Tuesday, September 4, 2012

कई दिनो से मेरे मन मे एक सच्ची जीवनी लिखने का विचार आ रहा था लेकिन सबदों मे केसे डालु ये नहीं समझ पा रहा था दूसरा ये एक दिन मे पूरी भी नहीं हो पाएगी इस को लिखने मे कई दिन लग जाएगे फिर इस के साथ मे न्याय भी कर पाउगा की नहीं ये भी पता नहीं ये मेरे एक बहुत ही करीबी साथी के बारे मे है इसमे पात्रो के नाम मेने बदल दिये है !प्रयास करता हू अगर ठीक से लिख ले गया तो ठीक वरना बीच में ही बंद कर दूंगा अगर में 10%भी लिख ले गया तो लिखूगा मुझे ना जाने क्यू बस इस को लिखने का मन करता है मुझे शाएद ऐसा लगता है की इसने मेरे जीवन में बहुत प्रभाव डाला है बहुत कुझ मेने अपने जीवन में इससे चुराया है पक्का तो नहीं कह्सकता लेकिन ये मुझे ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए की मेरे ऊपर इस सबका बड़ा असर रहा असल में ये एक घर या परिवार की कहानी है ये  ना जाने कियू  एक निग्लेक्टेट बच्चे की जीवनी से लगती है जिसमे बहार से तो पूरा घर एक सामान्य घर जेसा ही लगता है किन्तु उस घर में वो अपने सगे माता पिता के बीच भी अपने को अलग थलग पाता  है हर ज़गह उसे न जाने क्यू ऐसा लगता है की हमेशा उसके घर में किसी भी गलत हुए कार्य का टीकारा कोई ना कोई वज़ह बताकर उसके ऊपर ही फोड़ दिया जायेगा चाहे उससे उसका कोई लेना देना हो या न हो वज़ह वही रहेगा वह अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा है वो तीन भाई और एक बहन है उसकेमाता पिता ग्रामीण परिवेश से है वो भी तीन भाई एक बहन है !इनके पिता '[पिता के पिता यानि की बाबा ] एक जागीर द़ार के बड़े खास मुलाजिम थे और शायद दूर के रिश्ते में भी थे !जहा उन्होंने शायद पढाई लिखाई [एजुकेसन ] के महत्व को पहचाना था वो दो भाई थे !हा तो में कह रहा था    

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