर पे बिठाने को तयार हो जाती है ऐसे में प्रधान मंत्री के उल ज़लूल बयान आग में घी का काम करते है अब बताव की इतना सुनहरा अवसर अन्ना और केजरीवाल केसे छोड़ देते अन्ना आनन फानन मेंअपने गावं राने गन सिद्दीसे दिल्ली पहुचते है दोनों खूब विचार विमर्श करके निर्णय ले लेते है की एक आन्दोलन चलाएगा और दूसरा पार्टी बनाएगा अन्ना ब्राड इमेज को बचाने की कोशिश करते है केजरीरीवाल माह्त्वाकानछा पूरी करने की , इसमें एक बहुत बड़ा फायेदा ये हुआ जो केजरीवाल के बहाने साथ छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी या और किसी पार्टी में जुगाड़ बिठाने की कोशिश कर रहे थे या फिर यूँ कहे की बिठा लिया था के मंसूबो में फिल हाल पानी फिर गया अब उनकी मजबूरी है दोनों में से किसी एक के साथ रहो इसे कहते है शापं भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी  अन्ना ने केजरीवाल से किया वादा बड़ी सफाई से पूरा कियाअपनी गाँधी वादी इमेज भी बचा ली और लोगो को टूट के जाने भी नही दिया एक साथ बड़ी सफाई से दोनों बाते कर गए केजरीवाल का मज़ाक उड़ाया ये कह के  एस एम् एस एवं टी वी सर्वे का प्रजात्रिक वेवस्था में कोई मायने नही होता में इस सब पे विस्वास नहीं करता ये सब यथार्थ में बकवास होता है और साथ साथ ये भी कहा की अगर अरविन्द केजरीवाल कपिल सिब्बल के खिलाफ़ चुनाव लड़ेगें तो में खुद उसका प्रचार करूगां तथा जनता से आग्रह करूगां की उसे चुनाव में भारी मतो से जिताए ये कह कर इशारों इशारों में आशीर्वाद भी दे दिया अन्ना तुमने इन लाइनों का बड़ी खूबी से इस्तेमाल किया मेरे ख्याल से ये कहावत जब राजकपूर ने अपनी फिल्म के एक गाने में ली थी उस समय तुम जवान हो रहे होगें और ये लाइने तुमने गुन गुनाई भी होगीं    समझने वाले समझ गए जो न समझे वो अनाणी है की कहावत को भी साबित कर दिया मान गए केजरीवाल मान गये इतिहास पड़ते तो बहुत लोग है उसको दोहराने की जो कला आप में है भइया फिर कहता हूँ माँन गए साज़िश का सूत्र या फिर कहे प्लाट आपनेदेश की आज़ादी से बड़ी खूबी से उठाया है लेकिन में दावे से कहता हूँ की वो आन्दोलन था उस आन्दोलन ने पहले मंज़िलं पाई फिर उसमे भूमिका निभाने वाली सबसे बड़ी पार्टी ने अपनी नेतिक जवाबदारी का अहसास  करते हुए सत्ता की लड़ाई लड़ना सुरु किया और अगर ध्यान से देखो तो आज़ादी जिस हाल में मिली थी देश की क्या इस्थिति थी वो किसी से झुपी हुई नही है बस आज के युवा उसे नही समझ रहेआज देश रोटी नमक की लड़ाई को मिलो पीझे छोड़ चुका हैं इसका अहसास भी उसे नही हैं की उनके बड़े बुज़र्गो ने उन्हें इस इस्थिति में लाने के लिए क्या क्या कुर्बानी दी और न वो ये समझना चाहता हैंकी आन्दोलन होता क्या है उसकी मंजिल क्या होती है वो तो आप जेसे लोगो के द्वारा दिखाये रास्ते को अपनाने के लिए विवश हो जाता हैइसकी वजह ये होती है की जब आप जेसे लोग जो निहित स्वार्थके लिए आन्दोलन सुरु करते है आदर्श इन्शान की चादर ओढ़ के ! वो भी अपने को इस में समाहित कर लेता है कही न कही वो भी मान लेता है की वो भी देश सेवा कर रहा हैं उसे क्या पता की आपका हिडेन एजेंडा क्या है लेकिन आपको अच्छे से पता है की ये ताकत ही आपके सपनों को पूरा करेगी आपकी महत्वाकान्झा को इनका बलीदान ही पूर्ण करायेगा आप जेसे खिलाड़ी इनका इस्तेमाल बड़ी सफाई से एक हथियार के रूप में करते है इनके अन्दर आप जैसे लोग राष्ट्रवादी  साह्शी क्रांतिकारी विचार भर देते है जिनके जोश में आप अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लग जाते है ये बिचारे क्या जाने की इनका कहाँ इस्तेमाल हो गया ये बिचारे तो अपने इस सपने को पूरा होते हुये देखने लगते हैं की वो तो पश्चिम के किसी भी युवा से ज़्यादा अपने को इस आन्दोलन की सफलता के पश्चात  आधुनिक एवमं सफल बना लेगा                                        
                                                   














                                                                

Sunday, September 9, 2012

                                   प्रधानमंत्री की खोज  


देश में बड़े नेता बनने का या किसी भी पार्टी या दल का स्वयम्भू बनने का नुस्खा खोज लिया है आज देश में बड़ी भारी प्रतियोगिता चल रही है वो भी किसी भी पार्टी या दल का स्वयम्भू घोषित कराने के लिए पता नहीं ये प्रतियोगिता क्यों और केसे शुरू हो गई इसकी देश को अभी ज़रूरत है भी या फिर स्वयम्भू सज्जनों (नेताओ ) को कोई डर सताने लगा है में कुछ समझ नहीं पा रहा हू लेकिन रोज़ इस प्रयास में  या यूं कहे इसके लिए बुज़ुर्ग  नेताओ  की अथाह कसरत क्या गुल खिलाना चाहती है कुछ समझ में नहीं आ रहा है वेसे भी देश के इन नेताओ  का नुस्खा साधारण जनता शुरू में कहा समझ पाई है इस देश में इसी कला को तो आम आदमियों के बीच का समझदार मनुष्य ये यह कहकर ये ही तो राजनीति है भइया तुम और हम समझ गए होते तो हम वहा ना होते ज़हा आज ये है अपने आप को समझदार घोषित करवा लेता है जेसा चल रहा है चलने दो ! इस पचड़े में बाद में पड़ेगे अभी तो इस बात पर चर्चा करेगे की स्वयम्भू बनाने की अचानक ज़रूरत क्यों आन पड़ी और इतने आसान रास्ते  से ! रास्ता ये है बढ़िया खाना, नाश्ता खाया उसके बाद पान हुआ तो पान या गुटखा नहीं तो एक सिगरेट लगाईं जोर का कस खीचा सिगरेट का कस खीचते समय अपने पट्टो को ये हिदायत दे रखी होती है कोई फोटो वेगारह ना खीचे ! और प्रचार के किसी भी माध्यम का भरपूर उपयोग करते हुए देश को ये बता दिया की अगला प्रधानमंत्री देश का कोन होगा देश को प्रधानमंत्री दे दिया अपने दल के उभरते हुए चेहरे को बता  दिया की बच्चू अभी तुम्हारी भलाई इसी में है की मेरी सेवा ढंग से करते रहो जो देश का प्रधानमंत्री बनाने की क्षमता रखता हो वो अपने दल का स्वयंभू पद कैसे छोड़ सकता है हाँ कभी कभी स्वास्थ्य या शरीर की थकावट की वज़ह से निर्लिप्त भाव पैदा हो जाता है जिसकी वज़ह से में उत्तराधिकारी वगैरह का शगूफा छेड़ देता हूँ लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है की में तुमको स्वयम्भू बनाके खुद अपने पैर पर  कुल्हाड़ी मारू ! आप मानो या ना मानो दिल के किसी ना किसी कोने में ये बात एक दो दिन में ज़रूर आती होगी की अचानक देश के स्वयम्भू नेताओ को नए प्रधानमंत्री ढूढने की इतनी हड़बड़ी क्यों हो  गई है अडवाणी जी से लेकर बालठाकरे  तक ! इसके बीच में में भी कई उम्र दराज नेता है जो बड़ी शिद्दत से प्रधानमंत्री की खोज कर रहे है जेसे शरद यादव  मुलायम सिंह यादव करूणानिधि आदि !खुद तो हे ही चिन्तित देश को भी चिंता में डाल दिया अरे भइया इसमें फायदा तो इनका ही  है आम के आम गुठलियों  के दाम वाली कहावत सच साबित कर दी वो ऐसे की चुनाव तो 2014में कही है फिर भी अपने को लोग फ्री ना समझे अपन भी बहुत इम्पोर्टेन्ट  है कई लोगो के लिए तो अभी अपने में क्या कमी है उम्र थोड़ी हो भी गई तो क्या हुआ अनुभव भी तो कोई चीज होती है अपन मनमोहन सिंह जी से 5/10 साल ही तो छोटे बड़े है क्या पता किस्मत काम कर जाए अरे हाँ मनमोहन सिंह जी को भी तो किस्मत का ही सहारा मिला था वरना राजनीती में तो वो अपने से बहुत जूनियर है बस उनके और अपने भाग्य में ही तो फर्क है उनके पास भाग्य से सोनिया गाँधी जेसी नेता थी जो त्याग की मूर्ति साबित हुई जो मनमोहन सिंह को सिवा इतना जानने  कि एक अच्छे अर्थशास्त्री है कभी कभी कोई चुनाव  लोकसभा या राज्यसभा का लड्लेते है हारना जीतना भगवान् के भरोसे छोड़ के दो एक बार जीते भी है उसका पारितोषक भी उनको मिला था  केबिनेटमंत्री  बनाके ! पता नहीं कोई देश या समाज के लिए इतना बड़ा सेक्रिफाइज़ केसे कर लेता है अपने से तो छोटा मोटा पद ही नहीं छोड़ा जाता है सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री का पद टुकरा दिया आपन तो हक्का बक्का ही रह गए थे और ऐक ऐसे इंसान को प्रधानमंत्री बना दिया जिसको वो बहुत जादा जानती भी नही थी अपने से नहीं बनता ऐसा सेक्रिफाइज़ आपन तो कुर्सी से किया वादा निभायेगे की तू भले छोड़ दे हमे  हम मरते दम तक पूरेजोड़ तोड़ बदनामी शह कर अस्वस्थ होने होने के बाद भी तेरे से किया वादा निभायेगे अब चुकी अपने से सेक्रिफाइज बलिदान आदि नहीं बनता है और इस देश में इसकी बड़ी डिमांड है तो सोनिया गाँधी के बलिदान को राजनीतिक हथकंडा कानूनी अड़चन आदि बनाके बताने का प्रयास कर रहे है दिक्कत तो ये है की जनता इनकी सुनने को ही तैयार नही इसी चक्कर में उम्रदराज़ हुए जारहे है अब बताव इस में इनका क्या दोष है इन्हें तो कुर्सी से किया अपना वादा निभाना पडेगा ना ! इसके लिए भले कितने वादे तोड़ने पड़े वो सब आपन ये कह कर की ये ही राजनीति है कह के दात निपोड़ देगे !ये नेता मनमोहन सिंह जी के प्रधानमंत्री बनने में योग्यता से ज्यादा भाग्य को मानते है उनका मानना है की भाग्य से ही त्याग की देवी सोनिया गाँधी जेसी नेता उन्हें मिली और इन्हें अपने बनाये ही नेताओ (पट्ठो ) से चुनौती मिल रही है वरना क्या ज़रूरत है अभी से प्रधानमंत्री ढूँढने के बहाने अपनी उपियोगिता  बनाए रखने की या फिर स्वयभू नेता बनने की इसे कहते है अपना अपना भाग्य !     
बाबा लकी 














    

Tuesday, September 4, 2012

कई दिनो से मेरे मन मे एक सच्ची जीवनी लिखने का विचार आ रहा था लेकिन सबदों मे केसे डालु ये नहीं समझ पा रहा था दूसरा ये एक दिन मे पूरी भी नहीं हो पाएगी इस को लिखने मे कई दिन लग जाएगे फिर इस के साथ मे न्याय भी कर पाउगा की नहीं ये भी पता नहीं ये मेरे एक बहुत ही करीबी साथी के बारे मे है इसमे पात्रो के नाम मेने बदल दिये है !प्रयास करता हू अगर ठीक से लिख ले गया तो ठीक वरना बीच में ही बंद कर दूंगा अगर में 10%भी लिख ले गया तो लिखूगा मुझे ना जाने क्यू बस इस को लिखने का मन करता है मुझे शाएद ऐसा लगता है की इसने मेरे जीवन में बहुत प्रभाव डाला है बहुत कुझ मेने अपने जीवन में इससे चुराया है पक्का तो नहीं कह्सकता लेकिन ये मुझे ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए की मेरे ऊपर इस सबका बड़ा असर रहा असल में ये एक घर या परिवार की कहानी है ये  ना जाने कियू  एक निग्लेक्टेट बच्चे की जीवनी से लगती है जिसमे बहार से तो पूरा घर एक सामान्य घर जेसा ही लगता है किन्तु उस घर में वो अपने सगे माता पिता के बीच भी अपने को अलग थलग पाता  है हर ज़गह उसे न जाने क्यू ऐसा लगता है की हमेशा उसके घर में किसी भी गलत हुए कार्य का टीकारा कोई ना कोई वज़ह बताकर उसके ऊपर ही फोड़ दिया जायेगा चाहे उससे उसका कोई लेना देना हो या न हो वज़ह वही रहेगा वह अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा है वो तीन भाई और एक बहन है उसकेमाता पिता ग्रामीण परिवेश से है वो भी तीन भाई एक बहन है !इनके पिता '[पिता के पिता यानि की बाबा ] एक जागीर द़ार के बड़े खास मुलाजिम थे और शायद दूर के रिश्ते में भी थे !जहा उन्होंने शायद पढाई लिखाई [एजुकेसन ] के महत्व को पहचाना था वो दो भाई थे !हा तो में कह रहा था    

Friday, August 31, 2012

                   भारतीय ज्योतिष में लग्न कैसे निर्धारित होती है


हिंदुस्तान में ज्योतिष का अपना एक विशेष स्थान है ! बाकी दुनिया में ज्योतिष को किस नज़र से देखते है इसका मुझे जायदा पता नहीं है ! लेकिन इतना ज़रूर लगता है चुकी ये जिज्ञासा देता है एक कोतुहल दिमाग में पैदा करता है ! इसे विज्ञानं की श्रेणी में रखा गया है ! यह भी गणना पे आधारित है इसलिए मुझे लगता है की विश्व में सभी ज़गह इसका अपना महत्व  होगा ! नाम देखने का तरीका एवं बनाने का तरीका हो सकता है ! देश और स्थान के अनुसार हो !ये बहस का मुद्दा नहीं है आज तो आपन इसके लग्न को केसे बनाया जाता है वो भी बिना जादा समय और गणना के ! में समय और गणना की बात इस लिए कर रहा हु क्योकि जब कम्पूटर का इतना उपियोग नहीं होता था ! उस समय ये एक उबाऊ प्रक्रिया लगती थी ! अब ये सारी गणनाए रेडीमेड कम्पूटर में मिल जाती है ! आपको सिर्फ समय दिन ज़गह और नाम कम्पूटर को बताना या उसपे लिखना होता है ! आपकी कुण्डली इस्क्रीन पे आ जाती है ! कुंडली में बारह घर होते है इन बारह घरो से ही सारी गणनाए की जाती है हर घर का अपना अपना महत्व होता है ! इसमें लग्न में क्या नंबर आया है ! उस पे कोन सा ग्रह विराजित है और ये किस आधार पर आधारित है ! में बहुत ही थोड़े से शब्दों में बताऊंगा ! क्योकि लग्न का कुंडली में बहुत ही महत्व है ! लग्न से व्यक्तित्व/शरीर की संरचना/स्वभाव/आदते एवं लग्न के बाद की सारी गणनाए लग्न पे ही आधारित होती है इस लिए ज्योतिष में लग्न सबसे महत्त्व पूण घर होता है! सबसे पहले लग्न ही कुंडली में आता है ! लग्न में कोन सा ग्रह आएगा ये केसे निर्धारित होता है ये बताता हू भारतीय ज्योतिष में गणनाए सूर्य उदय से सूर्य उदय तक की लिजाती है सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक की गढ़ना साधारण तया नहीं ली जाती है !सूर्य उदय के समय सूर्य किस नंबर की राशि में है सबसे पहले ये देखा जाता है ! मान लीजिये सूर्य उदय के समय सूर्य 5 नंबर की राशी में है तो लग्न में 5 नंबर डाल देते है यानि की लग्न सिंह हुई लग्न में 5 नंबर डाला जायेगा और सूर्य लिखा जायेगा !या फिर मान ले की सूर्य 8नंबर की राशी में है तो लग्न वृश्चिक होगी तब लग्न में 8नंबर डालेगा और सूर्य लिखा जायेगा ! ये लग्न साधारण तया दो से ढाई घंटे  तक चलती है !आधा घंटा ऊपर नीचे हो सकती है ये उस दिन के नझत्रो की चाल पे आधारित होगा !उसके पश्चात अगला नंबर डल जाएगा यानि सूर्य उदय के समय अगर मान ले की सिंह लग्न थी तो फिर 6नंबर यानि की कन्या राशि आजायेगी सिंह राशी सूर्य के साथ एक घर पीछे बारहवे घर में होगी और लग्न में 6नंबर डाला होगा और लग्न कन्या हो जाएगी अगर उस समय कन्या राशी में कोई ग्रह होगा तो वो ग्रह लिख दिया जायेगा मान ले की उस दिन उस समय कन्या राशी में मंगल एव बुध हो तो मंगल बुध लिख देगे !इस प्रकार 24 घटे में 12लग्न बन जाती है जो की समय और दिन पे आधारित होती है अब ये सब बहत आसान हो गया है कम्पूटर पे समय दिन साल ज़गह और नाम डाल दीजये लग्न सहित कुंडली बन जाती है! मेने तो एक जिग्यासा सांत करने के लिए ये सब लिख दिया मुझ से करीब करीब हर इन्सान ये पूछ ही लेता है लग्न क्या होती है इसको बदला नहीं जा सकता क्या ! तब मेरे मन में ये ख्याल आया की लग्न पे कुछ लिखे आगे भी लिखुगा जेसे जेसे विचारों को लिखने की आदत पड़ती जाएगी अभी अभी सुरु किया है बाबा लकी                                                    
           
                       लग्न के महत्व को निचे दिए आधार के दवारा और समझा जा सकता है
जब शुरू शुरू में कुंडली देखनी शुरू किया तो मुझे ये समझने में दिक्कत आ रही थी  की किन ग्रहों को आप आधार माने ! कई ज्योतिषियों की गड़ना मे इस त्रुटी को साफ़ देखा जा सकता है वो सीधे भाव पर  बेठे ग्रहों के आधार से उस भाव के बारे में बोलना या लिखना शुरू कर देते है जिसके बारे में कुंडली दिखाने वाला आया है जेसे की तीसरे भाव का उधारण देकर बताता हु तीसरे भाव से साधारणतया भाई बहन पुरषार्थ पराक्रम के बारे में बताया जाता है किसी ने पूछा की मेरी भाइयो से केसी रहेगी उन्होंने तीसरे भाव में बेठे ग्रहों को देखा और बताना शुरू कर दिया या फिर तीसरे भाव के गृह स्वामी की इस्थिति देखी और उसके अनुसार बता दिया ये साधाण प्रेक्टिस की बात कर रहा हू पर इससे साधारण तया अनुमानित  या आंशिक ही फलादेश मिलता है !लेकिन अगर आप उपरोक्त ग्रहों को लग्नाधिपति और लग्न में बेठे ग्रहों से मिलाकर या फिर उनसे सामंजस्य  बिठा कर फलादेश बतायेगे तो मेरे अनुभव से कही सटीक और सही बता पाएंगे आपकी कही हुई बात ज्यादा  पुख्ता साबित होगी ! मेरे हिसाब से किसी भी भाव का फलादेश बताने में इन दी हुई बातो का ध्यान रख लिया जाए तो देखने और दिखाने वाले दोनों को ही मज़ा आ जाएगा उदहारण के लिए में फिर तीसरे भाव को ही ले रहा हु मे अगर तीसरे भाव का फलादेश बता रहा हू तो सबसे पहले में देखूगा तीसरा भाव साधारण तया से किस किस का है ! ये तो में ऊपर बता चुका हु फिर किस राशि का है ये देखूगा जेसे की तीसरा भाव मिथुन राशि का हें ! फिर देखूगा तीसरे भाव में कोन सा गृह बेठा है या फिर कोन कोन से ग्रह बेठे है फिर देखूगा की उन पर किन किन ग्रहों की द्रष्टी पड़ रही है फिर इन सभी उपरोक्त बातो (ग्रहों की) का लग्नाधिपती और लग्न में बेठे ग्रहों के साथ केसा सामंजस्य बेठ रहा है देखने के पश्चात ही तीसरे भाव की भविष्यवाणी करूगा या फिर उनके स्वभाव के बारे में दिखाने वाले के साथ केसा रहेगा के बारे में बता पाउँगा ! ये मेरे अपने विचार है अगर हो सके  तो इन्हें अजमा के देखे फलादेश देने में संतुष्टी मिलेगी और दिखाने वाले का विश्वाश भी बढेगा आगे भी लग्न के बारे में लिखता रहूँगा

आज से में सोच रहा हु की योग के बारे में भी लिखू ! यै क्या होते है केसे बनते है इनका जीवन या फिर ये कहू जिस कुंडली में जितने योग होते है उनपर भविष्यवाणी करना उतना मुश्किल होता है !खेर इस सब पर आपन आने वाले समय पे धीरे धीरे समझेगे लेकिन में ऐक बात ज़रूर कहता हूँ की कुंडली में योग का बहुत महत्व है इसके बिना कुंडली को समझाना समझना भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है चलिए धीरे धीरे चर्चा करेगे समझेगे समझायेगे !लेकिन अब एक बात करने की कोशिश ज़रूर करेगे वो ये की जब भी पेज बंद करेगे  उसके पहले एक योग ज़रूर लिखेगे  चाहे उस पर चर्चा बाद में करे आज में जिस योग के बारे में लिख रहा हूँ वह जीवन के लिए अती महत्वपूण योग है इसका अभाव अपने आप में बहुत दर्द देता है दुनिया की निगाहों में बहुत से सवाल आप के प्रति पैदा करता है बाकि इस पर बाद में चर्चा करेगे अभी तो में योग लिख रहा हूँ यह योग है किसी इन्सान की शादी का ना होना ये भी एक प्रकार का श्राप है ! लेकिन दुनिया में है ऐसे लोग जिनका विवाह नही होता जीवन इस श्राप को भोगता है वो इसके बारे में कुझ भी बोले कोई भी दलील दे इसे कोई भी   कुंडली विशेषग्य कुंडली का दुर्भाग्य ही मानेगा  !यह योग कुंडली में ग्रहों एवम ग्रहों के द्रष्टि संबंध किसी विशेष इस्थान पर होने से बनता है जब सप्तम भाव,सप्तमेश तथा शुक्र तीनो पीडित हो तथा निर्बल हो और इनमे किसी पर भी कोई शुभ युति अथवा द्रष्टि न हो तो मनुष्य को पत्नी की प्राप्ति नहीं होती !यहाँ बिलकुल स्पष्ट है की विवाह के तीनो अंग (फेक्टर्स )निर्बल होने से विवाह नहीं होगा !                                              

                   
                                                               लग्न में गोचर का महत्व
कुंडली में गोचर का महत्व उतना ही होता है जितना की कुंडली देखते वक्त लग्न कुंडली में बेटे ग्रहों का पहले में आप को बताता हूँ गोचर होता क्या हैं असल में गोचर उसे कहते है जितने समय का आप अपनी कुंडली का फलादेश निकालते है उतने समय तक ग्रहों की इस्तिथि किस राशि में केशी हैं उसे साधारण तया गोचर कहते हैं याने की लग्न हुई ज़न्म के समय में ग्रहों की इस्तिथि की किस घर और किस भाव में ग्रह बेटे है और गोचर हुआ आज की इस्तिथि में ग्रहों की राशी और किन भावो में बेटे हैं इसे साधारण तया चन्द्र की चाल से तथा लग्न की उत्पत्ति से निकालते हैं क्योकी ग्रहों में सबसे तेज चाल चन्द्र की होती है यह दो से ढाई दिन में अपनी राशि बदल लेता है और लग्न भी दो से ढाई घंटे में बदल जाती हैं साधारण तया !अब में अपने ज्ञान के अनुसार आगे लिख रहा हूँ क्योकि ज़्यादातर ज्योतिष कुंडली के लग्न चक्र को देख कर फलादेश निकाल देते है लेकिन इसमें मेरे अनुमान से फलादेश अनुमानित या फिर संभावित ही आयेगा आप एक अंदाज का ही फलादेश निकाल पायेगें !फलादेश जायदा सही निकालने के लिए लकी बाबा के सूत्र को लगाना चाहिए बाबा लकी ने लिखा हैं या लिख रहे हैं की किसी भी कुंडली को विचारते समय लग्न कुंडली के साथ साथ गोचर भी बना लेना चाहिए लकी बाबा का मानना हैं की कुंडली में ग्रह कितना ही अच्छा या फिर कितना ही खराब क्यों ना बेटा हो उसके फल अलग अलग हो जायेगे ज़ेसेकी कुंडली में अगर शनी तुला राशि में बेटे हैं तो साधारण तय ज्योतिषी शनी की महादशा को बहुत बढिया मान कर बताना शुरू कर देते है ज़ब्की दिखाने वाला इंसान बार बार उनकी बात काट कर कहता हैं की गुरूजी ऐसा तो नहीं हो रहा है या फिर दिखाने वाला इंसान गुरूजी के बताये समय के आगे पीछे आकर कहता हैं की आपने तो कहा था की यहाँ से अच्छा समय सुरु हो जायेगा लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ आप उसको कुछ न कुछ बहाना बना कर दस पन्द्रह दिन के लिए टाल देते हैं लेकिन बार बार उसके आने से परेसान भी होते है आपकी साक या सम्मान में जो कमी आती है वो भी कम नही होती लेकिन इस सबसे बड़ी बात ये होती हैं की उस इन्सान का इस विज्ञान या फिर इस ज्ञान से भरोषा उठ जाता हैं और ये लकी बाबा का मानना हैं की यही वो जाने अन जाने में आप को कही श्राप देता है जो उस समय तो आप को सही समझ में  नहीं आता लेकिन धीरे धीरे सब समझ में आ जाता है  ! बाबा लकी का मानना है की कुंडली देखते  समय कुछ बातो का ध्यान रख ले  तो परिणाम बहुत अच्छे आ जायेगे बाबा का मानना है किसी भी कुंडली को देखते समय लग्न चक्र के साथ साथ गोचर चक्र का भी ध्यान रखो या फिर उसे भी बना लो उसके पश्चात उस महादशा का या फिर जिस ग्रह की भविष्यवाणी कर रहे हो उसका लग्न से केसा संबन्ध बन रहा है लग्न की इस्तिथि गृहकी इस्तिथि महादशा की इस्तिथि का गोचर की इस्तिथि के साथ मिलाकर उनमे सामंजस बनाकर सामंजस केसा बन रहा हैं उसके हिसाब से फलादेश बतावोगे तो ज्यदा सटीक और सुखद आयेगा अब अगर ऊपर वाली इस्थिति के अनुसार शनि तुला राशि में बेटे है और गोचर में भी शनि तुला राशि में या फिर अपनी खुद की राशि मकर या कुम्भ राशि में बेटे है अथवा किसी मित्र ग्रह की राशि में बेटे है तो ऊपर आपके ही दिए अनुसार फलादेश आयेगा शनि की महादशा आते ही दिखाने वाले इंसान के अच्छे दिन सुरु हो जायेगे लेकिन अगर शनि गोचर में किसी शत्रु राशि में बेटे है तो फिर शनि के फलादेश उतने अच्छे नहीं आयेगे इसलिए गोचर और लग्न कुंडली में सामंज्यस बिटाकर बताने पर फलादेश जायदा शाटिक आयेगा और  देखने वाले और दिखाने वाले दोनों ही को मज़ा आयेगा आपकी ख्याति बढेगी वो अलग यही वो जाने अनजाने में आप को दुआ देता हैं जिसका असर उस समय तो आपको नहीं समज आयेगा लेकिन धीरे धीरे अशर पता चलेगा इस विज्ञान और ज्ञान में उसकी आस्था बढेगी वो अलग
धीरे धीरे लग्न के बारे में और लिखेगे              
बाबा लकी                              

                                  जन्म कुंडली में ऋण योग 

मेने आप से कहा था की जब भी लेख ख़त्म करेगें किसी ऐक योग के बारे में लिखेगे आज आप को में ऋण योग के बारे में बता रहा हू अगर किसी कुंडली में आप ग्रहों में आपस में जेसा में लिख रहा हु सामंजस बेटा होगा तो मान कर चलिए की ऐसे मनुष्य अक्सर ऋणों में फसे रहेगें इस में ये ज़रूरी नहीं की वो मनुष्य है या फिर महिला !मेरे पास अक्सर ऐसे लोग आते है जो आते ही कहते है गुरु जी इन कर्जो से कब मुक्ति मिलेगी एक उतरता नहीं है की दुसरा पहले चढ़ जाता हैं इससे किसी तरह निजात दिलादो हम नहीं चाहते की किसी का कर्जा हमारे सर हो लेकिन ना जाने क्या होता है की एन केन ये हो ही जाता है कभी इ ऍम आइ कही रिश्ते दारो का तो कभी दोस्तो से लेना पड़ जाता हैक्या जिंदगी ऐसे ही गुज़रेगी ! ब्याज भी दो शर्मिदगी भी उठावो जितना कमाते नहीं उससे ज़्यादा तो ब्याज दे देते है अपनी शारी इच्छाये तो मर ही गई है क्या ये ज़िदगी एशे ही गुज़र जाएगी लोगो को कमा कमा कर देने में ही आखिर हमने ऐशा कोन सा पाप किया है की कमाए हम ओर एश कोई ओर करे जितना धन हम लेते है उससे कई गुना ज्यादा तो ब्याज दे देते है मूल की तो बात ही अलग है !मुझे भी बात समझ में आरही थी लेकिन कुंडली से या फिर कुंडली में ऐसी कोन से गृह बेटे हे जिनकी वज़ह से कर्जा सर चढ़ जाता है !बहुत तलाशा उतना मन को शंतोष नहीं मिला जितना मिलना चाहिए कुंडली में बेटे ग्रहों  को बहुत मिलाया द्रष्टी संबन्ध भी मिलाकर देखा लेकिन वो बात नहीं आई ज़िसशे मन को संतोष मिलजाता प्रश्न भी बहुत गंभीर है इधर उधर कर के नहीं छोड़ा जा शकता क्योकि दिन में ऐक ना ऐक कुंडली दिखाने वाला ये शवाल पूछ ही लेता है फिर अचानक ये ख़याल आया की हो शकता हो की ये कुंडली में किसी खाश योग की वज़ह से होता हो फिर मेने इस पर काम शुरू किया बात काफी हद तक बन गई मन को शंतोश भी है की कोई गलत बात बताकर सामने बेटे इन्शान को मूर्ख नहीं बना रहे है ! ये योग मेरे ख्याल से इस प्रकार से बनता है की किसी इन्शान की कुंडली में ज़ब दिए अनुशार विशेष रूप सेयोग बना कर ग्रह निम्न अनुशार बेट जाए तो ऋण योग कुंडली में लग ही जाएगा और जातक या फिर कुंडली जिसकी है उसके ऊपर किसी ना किसी रूप में कर्जा रहेगा ये योग इस तरह से बनेगा की छट़े इस्तान के स्वामी का तथा छटे से छटे भाव के स्वामी का सम्बन्ध ज़ब  दुतीय भाव तथा उसके स्वामी दोनों से ही हो तो मनुष्य ऋणग्रस्त रहता है !
ये इस प्रकार से होगा क्योकि छटा इस्तान रोग ऋण रिपु का है भावत भावम के सिद्धांत के अनुशार एकादश भाव भी ऋण होजायेगा इसलिए षष्टेश तथा एकादशेश के धन अथवा धनेश से सम्भन्ध होने पर मनुष्य की कुंडली में ऋण योग बनेगा ही और जिश मनुष्य की कुंडली है उस पर ऋण ऐन केन चढ़ ही जायेगा ! उदारण के लिए में बताता हूँ जिस इंसान की कुंडली में लग्न मिथुन होतो उसके छटेभाव का तथा ग्यारहुये भाव का स्वामी मगंल ग्रह होगा और अगर ये मंगल गृह कुंडली के ग्यारहुये भाव में बेटा हो तो ये छटेका स्वामी हो कर अपने से छटे होकर आये भाव में बेटा है जिससे मंगल ग्रह आये भाव में अपने से छटे होकर आये भाव को ऋणी बनाएगा जिससे कुंडली में ऋण योग बनेगा तब वो मनुष्य जिसकी कुंडली में इस प्रकार से ग्रहहोगे वो हमेशा रिनी रहेगा                        






















Thursday, August 30, 2012

             भारतीय जनता पार्टी (विपक्ष्य) अपने ही बुने जाल में उलझी 

कांग्रेस का यू बिफर जाना या यू कहे की यू पी ऐ की  प्रमुख श्रीमती सोनिया गाँधी का अचानक आक्रामक होना ! कोयला मुद्दे पे विपक्ष्य की रण नीती में कही न कही भरी खामिया दिखाई देने लगी है !या यूँ कहे की विपक्ष शायद  इस बात के लिए तैयार ही नहीं था ! वो आदतन अपनी पुरानी आदत के अनुसार सरकार घेरने बिना तैयारी बिना रणनीति के संसद में हँगामा करने लगा ! उसे शायद राज्यों में बेठे अपने मुख्यमंत्रियों की कारगुजारियो का अंदाज़ा नहीं था जो बरसों से कुर्सी से चपके हुए है जो सरकार के सुखो को भोगते हुए निश्चिंत हो चुके है की उनपे भी कोई हाथ डालेगा मनलुभावन घोसनाये करना बिचोलियों को केसे फायदा पहुचना दिल्ली में अपने खेमे के मुखिया एवम पार्टी मुखिया तक अपनी पहुच केसे बनाये रखना  ही उनकी राजनीती हो गई है इसी सेटिंग को ये लोग राजनीती मानते है !   इसके लिए वो प्रदेश में अपने अपने हथकंडे अपनाते है मंत्री और  मुख्यमंत्री के बीच अपने अपने बिचोलियो दलालों को कितना ज्यादा  से ज्यादा फायेदा पहुचाना है कोन इसमें कितना निपुण है सरकारी घोसनाये ऐसी बनाये की ज़नता बरसो समज ही न पाए की घोषणा क्या हुई थी ! और बिचोलिये कितना खागए ज़ब समज आये तो मन ही मन दिन रात ये बद दुआ दे की एक न एक दिन तो इन सा*** का घडा भरेगा !यहाँ तक तो सब ठीक था मुख्यमंत्री एवम मंत्री प्रदेस में साठ गाठ करके अपने हिसाब से कभी केबिनेट से पास करके कभी नीतियों में हेर फेर करके गलत सही को सही करने में माहिर हो चुके है इसी उसमे केन्द्रीय मंत्रियो से भी साठ गाठ हो गई वहा भी कई सालो से चेहरे एक से ही है न उनको डर अपने हाई कमान का इनका तो कहना ही क्या ! लेकिन यही वो गरीब जनता बीच में आ गई जिसके सहयोग के बिना आपकी गाडी में झंडा नहीं लग सकता था ! उसकी बददुआ ने थोडा असर दिखाया  डेल्ही  में इस्थितिया पलटने लगी दोनों प्रमुख दल आमने सामने आ गए और इसकी प्रमुख वजह में सोनिया गाँधी को देता हु जिनोहने सीधे सीधे बी जे पी को ललकार दिया सीधा आरोप लगादिया की बी जे पी पार्टी की प्रमुख नीती ब्लेक मेलिंग है इस आरोप से बी जे पी सन्न रह गई !बी जे पी ने शायद इस की कल्पना भी नहीं की थी की इतनी शांत और गंभीर महिला जिसने कभी भी अपना संयम  नहीं खोया चाहे केसा भी आरोप किसी भी दल के सदस्य ने लगाया हो या फिर दल के मुखिया ने वो अपनी गंभीर छवी के अनुरूप ही रही उन्होंने ने प्रज़ातात्रिक वयवस्था का सबसे प्रमुख हथियार ज़नता ही ज़वाब देगी पे चली जनता ने भी खूब कमाल दिखाया लोग कहते है भारत की जनता को मुर्ख बनाना बहुत आसान है ! पर मेने इसके विपरीत देखा इसका निर्णय वो सही समय पे बिलकुल सही कर देती है !  सोनिया गाँधी के साथ भी यही हुआ विरोधी नेता चिल्लाते रहे जनता अपना निर्णय उनके पक्ष में देती रही ! लेकिन इस बार सोनिया गाँधी ने शायद पहले से ही ये सोच रखा था की संसद के द्वारा सरकार की तरफ से जनता को वस्तुइस्तिथि से अवगत करना है!  यही बी जे पी गलती कर बैठी ! वो इस हमले के लिए तईयार नहीं थी ! इसी वजह से उसे बार बार संसद में रणनीती बदलनी पड़ रही है !बी जे पी  को शायद इस बात का बिलकुल अंदाज नहीं था की उनके ऍम पी छतीसगढ़ झारखण्ड के मुख्यमंत्री अपनी निजी स्वर्थो की पूर्ती के लिए वो सब पहले ही कर चुके है जिनके लिए पार्टी लड़ने खड़ी हुई इस स्थिथि  से पार्टी   केसे निकले रणनीतिकार समज नही पा रही है ! उधर कांग्रेस भी टस से मस नहीं हो रही है ! पहले की बात अलग  थी इस बार सोनिया ने मोर्चा खुद संभाला है ! मीडिया भी खूब मज़े ले रहा है ! टी आर पी बड रही है  वो अलग इसे कहते  है हींग लगे न फिटकरी मज़ा भी आये चोखा ! बी जे पी ने पहले सामूहिक इस्तीफे की बात की जिसको बाद में  रणनीतीकारो ने खुद ही वापस कर दिया फिर संसद न चलने का फेसला लेलिया ये भी उलटा पडता दिखाई दे रहा है ! हंगामे का भी फेसला गलत साबित हो गया ! उधर कांग्रेस लोकसभा तो लोकसभा सड़क की लड़ाई  के लिए कमर कस रही है ! अब तो कुछ पार्टी मानने लगी है की मध्याविधि चुनाव की सम्भावनाये बनती जा रही है !मुझे नहीं लगता की प्रमुख पार्टिया अभी चुनाव चाहती है देखना है कोन सी पार्टी झुकती है किस पार्टी का कोन सा नेता अपनी पार्टी से गदारी करता है ! अपने हित के लिए पार्टी को दाव पे लगाता  है ! वेसे मेरी  गणना के अनुसार दिसंबर के बाद चुनाव की सम्भावनाये है !  इस बारे में हम फिर चर्चा करेगे ! इस बीच प्रधानमंत्री इरान चले गए लोकसभा भी 31 अगस्त तक लिए के स्तगित हो गई है देखना है कोन सी पार्टी पहल करती है पार्टी हित के अलावा देश के लिए भी !                    

Wednesday, August 29, 2012

                            ग्रहों की स्थिथि 17 सितम्बर तक  

ग्रहों की स्थिथि  17 सितम्बर  2012 तक इस तरह से रहेगी !
1) सूर्य सिंह राशि में रहेगा  !
2) मंगल तुला राशि में रहेगा ! 
3) बुद्ध सिंह राशि में 13 की रात 9 बज के 10 मिनट तक रहेगा उस के पश्चात कन्या राशी में रहेगा ! 
4) गुरू व्रष राशी में रहेगा ! 
5) शुक्र 1 सितम्बर को दिन में 9 बजकर 47 मिनट से कर्क राषि में रहेगा ! 
6) शनी तुला राशि में रहेगा !
7) राहु वृचिक राशि में रहेगा ! 
8) केतु वृष राशि में रहेगा ! 
9) चंद्र की स्थिथि लगातार लगभग ढाई दिन में बदलती रहेगी 
ऊपर दिये अनुसार सूर्य सिंह राशि में यानि की खुद की राशी में रहेंगे ! सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है ! इस लिए इस्से राजा की स्थिथि केसी रहेगी का भी अनुमान लगाया जाता है आज के परिद्र्श्य में सरकार को राज़ा माना जाता है ! कोयला घोटाला इसी समय में आने की वज़ह से सरकार इस बार झुकी  नहीं ! सूर्य के अपनी  राशि में होने से सरकार को लड़ने की ताकत सवयम  मिल गई इस बार सरकार लगातार विरोध का सामना अपनी पूरी ताकत के साथ कर रही है !जो सरकार साधारण तया विरोध को ज्यादा मुखर नहीं होने देती थी साधारण तया विरोध के इस तरीके के मुदो को लड़ने की ज़गह बीच का रास्ता अपना कर या मान कर मुदो को खत्म कर देती थी ! वो ही सरकार संसद से सड़क तक की लड़ाई पे उतर आई है  ! सरकार का इतनी मज़बूती से खड़े होने की मुख्य वज़ह सूर्य का अपनी राशि में होना है ! मंगल सेना पति होता है जो की इस समय तुला        राशी में है इसलिए ऐक महिला (सोनिया गांधी) सेनापति का रोल बड़ी द्रणता से निभा रही है !                              
इस समय गोचर में तीन योग गरहो के एक के साथ एक जोड़ी बनाने से बनते हुए दिखाई दे रहे है पहला योग सूर्य + बुद  ज्योत्शियो के अनुसार  इसे एक अछी यूति मानते है वोह  भी सिंह राशि में ! इसे सरकार के पक्ष्य का माना जायेगा ! दूसरा गुरु + केतू इसे भी ज्योतिषी अच्छा योग मानते है क्यूंकि गुरु केतु के भी गुरु माने गए है ये स्थिथि भी सत्ता पक्ष्य में ही जाती दिखती है इसके साथ में यह स्थिथि व्रष राशि में है जो की महिला पक्छ को समर्थन देती है ! कांग्रेस की मुखिय महिला है और कांग्रेस सत्ता में आसीन पार्टी की सबसे बड़ी और प्रमुख पार्टी है ! अब में जिस योग की बात कर रहा  हु  मेरे ख्याल से इस सकंट की स्थिथि को लाने में इस योग का प्रमुख  हाथ है ! क्यूंकि मंगल और शनी ऐक दुसरे के विपरीत ग्रह है ! दोनों ही ग्रहों को राक्षस  ग्रह माना जाता है ! उसपे शनि यहाँ पे तुला राशी में बैठे है तुला राशि में शनी उच्च के होते है ! मंगल संघर्ष का कारक ग्रह कहलाता है ! इस स्थिथि में मुझे सत्ता पक्ष ज्यादा मज़बूत दिखाई दे रहा है ! मुझे ग्रहों के हिसाब से विपक्ष कमज़ोर दिखाई दे रहा है !   
       

                                     ॐ  गण गणपताये  नमः     


                                                   

                                        ॐ साईं  नमोह नमः