केमन्द्रम योग
केमन्द्रम योग को अगर किसी कुंडली में पाया जाता है तो साधारणतः ऐसे मनुष्य को अपने किये हुए कृत्यों से बहुत परेशानी उठानी पड़ती है । कई बार उसके जीवन में उसकी ज़रूरत के हिसाब से उसके पास जो चीज़े होती है वह निर्धनता के करीब ले जाती है , जीवन में बहुत उतार - चढ़ाव आते हैं : मानसिक रूप से, सामाजिक रूप से और खासकर आर्थिक रूप से । इस योग का मुख्य कारक चन्द्रमा होता है। चन्द्रमा से सम्बंधित सारी तकलीफें तो आती ही है जीवन में , जैसे की मानसिक रूप से पीड़ित होना ,या इस पीड़ा से गुज़रना।
केमन्द्रम होता क्या है :
1. किसी की कुंडली में चन्द्रमा से दूसरा घर (द्वितीय भाव) एवं बारवां घर (द्वादश भाव) में अगर कोई गृह न हो तो केमन्द्रम नाम का दरिद्र पूर्ण योग उस कुंडली में बन जाता है ।
2. जब चन्द्र किसी गृह से युत ना हो और ना उससे अगले तथा पिछले केंद्र में कोई गृह स्थित हो तब केमन्द्रम नाम का दरिद्रता योग बनता है ।
चन्द्र जहाँ स्थित होता है उसको चन्द्र लग्न कहते हैं । या जिन देशो में चन्द्र से राशि निकाली जाती है वहाँ पर चन्द्र जिस राशि पर बैठा होता है उस जातक को उस राशि के नाम से जाना जाता है (moon sign ) और कई देशो में राशि सूर्य से देखी जाती है (Sun Sign) । भारत में साधारणतः ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र राशि देखी (moon sign) जाती है। जब भारत में राशि कुंडली बनाई जाती है तो चन्द्र लग्न होता है जिसे चन्द्र लग्न कहते है । धन प्राप्ति , मानसिक स्थिति , एवं व्यवहार में चन्द्र लग्न का बड़ा महत्त्व होता है ।इसीलिए साधारण इंसान अपनी राशि से अपने दिनों का एवं भविष्य का आंकलन कर लेता है।
चन्द्र के विषय में इस सिद्धांत को स्वीकार लेना चाहिए की अगर चन्द्र पर किसी भी गृह का प्रभाव ना हो तो उसे निर्बल या कमज़ोर चन्द्र मानना चाहिए । निर्बल चन्द्र का अर्थ चन्द्र लग्न का कमज़ोर होना या फिर राशि का कमज़ोर होना माना जायेगा। इसका तात्पर्य यह है कि जिस मनुष्य की कुंडली में यह स्थिति होगी वह धन, स्वास्थ्य यश , बल आदि से वर्जित होगा या कमज़ोर होगा। में यहाँ यह भी थोड़ा सा समझाएं चाहता हूँ कि कैसे चन्द्र पर कोई प्रभाव नहीं होगा या नहीं माना जाएगा । पहला : एक स्थिति तो यह है की चन्द्र के द्वादश स्थान में कोई गृह ना हो । दूसरी स्थिति यह है : कि चन्द्र ना तो किसी गृह से युक्त हो अथवा उसपे किसी गृह की दृष्टी पड़ती हो, ना ही इसके केंद्र में कोई गृह स्थित हो । कहने का मतलब यह है कि चन्द्र पूर्ण रूप से निर्बल हो । तब सम्पूर्ण केमन्द्रम योग लगेगा ।
लेकिन यहाँ पर एक चीज़ का ध्यान रखना चाहिए की लग्नकुंडली में अगर चन्द्र केंद्र में है तो केमन्द्रम योग की तीव्रता में कमी आ जायेगी । इसकी तीव्रता में कमी और भी कई वजहों से आयगी जिसके बारे में मैं बाद में लिखूंगा ।
उपरोक्त कुंडली जो मैंने बताई है इस मनुष्य को केमन्द्रम योग लगा हुआ है । इनका विवाह नहीं हो पाया।इनके जीवन में कई महिलाओं से सम्बन्ध होने के बावजूद भी विवाह नहीं हुआ ।धीरे - धीरे इनका करोड़ों का व्यापार समाप्त हो गया ।भाई - बंधुओं से इनकी नहीं निभी । अंत में बीमारी से ग्रसित होकर साधारण जीवन गुज़ार रहे है ।
NOTE : इस योग को में आगे और विस्तृत तरीके से समझाऊंगा ।
LUCKY BABA
Om sai…

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