Thursday, October 15, 2015

चक्षु निर्बलता योग (दॄष्टि के कमज़ोर होने का योग)

यदि सूर्य, द्वितीय स्थान या फिर द्वादश स्थान में स्थित हो और उस पर किसी पापी ग्रह की दॄष्टि हो तो , दॄष्टि शक्ति में बहुत निर्बलता आ जाती है , और कई बार यह अंधत्व की स्तिथि देता है । सूर्य प्रकाश है, और मेरे विचार से आँखों का कारक भी सूर्य ही होगा । द्वितीय (दूसरा) तथा द्वादश स्थान (१२ वां भाव) - दोनों स्थानों को ज्योतिष शास्त्र में आँखों का स्थान माना जाता है । सूर्य का इनमे से किसी भी स्थान में स्थित होने से अर्थ यह निकलेगा - जहा सूर्य प्रकाश या आँख के रूप में स्वयं स्थित हों और ऊपर से पापी ग्रहों की दॄष्टि से पीड़ित हो या ग्रह से पीड़ित हों ,तब दृष्टी के दोनों ही कारक को निर्बलता प्राप्त होगी एवं दृष्टी कमज़ोर होने का वजह निर्मित हो जाएगी । मैं साथ में दिए चार्ट से इसे समझाने का प्रयास करता हूँ -


यह जिस व्यक्ति की कुंडली है , उस व्यक्ति की दाई आँख की ज्योति बहुत छोटी आयु में ही चली गई । यहाँ सूर्या १२ वें भाव (द्वादश भाव )में स्थित है, जिसके ऊपर तुला राशि के प्रबल शनि की तीसरी सीधी दृष्टी पड़ रही है , और यह केतु के प्रभाव में भी है । द्वादश भाव (१२ वें भाव) के स्वामी , गुरु पर दो पापी ग्रह - शनि तथा मंगल की सीधी 7 वीं दृष्टी पड रही है, जिसकी वजह से इस मनुष्य की दाई आँख की रौशनी बचपन से ही चली गई थी ।

-- सम्पूर्ण अंधत्व , दिए हुए चार्ट में --


यह जिस व्यक्ति की कुंडली है , उसकी दोनों आँखों की दृष्टी बचपन में ही चली गई थी । यह बाल अवस्था से ही अंधे हैं । इसकी वजह - द्वितीय स्थान में सूर्य का शनि की नीच राशि में  होना , सूर्य और केतु का शत्रु युक्त हो जाना है , और उस पर परम क्रूर, महाबली मंगल की चौथी दृष्टी का पड़ना है । इस दृष्टी के कारण , सूर्य तथा द्वितीय भाव , जो की दृष्टी के कारक हैं , जिसकी वजह से यह इंसान अँधा है ।   

Lucky Baba

Om Sai... 


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