शनि का वृश्चिक राशि में मार्गी होना
शनि वृश्चिक राशि में 15 मार्च 2015 से दिन के 8: 31 मिनिट से वक्री थे । हिंदी पंचांगों में वक्री होने की तारीख अलग - अलग है । साधारणतः सारे पंचांगों की तारीख निकालु तो 10 मार्च से 18 मार्च के बीच शनि वक्री हुए ।और दिनांक 2 अगस्त 2015 की रात 1:58 से मार्गी हो गए हैं ।सभी पंचांगों की गणनाएं देखे तो 27 जुलाई से 6 अगस्त के बीच में करीब - करीब सभी पंचांगों में शनि मार्गी हो गए हैं । शनि चूँकि वृश्चिक राशि में विराजित हैं , वृश्चिक एवं मेष राशि दोनों ही मंगल की राशि हैं । मंगल की राशि में शनि को , खासकर मेष में नीच का माना जाता है । वृश्चिक राशि में भी शनि की उग्रता या उनका मूल स्वभाव बहुत उग्र हो जाता है । शनि को मूल रूप से शरीर में पैरों में माना जाता है । मंगल अग्नि का कारक होता है , इस वजह से शनि और मंगल से सम्बंधित वस्तुएं , इंसान , प्रकृति , राजनीति एवं धार्मिक स्थितियों में भारी उथल - पुथल होने के सम्भावना है । जैसा मैंने पूर्व में भी कहा था की , 3 तारीख़ के पश्चात वाहन दुर्घटनाएं , जीवन के प्रति संघर्ष काफी बढ़ जायेगा । कहने का तात्पर्य यह है की मंगल से सम्बंधित ज़मीन एवं ज़मीन से नीचे की वस्तुओं के मूल्यों में भारी उठा - पठक होगी । उदाहरण : सोना , चाँदी , लोहा, पेट्रोल । इसी प्रकार, जो,जमीन के नीचे की खाने - पीने की सामग्री होती है उनके मूल्यों में भी भारी उठा - पठक होगी ।
शनि को लोहा, चक्का (wheel ), कर्म के न्याय का देव कहा गया है, इस वजह से दुर्घटनाये खासकर : ट्रैन , बस , प्राकृतिक विपदायें , २ तरीक से लगातार बढ़ेंगी । खासकर 15 सितंबर तक यह स्तिथि ज्यादा उग्र रहेगी , क्यूंकि , 15 सितंबर तक मंगल कर्क राशि में रहेंगे जहा पर मंगल को नीच का या खराब माना जाता है। इन स्तिथियों की वजह से प्राकृतिक विपदायें वाहन दुर्घटनाये बहुत अधिक मात्रा में बढ़ी रहेंगी । मंदी का दौर एवं दुर्घटनाये जो 15 मार्च से 27 जुलाई तक जो थोड़ा कमज़ोर पड़ा था या वह अब 27 जुलाई से फिर उग्र हो जायेगा । राजनितिक अस्थिरता काफी तेज़ी से आगे बढ़ेगी । धार्मिक उन्माद उग्र रूप धारण करेगा । शनि के वृश्चिक राशि में रहते - रहते लगातार जातीय दंगे होने की सम्भावनाये है ।
सूर्य दिनांक 17 अगस्त की रात से सिंह राशि में पहुंच जाएंगे, जहा वह मंगल से अलग हो जायेंगे । कहने का तात्पर्य यह है की सूर्य ग्रहों के राजा है , और आज की तरीक में राष्ट्र अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष सरकार के मुखिया होते है । जिन - जिन मुखियाओं के सूर्य कमज़ोर है या शत्रु ग्रहो की दृष्टी में आते हैं उन्हें विशेष रूप से सत्ता संघर्ष करना पड़ेगा । राजनितिक, सामाजिक एवं आर्थिक उथल - पुथल , प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्टार पर ज़्यादा रहेगी। यह स्तिथि 4 सितम्बर 2015 तक उग्र रूप धारण किये रहेगी ।
LUCKY BABA
Om Sai…
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