Friday, August 31, 2012

                   भारतीय ज्योतिष में लग्न कैसे निर्धारित होती है


हिंदुस्तान में ज्योतिष का अपना एक विशेष स्थान है ! बाकी दुनिया में ज्योतिष को किस नज़र से देखते है इसका मुझे जायदा पता नहीं है ! लेकिन इतना ज़रूर लगता है चुकी ये जिज्ञासा देता है एक कोतुहल दिमाग में पैदा करता है ! इसे विज्ञानं की श्रेणी में रखा गया है ! यह भी गणना पे आधारित है इसलिए मुझे लगता है की विश्व में सभी ज़गह इसका अपना महत्व  होगा ! नाम देखने का तरीका एवं बनाने का तरीका हो सकता है ! देश और स्थान के अनुसार हो !ये बहस का मुद्दा नहीं है आज तो आपन इसके लग्न को केसे बनाया जाता है वो भी बिना जादा समय और गणना के ! में समय और गणना की बात इस लिए कर रहा हु क्योकि जब कम्पूटर का इतना उपियोग नहीं होता था ! उस समय ये एक उबाऊ प्रक्रिया लगती थी ! अब ये सारी गणनाए रेडीमेड कम्पूटर में मिल जाती है ! आपको सिर्फ समय दिन ज़गह और नाम कम्पूटर को बताना या उसपे लिखना होता है ! आपकी कुण्डली इस्क्रीन पे आ जाती है ! कुंडली में बारह घर होते है इन बारह घरो से ही सारी गणनाए की जाती है हर घर का अपना अपना महत्व होता है ! इसमें लग्न में क्या नंबर आया है ! उस पे कोन सा ग्रह विराजित है और ये किस आधार पर आधारित है ! में बहुत ही थोड़े से शब्दों में बताऊंगा ! क्योकि लग्न का कुंडली में बहुत ही महत्व है ! लग्न से व्यक्तित्व/शरीर की संरचना/स्वभाव/आदते एवं लग्न के बाद की सारी गणनाए लग्न पे ही आधारित होती है इस लिए ज्योतिष में लग्न सबसे महत्त्व पूण घर होता है! सबसे पहले लग्न ही कुंडली में आता है ! लग्न में कोन सा ग्रह आएगा ये केसे निर्धारित होता है ये बताता हू भारतीय ज्योतिष में गणनाए सूर्य उदय से सूर्य उदय तक की लिजाती है सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक की गढ़ना साधारण तया नहीं ली जाती है !सूर्य उदय के समय सूर्य किस नंबर की राशि में है सबसे पहले ये देखा जाता है ! मान लीजिये सूर्य उदय के समय सूर्य 5 नंबर की राशी में है तो लग्न में 5 नंबर डाल देते है यानि की लग्न सिंह हुई लग्न में 5 नंबर डाला जायेगा और सूर्य लिखा जायेगा !या फिर मान ले की सूर्य 8नंबर की राशी में है तो लग्न वृश्चिक होगी तब लग्न में 8नंबर डालेगा और सूर्य लिखा जायेगा ! ये लग्न साधारण तया दो से ढाई घंटे  तक चलती है !आधा घंटा ऊपर नीचे हो सकती है ये उस दिन के नझत्रो की चाल पे आधारित होगा !उसके पश्चात अगला नंबर डल जाएगा यानि सूर्य उदय के समय अगर मान ले की सिंह लग्न थी तो फिर 6नंबर यानि की कन्या राशि आजायेगी सिंह राशी सूर्य के साथ एक घर पीछे बारहवे घर में होगी और लग्न में 6नंबर डाला होगा और लग्न कन्या हो जाएगी अगर उस समय कन्या राशी में कोई ग्रह होगा तो वो ग्रह लिख दिया जायेगा मान ले की उस दिन उस समय कन्या राशी में मंगल एव बुध हो तो मंगल बुध लिख देगे !इस प्रकार 24 घटे में 12लग्न बन जाती है जो की समय और दिन पे आधारित होती है अब ये सब बहत आसान हो गया है कम्पूटर पे समय दिन साल ज़गह और नाम डाल दीजये लग्न सहित कुंडली बन जाती है! मेने तो एक जिग्यासा सांत करने के लिए ये सब लिख दिया मुझ से करीब करीब हर इन्सान ये पूछ ही लेता है लग्न क्या होती है इसको बदला नहीं जा सकता क्या ! तब मेरे मन में ये ख्याल आया की लग्न पे कुछ लिखे आगे भी लिखुगा जेसे जेसे विचारों को लिखने की आदत पड़ती जाएगी अभी अभी सुरु किया है बाबा लकी                                                    
           
                       लग्न के महत्व को निचे दिए आधार के दवारा और समझा जा सकता है
जब शुरू शुरू में कुंडली देखनी शुरू किया तो मुझे ये समझने में दिक्कत आ रही थी  की किन ग्रहों को आप आधार माने ! कई ज्योतिषियों की गड़ना मे इस त्रुटी को साफ़ देखा जा सकता है वो सीधे भाव पर  बेठे ग्रहों के आधार से उस भाव के बारे में बोलना या लिखना शुरू कर देते है जिसके बारे में कुंडली दिखाने वाला आया है जेसे की तीसरे भाव का उधारण देकर बताता हु तीसरे भाव से साधारणतया भाई बहन पुरषार्थ पराक्रम के बारे में बताया जाता है किसी ने पूछा की मेरी भाइयो से केसी रहेगी उन्होंने तीसरे भाव में बेठे ग्रहों को देखा और बताना शुरू कर दिया या फिर तीसरे भाव के गृह स्वामी की इस्थिति देखी और उसके अनुसार बता दिया ये साधाण प्रेक्टिस की बात कर रहा हू पर इससे साधारण तया अनुमानित  या आंशिक ही फलादेश मिलता है !लेकिन अगर आप उपरोक्त ग्रहों को लग्नाधिपति और लग्न में बेठे ग्रहों से मिलाकर या फिर उनसे सामंजस्य  बिठा कर फलादेश बतायेगे तो मेरे अनुभव से कही सटीक और सही बता पाएंगे आपकी कही हुई बात ज्यादा  पुख्ता साबित होगी ! मेरे हिसाब से किसी भी भाव का फलादेश बताने में इन दी हुई बातो का ध्यान रख लिया जाए तो देखने और दिखाने वाले दोनों को ही मज़ा आ जाएगा उदहारण के लिए में फिर तीसरे भाव को ही ले रहा हु मे अगर तीसरे भाव का फलादेश बता रहा हू तो सबसे पहले में देखूगा तीसरा भाव साधारण तया से किस किस का है ! ये तो में ऊपर बता चुका हु फिर किस राशि का है ये देखूगा जेसे की तीसरा भाव मिथुन राशि का हें ! फिर देखूगा तीसरे भाव में कोन सा गृह बेठा है या फिर कोन कोन से ग्रह बेठे है फिर देखूगा की उन पर किन किन ग्रहों की द्रष्टी पड़ रही है फिर इन सभी उपरोक्त बातो (ग्रहों की) का लग्नाधिपती और लग्न में बेठे ग्रहों के साथ केसा सामंजस्य बेठ रहा है देखने के पश्चात ही तीसरे भाव की भविष्यवाणी करूगा या फिर उनके स्वभाव के बारे में दिखाने वाले के साथ केसा रहेगा के बारे में बता पाउँगा ! ये मेरे अपने विचार है अगर हो सके  तो इन्हें अजमा के देखे फलादेश देने में संतुष्टी मिलेगी और दिखाने वाले का विश्वाश भी बढेगा आगे भी लग्न के बारे में लिखता रहूँगा

आज से में सोच रहा हु की योग के बारे में भी लिखू ! यै क्या होते है केसे बनते है इनका जीवन या फिर ये कहू जिस कुंडली में जितने योग होते है उनपर भविष्यवाणी करना उतना मुश्किल होता है !खेर इस सब पर आपन आने वाले समय पे धीरे धीरे समझेगे लेकिन में ऐक बात ज़रूर कहता हूँ की कुंडली में योग का बहुत महत्व है इसके बिना कुंडली को समझाना समझना भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है चलिए धीरे धीरे चर्चा करेगे समझेगे समझायेगे !लेकिन अब एक बात करने की कोशिश ज़रूर करेगे वो ये की जब भी पेज बंद करेगे  उसके पहले एक योग ज़रूर लिखेगे  चाहे उस पर चर्चा बाद में करे आज में जिस योग के बारे में लिख रहा हूँ वह जीवन के लिए अती महत्वपूण योग है इसका अभाव अपने आप में बहुत दर्द देता है दुनिया की निगाहों में बहुत से सवाल आप के प्रति पैदा करता है बाकि इस पर बाद में चर्चा करेगे अभी तो में योग लिख रहा हूँ यह योग है किसी इन्सान की शादी का ना होना ये भी एक प्रकार का श्राप है ! लेकिन दुनिया में है ऐसे लोग जिनका विवाह नही होता जीवन इस श्राप को भोगता है वो इसके बारे में कुझ भी बोले कोई भी दलील दे इसे कोई भी   कुंडली विशेषग्य कुंडली का दुर्भाग्य ही मानेगा  !यह योग कुंडली में ग्रहों एवम ग्रहों के द्रष्टि संबंध किसी विशेष इस्थान पर होने से बनता है जब सप्तम भाव,सप्तमेश तथा शुक्र तीनो पीडित हो तथा निर्बल हो और इनमे किसी पर भी कोई शुभ युति अथवा द्रष्टि न हो तो मनुष्य को पत्नी की प्राप्ति नहीं होती !यहाँ बिलकुल स्पष्ट है की विवाह के तीनो अंग (फेक्टर्स )निर्बल होने से विवाह नहीं होगा !                                              

                   
                                                               लग्न में गोचर का महत्व
कुंडली में गोचर का महत्व उतना ही होता है जितना की कुंडली देखते वक्त लग्न कुंडली में बेटे ग्रहों का पहले में आप को बताता हूँ गोचर होता क्या हैं असल में गोचर उसे कहते है जितने समय का आप अपनी कुंडली का फलादेश निकालते है उतने समय तक ग्रहों की इस्तिथि किस राशि में केशी हैं उसे साधारण तया गोचर कहते हैं याने की लग्न हुई ज़न्म के समय में ग्रहों की इस्तिथि की किस घर और किस भाव में ग्रह बेटे है और गोचर हुआ आज की इस्तिथि में ग्रहों की राशी और किन भावो में बेटे हैं इसे साधारण तया चन्द्र की चाल से तथा लग्न की उत्पत्ति से निकालते हैं क्योकी ग्रहों में सबसे तेज चाल चन्द्र की होती है यह दो से ढाई दिन में अपनी राशि बदल लेता है और लग्न भी दो से ढाई घंटे में बदल जाती हैं साधारण तया !अब में अपने ज्ञान के अनुसार आगे लिख रहा हूँ क्योकि ज़्यादातर ज्योतिष कुंडली के लग्न चक्र को देख कर फलादेश निकाल देते है लेकिन इसमें मेरे अनुमान से फलादेश अनुमानित या फिर संभावित ही आयेगा आप एक अंदाज का ही फलादेश निकाल पायेगें !फलादेश जायदा सही निकालने के लिए लकी बाबा के सूत्र को लगाना चाहिए बाबा लकी ने लिखा हैं या लिख रहे हैं की किसी भी कुंडली को विचारते समय लग्न कुंडली के साथ साथ गोचर भी बना लेना चाहिए लकी बाबा का मानना हैं की कुंडली में ग्रह कितना ही अच्छा या फिर कितना ही खराब क्यों ना बेटा हो उसके फल अलग अलग हो जायेगे ज़ेसेकी कुंडली में अगर शनी तुला राशि में बेटे हैं तो साधारण तय ज्योतिषी शनी की महादशा को बहुत बढिया मान कर बताना शुरू कर देते है ज़ब्की दिखाने वाला इंसान बार बार उनकी बात काट कर कहता हैं की गुरूजी ऐसा तो नहीं हो रहा है या फिर दिखाने वाला इंसान गुरूजी के बताये समय के आगे पीछे आकर कहता हैं की आपने तो कहा था की यहाँ से अच्छा समय सुरु हो जायेगा लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ आप उसको कुछ न कुछ बहाना बना कर दस पन्द्रह दिन के लिए टाल देते हैं लेकिन बार बार उसके आने से परेसान भी होते है आपकी साक या सम्मान में जो कमी आती है वो भी कम नही होती लेकिन इस सबसे बड़ी बात ये होती हैं की उस इन्सान का इस विज्ञान या फिर इस ज्ञान से भरोषा उठ जाता हैं और ये लकी बाबा का मानना हैं की यही वो जाने अन जाने में आप को कही श्राप देता है जो उस समय तो आप को सही समझ में  नहीं आता लेकिन धीरे धीरे सब समझ में आ जाता है  ! बाबा लकी का मानना है की कुंडली देखते  समय कुछ बातो का ध्यान रख ले  तो परिणाम बहुत अच्छे आ जायेगे बाबा का मानना है किसी भी कुंडली को देखते समय लग्न चक्र के साथ साथ गोचर चक्र का भी ध्यान रखो या फिर उसे भी बना लो उसके पश्चात उस महादशा का या फिर जिस ग्रह की भविष्यवाणी कर रहे हो उसका लग्न से केसा संबन्ध बन रहा है लग्न की इस्तिथि गृहकी इस्तिथि महादशा की इस्तिथि का गोचर की इस्तिथि के साथ मिलाकर उनमे सामंजस बनाकर सामंजस केसा बन रहा हैं उसके हिसाब से फलादेश बतावोगे तो ज्यदा सटीक और सुखद आयेगा अब अगर ऊपर वाली इस्थिति के अनुसार शनि तुला राशि में बेटे है और गोचर में भी शनि तुला राशि में या फिर अपनी खुद की राशि मकर या कुम्भ राशि में बेटे है अथवा किसी मित्र ग्रह की राशि में बेटे है तो ऊपर आपके ही दिए अनुसार फलादेश आयेगा शनि की महादशा आते ही दिखाने वाले इंसान के अच्छे दिन सुरु हो जायेगे लेकिन अगर शनि गोचर में किसी शत्रु राशि में बेटे है तो फिर शनि के फलादेश उतने अच्छे नहीं आयेगे इसलिए गोचर और लग्न कुंडली में सामंज्यस बिटाकर बताने पर फलादेश जायदा शाटिक आयेगा और  देखने वाले और दिखाने वाले दोनों ही को मज़ा आयेगा आपकी ख्याति बढेगी वो अलग यही वो जाने अनजाने में आप को दुआ देता हैं जिसका असर उस समय तो आपको नहीं समज आयेगा लेकिन धीरे धीरे अशर पता चलेगा इस विज्ञान और ज्ञान में उसकी आस्था बढेगी वो अलग
धीरे धीरे लग्न के बारे में और लिखेगे              
बाबा लकी                              

                                  जन्म कुंडली में ऋण योग 

मेने आप से कहा था की जब भी लेख ख़त्म करेगें किसी ऐक योग के बारे में लिखेगे आज आप को में ऋण योग के बारे में बता रहा हू अगर किसी कुंडली में आप ग्रहों में आपस में जेसा में लिख रहा हु सामंजस बेटा होगा तो मान कर चलिए की ऐसे मनुष्य अक्सर ऋणों में फसे रहेगें इस में ये ज़रूरी नहीं की वो मनुष्य है या फिर महिला !मेरे पास अक्सर ऐसे लोग आते है जो आते ही कहते है गुरु जी इन कर्जो से कब मुक्ति मिलेगी एक उतरता नहीं है की दुसरा पहले चढ़ जाता हैं इससे किसी तरह निजात दिलादो हम नहीं चाहते की किसी का कर्जा हमारे सर हो लेकिन ना जाने क्या होता है की एन केन ये हो ही जाता है कभी इ ऍम आइ कही रिश्ते दारो का तो कभी दोस्तो से लेना पड़ जाता हैक्या जिंदगी ऐसे ही गुज़रेगी ! ब्याज भी दो शर्मिदगी भी उठावो जितना कमाते नहीं उससे ज़्यादा तो ब्याज दे देते है अपनी शारी इच्छाये तो मर ही गई है क्या ये ज़िदगी एशे ही गुज़र जाएगी लोगो को कमा कमा कर देने में ही आखिर हमने ऐशा कोन सा पाप किया है की कमाए हम ओर एश कोई ओर करे जितना धन हम लेते है उससे कई गुना ज्यादा तो ब्याज दे देते है मूल की तो बात ही अलग है !मुझे भी बात समझ में आरही थी लेकिन कुंडली से या फिर कुंडली में ऐसी कोन से गृह बेटे हे जिनकी वज़ह से कर्जा सर चढ़ जाता है !बहुत तलाशा उतना मन को शंतोष नहीं मिला जितना मिलना चाहिए कुंडली में बेटे ग्रहों  को बहुत मिलाया द्रष्टी संबन्ध भी मिलाकर देखा लेकिन वो बात नहीं आई ज़िसशे मन को संतोष मिलजाता प्रश्न भी बहुत गंभीर है इधर उधर कर के नहीं छोड़ा जा शकता क्योकि दिन में ऐक ना ऐक कुंडली दिखाने वाला ये शवाल पूछ ही लेता है फिर अचानक ये ख़याल आया की हो शकता हो की ये कुंडली में किसी खाश योग की वज़ह से होता हो फिर मेने इस पर काम शुरू किया बात काफी हद तक बन गई मन को शंतोश भी है की कोई गलत बात बताकर सामने बेटे इन्शान को मूर्ख नहीं बना रहे है ! ये योग मेरे ख्याल से इस प्रकार से बनता है की किसी इन्शान की कुंडली में ज़ब दिए अनुशार विशेष रूप सेयोग बना कर ग्रह निम्न अनुशार बेट जाए तो ऋण योग कुंडली में लग ही जाएगा और जातक या फिर कुंडली जिसकी है उसके ऊपर किसी ना किसी रूप में कर्जा रहेगा ये योग इस तरह से बनेगा की छट़े इस्तान के स्वामी का तथा छटे से छटे भाव के स्वामी का सम्बन्ध ज़ब  दुतीय भाव तथा उसके स्वामी दोनों से ही हो तो मनुष्य ऋणग्रस्त रहता है !
ये इस प्रकार से होगा क्योकि छटा इस्तान रोग ऋण रिपु का है भावत भावम के सिद्धांत के अनुशार एकादश भाव भी ऋण होजायेगा इसलिए षष्टेश तथा एकादशेश के धन अथवा धनेश से सम्भन्ध होने पर मनुष्य की कुंडली में ऋण योग बनेगा ही और जिश मनुष्य की कुंडली है उस पर ऋण ऐन केन चढ़ ही जायेगा ! उदारण के लिए में बताता हूँ जिस इंसान की कुंडली में लग्न मिथुन होतो उसके छटेभाव का तथा ग्यारहुये भाव का स्वामी मगंल ग्रह होगा और अगर ये मंगल गृह कुंडली के ग्यारहुये भाव में बेटा हो तो ये छटेका स्वामी हो कर अपने से छटे होकर आये भाव में बेटा है जिससे मंगल ग्रह आये भाव में अपने से छटे होकर आये भाव को ऋणी बनाएगा जिससे कुंडली में ऋण योग बनेगा तब वो मनुष्य जिसकी कुंडली में इस प्रकार से ग्रहहोगे वो हमेशा रिनी रहेगा                        






















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