Friday, August 7, 2015





शनि का वृश्चिक राशि में मार्गी होना 




शनि वृश्चिक राशि में 15 मार्च 2015 से दिन के 8: 31 मिनिट से वक्री थे । हिंदी पंचांगों में वक्री होने की तारीख अलग - अलग है । साधारणतः सारे पंचांगों की तारीख निकालु तो 10 मार्च से 18 मार्च के बीच शनि वक्री हुए ।और दिनांक 2 अगस्त 2015 की रात 1:58 से मार्गी हो गए हैं ।सभी पंचांगों की गणनाएं देखे तो 27 जुलाई से 6 अगस्त के बीच में करीब - करीब सभी पंचांगों में शनि मार्गी हो गए हैं । शनि चूँकि वृश्चिक राशि में विराजित हैं , वृश्चिक एवं मेष राशि दोनों ही मंगल की राशि हैं । मंगल की राशि में शनि को , खासकर मेष में नीच का माना जाता है । वृश्चिक राशि में भी शनि की उग्रता या उनका मूल स्वभाव बहुत उग्र हो जाता है । शनि को मूल रूप से शरीर में पैरों में माना जाता है । मंगल अग्नि का कारक होता है , इस वजह से शनि और मंगल से सम्बंधित वस्तुएं , इंसान , प्रकृति , राजनीति एवं धार्मिक स्थितियों में भारी उथल - पुथल होने के सम्भावना है । जैसा मैंने पूर्व में भी कहा था की , 3 तारीख़ के पश्चात वाहन  दुर्घटनाएं , जीवन के प्रति संघर्ष काफी बढ़ जायेगा । कहने का तात्पर्य यह है की मंगल से सम्बंधित ज़मीन एवं ज़मीन से नीचे की वस्तुओं के मूल्यों में भारी उठा - पठक होगी । उदाहरण : सोना , चाँदी , लोहा, पेट्रोल । इसी प्रकार, जो,जमीन के नीचे की  खाने - पीने की सामग्री होती है उनके  मूल्यों  में भी भारी उठा - पठक होगी ।   

शनि को लोहा, चक्का (wheel ), कर्म के न्याय का देव कहा गया है, इस वजह से दुर्घटनाये खासकर : ट्रैन , बस , प्राकृतिक विपदायें , २ तरीक से लगातार बढ़ेंगी । खासकर 15 सितंबर तक यह स्तिथि ज्यादा उग्र रहेगी , क्यूंकि , 15  सितंबर तक मंगल कर्क राशि में रहेंगे जहा पर मंगल को नीच का या खराब माना जाता है। इन स्तिथियों की वजह से प्राकृतिक विपदायें वाहन दुर्घटनाये बहुत अधिक मात्रा में बढ़ी रहेंगी । मंदी का दौर एवं दुर्घटनाये जो 15 मार्च से 27 जुलाई तक जो थोड़ा कमज़ोर पड़ा था या वह अब 27 जुलाई से फिर उग्र हो जायेगा । राजनितिक अस्थिरता काफी तेज़ी से आगे  बढ़ेगी । धार्मिक उन्माद उग्र रूप धारण करेगा । शनि के वृश्चिक राशि में रहते - रहते लगातार जातीय दंगे होने की सम्भावनाये है ।



सूर्य दिनांक 17 अगस्त की रात से सिंह राशि में पहुंच जाएंगे, जहा वह मंगल से अलग हो जायेंगे । कहने का तात्पर्य यह है की सूर्य ग्रहों के राजा है , और आज की तरीक में राष्ट्र अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष सरकार के मुखिया होते है । जिन - जिन मुखियाओं के सूर्य कमज़ोर है या शत्रु ग्रहो की दृष्टी में आते हैं उन्हें विशेष रूप से सत्ता संघर्ष करना पड़ेगा । राजनितिक, सामाजिक एवं आर्थिक  उथल - पुथल , प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्टार पर ज़्यादा रहेगी। यह स्तिथि 4 सितम्बर 2015 तक उग्र रूप धारण किये रहेगी ।     



LUCKY BABA 

Om Sai…   









  

Thursday, August 6, 2015

केमन्द्रम योग 


केमन्द्रम योग को अगर किसी कुंडली में पाया जाता है तो साधारणतः ऐसे मनुष्य को अपने किये हुए कृत्यों से बहुत परेशानी उठानी पड़ती है । कई बार उसके जीवन में उसकी ज़रूरत के हिसाब से उसके पास जो चीज़े होती है वह निर्धनता के करीब ले जाती है , जीवन में बहुत उतार - चढ़ाव आते हैं : मानसिक रूप से, सामाजिक रूप से और खासकर आर्थिक रूप से । इस योग का मुख्य कारक चन्द्रमा होता  है। चन्द्रमा से सम्बंधित सारी तकलीफें तो आती ही है जीवन में , जैसे की मानसिक रूप से पीड़ित होना ,या इस पीड़ा से गुज़रना। 


केमन्द्रम होता क्या है :


1. किसी की कुंडली में चन्द्रमा से दूसरा घर (द्वितीय भाव) एवं बारवां घर (द्वादश भाव) में अगर कोई गृह न हो तो केमन्द्रम नाम का दरिद्र पूर्ण योग उस कुंडली में बन जाता है । 


 2. जब चन्द्र किसी गृह से युत ना हो और ना उससे अगले तथा पिछले केंद्र में कोई गृह स्थित हो तब केमन्द्रम नाम का दरिद्रता योग बनता है । 


चन्द्र जहाँ स्थित होता है उसको चन्द्र लग्न कहते हैं । या जिन देशो में चन्द्र से राशि निकाली जाती है वहाँ पर चन्द्र जिस राशि पर बैठा होता है उस जातक को उस राशि के नाम से जाना जाता है (moon  sign ) और कई देशो में राशि सूर्य से देखी जाती है (Sun Sign) । भारत में साधारणतः ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र राशि देखी (moon sign) जाती है।  जब भारत में राशि कुंडली बनाई जाती है तो चन्द्र लग्न होता है जिसे चन्द्र लग्न कहते है । धन प्राप्ति , मानसिक स्थिति , एवं व्यवहार में चन्द्र लग्न का बड़ा महत्त्व होता है ।इसीलिए साधारण इंसान अपनी राशि से अपने दिनों का एवं भविष्य का आंकलन कर लेता है।


चन्द्र के विषय में इस सिद्धांत को स्वीकार लेना चाहिए की अगर चन्द्र पर किसी भी गृह का प्रभाव ना हो तो उसे निर्बल या कमज़ोर चन्द्र मानना चाहिए । निर्बल चन्द्र का अर्थ चन्द्र लग्न का कमज़ोर होना या फिर राशि का कमज़ोर होना माना जायेगा। इसका तात्पर्य यह है कि जिस मनुष्य की कुंडली में यह स्थिति होगी वह धन, स्वास्थ्य यश , बल आदि से वर्जित होगा या कमज़ोर होगा।  में यहाँ यह भी थोड़ा सा समझाएं चाहता हूँ कि कैसे चन्द्र पर कोई प्रभाव नहीं होगा या नहीं माना जाएगा ।  पहला : एक स्थिति तो यह है की चन्द्र के द्वादश स्थान में कोई गृह ना हो । दूसरी स्थिति यह है : कि चन्द्र ना तो किसी गृह से युक्त हो अथवा उसपे किसी गृह की दृष्टी पड़ती हो, ना ही इसके केंद्र में कोई गृह स्थित हो । कहने का मतलब यह है कि चन्द्र पूर्ण रूप से निर्बल हो ।  तब सम्पूर्ण केमन्द्रम योग लगेगा ।       

लेकिन यहाँ पर एक चीज़ का ध्यान रखना चाहिए की लग्नकुंडली  में अगर चन्द्र केंद्र में है तो केमन्द्रम योग की तीव्रता में कमी आ जायेगी । इसकी तीव्रता में कमी और भी कई वजहों से आयगी जिसके बारे में मैं बाद में लिखूंगा । 


उपरोक्त कुंडली जो मैंने बताई है इस मनुष्य को केमन्द्रम योग लगा हुआ है । इनका  विवाह नहीं हो पाया।इनके जीवन में कई महिलाओं से सम्बन्ध होने के बावजूद भी विवाह नहीं हुआ ।धीरे - धीरे इनका करोड़ों का व्यापार समाप्त हो गया ।भाई - बंधुओं से इनकी नहीं निभी । अंत में बीमारी से ग्रसित होकर साधारण जीवन गुज़ार रहे है ।     


NOTE : इस योग को में आगे और विस्तृत तरीके से समझाऊंगा । 

LUCKY BABA 

Om sai…  

Wednesday, August 5, 2015









Lucky  Baba 

प्रादेशिक राजनीति एवं राष्ट्रीय राजनीति में अहम फ़र्क 



मेरा अपना यह अनुभव है की भारत जैसे राष्ट्र में जहा संघीय प्रणाली है (राज्यों का समूह) जहा पर विभिन्न - विभिन्न प्रांतो में वहाँ के मुखिया (मुख्य मंत्री) अपने प्रदेश की कार्यव्यवस्था एवं प्रदेश की प्रगति एवं अव्यवस्था के लिए उत्तरदाई होता है, जिसका साधारणतः उसके प्रदेश की जवाबदेही के अलावा अन्य राज्यों की  स्थिति से बहुत ज्यादा सम्बन्ध नहीं रहता वह साधारणतः अपने प्रदेश की राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं जातीय समीकरणों से प्रदेश के उत्थान के लिए कार्य करता है । कहने का तात्पर्य यह है की प्रदेश की स्थिति के अलावा देश की स्थिति में वह ज्यादा असर नहीं डालता । इस वजह से  प्रादेशिक नेता बहुत लम्बे समय तक राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित होने में एवं राष्ट्रीय सोच लाने के लिए , अपनी सोच को राष्ट्रीय सोच बनाने के लिए संघर्षरत रहते हैं ।  करीब - करीब यही स्थिति  वर्त्तमान में देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी में दिखाई दे रही है । उनके और उनके मंत्री मंडल में जो सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है या फिर राष्ट्रीय मुद्दो पर निर्णय नहीं ले पाते है, एवं लोक सभा जो की प्रजातंत्र का सर्वोच्च मंदिर या यु कहे की सर्वोच्च मंच है , उससे या तो वह अनुपस्थित रहते है या फिर चुप्पी साधे लेते  है।    


अपनी चुनावी सभाओं में जो साधारणतः सम्बोधन की जगह दहाड़ा करते थे या गरजा करते थे (ऐसा समाचार माध्यमों  द्वारा लिखा जाता था) , वह या तो लोकसभा में अनुपस्थित रहते है या फिर उपस्थिति के बावजूद भी अनुपस्थित से दिखाई देते हैं । मैंने जब भी दूरदर्शन में उन्हें लोक सभा में बैठे देखा है तब उन्हें साधारणतः राष्ट्रीय राजनीति में जो लोग शुरू से सक्रीय रहे है (जेटली जी, नायडू जी, सुषमा जी ) से खुसुर - पुसुर करते हुए ही देखा है । कहने का तात्पर्य यह है की चुनावी सभा में गरजना , दहाड़ना अपनी जगह है लेकिन जब भी प्रादेशिक नेता राष्ट्रीय राजनीति में आता है तो बड़ा असहज सा दिखाई देता है । राष्ट्रीय मुद्दो पर चुप रहना (खामोश), राजनैतिक चाल भले ही हो सकती हो किन्तु, राष्ट्र बहुत असहज हो जाता है जिसके दुष परिणाम राष्ट्र एवं राष्ट्र की जनता को काफी लम्बे समय तक भोगने पड़ते हैं । कमोबेश यही स्थिति पूर्व प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी की चुप्पी भी थी, जिसे देश  एवं उनकी पार्टी भोग रही है । प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी , जिस तरह आप गुजरात चलाया करते थे यह मान कर चलिए की राष्ट्र उस तरीके से नहीं चलेगा । 


मुझे अच्छे से याद हैं , गुजरात दंगो के पश्चात आप ने जिस खूबी से गुजरात की प्रशासनिक व्यवस्था को अपने अधीन कर लिया था या पंगु बना दिया था एवं, समाचार माध्यमो के द्वारा यह साबित कर दिया था की गुजरात हिंदुस्तान में स्वर्ग है , वैसे ही अब आप इस पूरे राष्ट्र को (भारत देश को) प्रादेशिक नेता की छवि से उठ कर या फिर हिन्दू वादी नेता की छवि से उठ कर, राष्ट्रीय मुद्दो पर, प्रजातंत्र के सर्वोच्च मंच लोक सभा में गरजे या दहाड़े : कहने का तात्पर्य है की राष्ट्रीय मुद्दो पर खासकर भाजपा पार्टी से सम्बंधित राष्ट्रीय एवं राजकीय मुद्दो पर निर्णय लेने की आदत डाले ।  क्यूंकि , अब आप प्रदेश के मुख्य मंत्री नहीं है, इस राष्ट्र के प्रधान मंत्री हैं । जहा राज्य एवं राष्ट्र दोनों ही संविधान के द्वारा आपको जवाबदेह बनाते है । कृपया करके, जवाबदेही के वक़्त आप खामोश न रहा करे , राष्ट्र एवं राष्ट्र के नागरिक अपने आप को असहज महसूस करने लगते हैं ।

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी : गुजरात के मुख्य मंत्री पद से उठ कर देश के प्रधान मंत्री पद की गरिमा के अनुरूप, राष्ट्रीय मुद्दो पर जवाब दे । अब प्रदेश नहीं राष्ट्र आपके हाथ में है । 


  

LUCKY BABA 


Om Sai....               

















Thursday, July 30, 2015

ना हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा , इंसान की औलाद है इंसान बनेगा 




प्रीय कलाम,


तुम कैसे सुपुर्दे ख़ाक हो जाओगे ….... पूरे विश्व के जन मानस पर तुम छाए रहोगे ।
तुम हमसे जुदा  होकर तो दिखाओ।






LUCKY BABA

Om  sai…    

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी अपनी उम्र कृपया कर रुपये को ना बताएं 


आजकल भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी अजीब सी स्तिथि  में है , समझ में नहीं आ रहा है कि यह कौन सा आकार ले रही है । बड़ी उम्मीदों से भारतीय जनमानस ने कई - कई सालो बाद भारत देश में फिर से एक स्थिर सरकार के लिए जनादेश दिया । शायद इस 125 करोड़ भारतवासियो के दिल - दिमाग में सयुंक्त सरकारों से विश्वास उठ गया था या फिर श्री नरेंद्र मोदी , जो आज कल देश के प्रधान मंत्री हैं, के लोक - लुभावन नारो से प्रभावित हो गए थे । ऊपर से उस समय प्रधान मंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी जी का जन - मानस की दुखती हुई नस को पकड़ लेना एवं प्रचार - प्रसार के माध्यम से इतना प्रचारित कर देना की 125 करोड़ भारतवासियो को नरेंद्र मोदी के कहे हुए वाक्यों में भारत देश का भविष्य एवं उनके अच्छे दिन आ जायेंगे , पूर्ण होता हुआ दिखाई देने लगा था । उस समय श्री नरेंद्र मोदी अपने प्रचार - प्रसार में अति लोक - लुभावन नारो के साथ एक लोक - लुभावन नारा जो की भारत की स्मिता (इज़्ज़त) से जुड़ा हुआ था देना नहीं भूलते थे और वह था भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य सूत्रधार रुपये का लगातार अवमूल्य या अपनी स्तिथि  से कमज़ोर हो जाना । 


चूँकि उस समय देश के प्रधान मंत्री एक अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जी थे, इसीलिए इस गिरते हुए रुपये की साख पर उनका यह नारा कि रूपया कही मनमोहन सिंह जी की उम्र के बराबर न हो जाए , लोगो के दिल दिमाग को छू गया था । चूँकि, विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी के बाद उभर रही थी , इस वजह से अंतर्राष्ट्रीय विनिमय (व्यापार) में बहुत तेज़ गति आ गई थी। चूँकि अमेरिकन डॉलर (रूपया) मुद्रा की विश्व की मान्यता प्राप्त मुद्राओं में से एक है , भारत देश अपनी कई व्यापारिक एवं सामाजिक कमज़ोरियों से जूझता हुआ आगे बढ़ रहा था, व्यापार के नए आयाम तलाश रहा था , अमेरिका अपनी मंदी से उभर रहा था , तो यह स्तिथि तो निर्मित होनी ही थी जिसका , भरपूर फायदा उस समय के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार श्रीं नरेंद्र मोदी ने इन परिस्थितियों को अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी की नीतियों की विफलता बता कर देश के मान - सम्मान से जोड़ कर उनका मजाक उड़ाते हुए ज्यादातर चुनावी सभा में कहते थे की रूपया जो की उस समय 63 - 64 रुपये के आस - पास पंहुचा था कही मनमोहन सिंह जी की उम्र को लाँघ ना जाये ।   


इससे प्रभावित होकर भारत के 125 करोड़ नागरिको के मान - सम्मान और इज़्ज़त को आप बचा लेंगे , मान कर आपको पूर्ण बहुमत की सरकार दी । और यह माना था की आप भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल कारक रुपये को अपनी उम्र से तो ज़्यादा नहीं जाने देंगे और उसके मान - सम्मान को बचा लेंगे ।  जबकि उस समय crude oil (petrol) का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 115 डॉलर था जो अब 50 डॉलर के नीचे आ चुका है। Gold : 1880 डॉलर के ऊपर था जिसका मूल्य अब 1100 डॉलर के नीचे आ चूका है । इसी प्रकार जिन - जिन चीज़ो का अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार एवं व्यापार से सम्बन्ध था उन सभी का मूल्य 50 प्रतिशत से ऊपर गिर चुका है। कहने का तात्पर्य यह है की , भारत को अपनी व्यापारिक गतिविधियों के लिए जो - जो चीज़े आयत करनी है (मांगनी है) वह सभी करीब - करीब आधे कीमत की हो गई है । यानि की कम डॉलर में ज़्यादा सामान ।    


उसके बावजूद 125 करोड़ भारतीयों का मान - सम्मान एवं अर्थव्यवस्था का मूल कारक रुपया , डॉलर की तुलना में (अमेरिकी मुद्रा)  भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आयु को छूने का प्रयास क्यों कर रहा है ? और इस देश के 56 इंची सीने वाले प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी खामोश क्यों है ? वह इस रुपये को समझा - बुझा कर इसे इसके मूल्य से गिरने से रोक क्यों नहीं रहे है ? प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आप जानो , रुपये की जिद्द जाने , आपका 56 इंची सीना जाने , आपकी बनाई हुई अर्थव्यवस्था की नीतियाँ जाने, मैं तो सिर्फ 125 करोड़ भारतवासियो में से एक नागरिक आपसे एक निवेदन करूँगा की इस भारत देश के रुपये के गिरते उए मूल्य को रोक कर भारतीयों के मान - सम्मान को बचाने का कष्ट करे ।     


आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी , रूपया 64 के पार हो चुका है, कृपया कर इसे अपनी उम्र ना बताये ।  

LUCKY BABA 

Om Sai....









              

  

Thursday, July 16, 2015

दिनांक 17  /7 /2015 से सूर्य का उदय कर्क लग्न में होगा

17 / 7/ 2015 शुक्रवार के दोपहर के 2 : 41 मिनट से सूर्य कर्क राशि में जा रहे हैं । तीन दिन पश्चात , दिनांक 20 / 7 / 2015 को 10 : 57  मिनट से रात्रि में बुद्ध भी कर्क राशि में पहुचेंगे ।18 तारीख तक सूर्य और चंद्र की युति रहेगी। मंगल बुद्ध की युति मिथुन राशि में रहेगी। गुरु और शुक्र की युति सिंह राशि में रहेगी।राहु एवं केतु: कन्या एवं मीन से दृष्टी सम्बन्ध में रहेंगे। सूर्य पुत्र शनि अपने पिता सूर्य से पंचम स्थान में रहेंगे। दोनों के बीच में नवम - पंचम का योग बनेगा। 



दृष्टी सम्बन्ध   



  • ग्रहों के राजा सूर्य अपनी सीधी दृष्टी से शनि की मकर राशि को देखेंगे एवं दिनांक 17 / 8 / 2015  तक शनि के साथ नवम - पंचम योग बनायेंगे।   

  • मंगल अपनी चौथी दृष्टी से कन्या राशि को देखेंगे जहाँ राहु विराजित हैं । 7 वीं दृष्टी से  नवीं राशि धनु राशि को देखेंगे एवं आठवीं दृष्टी से शनि की राशि  मकर को देखेंगे । 

  • राजा: सूर्य एवं उनके सेनापति :मंगल , दोनों की दृष्टी मकर राशि पर होगी । दोनों ही गृह पापी ग्रहों में गिने जाते हैं । 

  • मकर लग्न या फिर मकर राशि वालो को विशेष सावधानी रखनी होगी । अति उत्साह में किया हुआ कार्य जीवन भर का पछतावा दे सकता है । 

  • गुरु की दृष्टी : अपनी ही राशि धनु पर होगी । सातवीं (7 वीं) दृष्टी कुंभ राशि पर होगी । एवं नवीं (9 वीं) दृष्टी मेष पर होगी । धनु , कुम्भ एवं मेष राशि वाले या लग्न वालों का यह साल साधारणतः उनके द्वारा सोचे हुए कार्यों को पूर्ण करेगा । क्यूंकि, गुरु सबसे पुण्य ग्रहों में से एक कहलाते हैं और उनका दृष्टी सम्बन्ध बहुत शुभत्व देता है इसलिए धनु, कुम्भ एवं मेष राशि वाले जातकों को विशेष फल प्राप्त होगा।     

  • शनि की तीसरी (3) दृष्टी : अपनी खुद की राशि मकर पर होगी । सातवी (7) दृष्टी वृष राशि पर होगी । और दसवीं (10 ) दृष्टी सिंह राशि पर होगी जहाँ  गुरु और शुक्र विराजित है । मकर, वृष एवं सिंह राशि वालों को अपने किये हुए कार्यों में सावधानी रखनी होगी । न्यायिक प्रक्रिया से भी इन राशियों को या लग्न वालों को गुज़रना पड़ सकता है ।  

बाकी दृष्टी सम्बन्ध भी एक - दो दिन में लिखुंगा लकिन, पूर्व में जैसा मैंने कहा था उस बात को मैं  फिर कह रहा हूँ : कि, इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं रहेंगी । शनि चूँकि मंगल राशि में है इसलिए पृथ्वी पर होने वाली एवं पृथ्वी के नीचे से प्राप्त होने वाली मनुष्य के उपभोग की चीज़ो के दाम निश्चित नहीं रहेंगे, अस्थिरता बानी रहेगी । अब, चूँकि शनि और सूर्य का नवम - पंचम योग बन गया है, तो सुलझती हुई समस्याओं में  भी बढ़ोतरी आएंगी। इसी योग की वजह से एवं शनि का वृश्चिक राशि पर होने से मन्दी एवं प्राकृतिक घटनाओं का दौर और तेज़ी से बढ़ेगा । भारत जैसे देश में यह घटनाएँ विशेष रूप से होंगी । जैसे की : कही अति वृष्टि (अधिक पानी गिरना ) , कही सूखे के हालात, ज़मीनों के भाव नीचे जाना, ज़मीन के नीचे से प्राप्त होने वाली वस्तुओ के मूल्य नीचे जाना। Mining जैसे धन्दो में दिक्कते आना आदि ।          



LUCKY BABA 
Om Sai....  

Wednesday, July 15, 2015

व्यापम की बिल्डिंग को क्यों ना स्मारक बनाया जाए 



पूरी दुनिया में इतिहास को धरोहर के रूप में रखने के कई उपाय किये जाते हैं, उनमें से कुछ लेखन और किताबों के द्वारा रखे जाते हैं, कुछ साक्षों को एकत्रित करके अपने - अपने तरीके से रखा जाता है। कई जगह इतिहासकार या उस समय के भाँडो (चाटुकार) द्वारा महिमा मंडित करके लिखा जाता है , और कही चित्रकारी द्वारा रखा जाता है, पुरातत्व सामग्रियों को संगठित करके उस काल के बारे में समझाने की कोशिश की जाती है । लेकिन, मेरे अनुसार : पुराने भवनों को यथा स्तिथि में रख कर इतिहास को सहेजना सबसे उचित है । जब भी में किसी शहर या दिल्ली जाता हू तो इस तरीके की इतिहासिक बिल्डिंगों को देखने की इच्छा ज़रूर ज़ाहिर करता हू जिससे उस समय विशेष की या फिर उस वस्तु स्थिति के बारे में जानने का और अपने कौतुहल को शांत करने का, इतिहासिक चीज़ों को संगठित करने का यह सबसे अच्छा उपाय लगता है । 

VYAPAM घोटाला मेरे विचारों से एक इतिहासिक कुकृत्य है । इतिहासिक इसलिए की  इस कुकृत्य में सभी प्रकार का कुकृत्य शामिल है जैसे की , बालक एवं बालिकाओ का भविष्य, धन एवं भ्रष्टाचार , सत्ता एवं सत्ता का दुरूपयोग, सत्ता के गलियारों के दलालो का (भांडो का) VYAPAM पर वीर रस की कविताओं के सामान VYAPAM का महिमा मंडल करना एवं सत्ता प्रमुख (राज्यपाल एवं मुख्य मंत्री) द्वारा इस कुकृत्य में शामिल सभी लोगो को पारितोषक (इनाम) देना और इन सब घटनाओ के अलावा इतहिासिक घटना होने के लिए एक चीज और प्रमुख होती है कि उस इतिहास्कि घटना में कितने लोग मारे गए । तो इस VYAPAM की घटना में भी जितना समाचार माध्यमों से ज्ञात हो रहा है की 45 - 48 के  बीच जानें जा चुकी हैं । ऊपर बताई उपलब्ध सामग्री इतिहासिक घटना साबित करने के लिए , मेरे विचार से पर्याप्त है । 

मेरे विचार से सरकार को और किसी तथ्य की ज़रुरत नहीं पड़ेगी, सरकार इस व्यापम की बिल्डिंग को धरोहर के रूप में स्वीकार लेगी । VYAPAM की बिल्डिंग भी भोपाल में 10 रुपये 5  रुपये की टिकट देकर इतिहासिक घटना देखने योग्य हो जाएगी । इससे मध्य प्रदेश की सरकार को अपनी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ करने का मौका मिलेगा। मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है की भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी, प्रधान मंत्री बनने के बाद पर्यटन को उद्योग के रूप में जो स्थापित करना चाहते थे उस दिशा में भी मध्य प्रदेश की सरकार अपना योगदान दे सकेगी।जिस प्रकार की सफाई अभियान, योग अभ्यास अभियान में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधान मंत्री की योजनाओं को बड़ - चड़  कर क्रियान्वित किया।    

कुछ इतहास कार , कुछ पत्रकार एवं कुछ सत्ता के दलाल मेरे इस लेखन से सहमत ना हो और मुझ पर भड़कने की कोशिश करेंगे । में तो भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से प्रार्थना करूँगा की एक कमेटी बनाये जिसमें सभी वर्ग के लोगो का प्रतिनिधित्व हो जैसे की : राजनेता , कार्य कर्ता , वैज्ञानिक तथ्यों के प्रामाणिक कर्ता और भारत के विशेष इतिहासकार अगर यह सभी लोग निष्पक्ष या पूर्ण बहुमत से मेरी  बात से सहमत हो, तभी VYAPAM भवन को सरकार के द्वारा इतिहासिक शिक्षा मंडल (VYAPAM) घोषित किया जाए । इन सभी लोगो से बस निवेदन इतना रहेगा की बिल्डिंग की जो वस्तु स्थिति है, साक्ष है , उनको जाँच के पश्चात पूर्व  स्थिति में रख दिया जाए , जैसे की : जितने अधकारी है उनके कमरो की यथा स्थिति, उनके name plate के साथ।        

जिन लोगो ने इस भ्रष्टाचार को उजागर करके की भूमिका निभाई है उनकी इतिहासिक फोटोए , जिन - जिन तारीखों में कोर्ट के निर्णय आये है उन इतिहासिक तारीखों की पेपर की कटिंग से : कहने का तात्पर्य यह है की इस घटना से सम्बंधित जो भी सामग्री है उस सारी सामग्री को वैज्ञानिक तकनिकी के द्वारा वास्तु स्थिति में रखा जाए ।  मेरा अंतर मन बार - बार कह रहा है की व्यावसायिक शिक्षा मंडल भवन को सरकार के द्वारा इतिहासिक शिक्षा भवन करके सुरक्षित किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के पर्यटन व्यापार (tourism business) में मध्य प्रदेश का सहयोग जैसी अविस्मर्णीय घटना साक्शो के साथ हमेशा जीवित रहेगी । धन्यवाद । 



LUCKY BABA

Om Sai....