द्वादश शुक्र योग (बाहरवाँ भाव)
यदि शुक्र द्वादश स्थान (12 वे घर) में स्थित हो तो , धन एवं स्त्री (महिला) दोनों ही के लिए बहुत शुभ हो जाता है, और इस योग को द्वादश शुक्र योग कहा गया है । शुक्र को भोगात्मक गृह कहा जाता है , या यह एक भोगात्मक गृह है। द्वादश भाव को भोग स्थान माना गया है , 12 राशि मीन में शुक्र को उच्च का माना जाता है । शायद यह वजह भी होगी की शुक्र को द्वादश भाव में कारक गृह माना गया है । इस वजह से भी शुक्र की द्वादश भाव में स्थिति बहुत अनुकूल बनती है । अब चूँकि शुक्र को स्त्री का भी कारक गृह मानते है इस वजह से स्त्री का दीर्घायु होना युक्ति कारक माना जाता है और शुक्र को भोग की प्राप्ति का गृह माना गया है , इस वजह से द्वादश (12 वे) भाव में शुक्र को द्वादश शुक्र योग कहते हैं ।
द्वादश भाव में साधारणतः शुक्र के होने से पुरुष या स्त्री सभी प्रकार के संपूर्ण भोगात्मक सुख भोगने की आकांक्षा रखते है एवं प्रयत्न करते है जिसे वह साधारणतः प्राप्त कर लेते है । यह योग तब और फलित हो जाता है जब लग्न मेष हो । मैंने कई कुंडलियो में शुक्र को अपनी राशि से 12 वा होने पर बहुत फलदाई (असरदार) होता हुआ देखा है ।
वृष (२ नंबर ) एवं तुला (7 नंबर ) राशि:
वृष राशि एवं तुला राशि जो शुक्र की मूल राशियाँ है, इनसे भी शुक्र कुंडली में अगर 12 वां है तो , द्वादश शुक्र योग का फल विशेष रूप से प्राप्त होता है । इसी प्रकार से , अगर गुरु (बृहस्पति) से शुक्र 12 वां हो जाता है या द्वादश भाव हो जाता है तब यह विशेष शुभत्व प्राप्त करता है ।
इस योग के उदहारण के लिए ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की कुंडली में यह योग स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है , जिन्होंने 40 वर्ष तक राज्य किया । इनकी कुंडली में, तीनो लग्नो में शुक्र अपने से 12 वां है , एवं उनकी मूल कुंडली में भी शुक्र 12 वे घर में बैठा है, जहा वह 12 वें घर में होने की वजह से बली (मजबूत) हो गया है, अपनी राशि (वृष , 2 नंबर ) से भी 12 वां हो गया है ।
- तीन लग्नो का तात्पर्य यह है की , कुंडली में मूल लग्न को ।
- महारानी विक्टोरिया की कुंडली वृष लग्न की है।
- राशि लग्न जिसको चन्द्र से देखते है (moon sign ) वह भी वृष में ही बैठा है , यानी महारानी विक्टोरिया की राशि वृष हुई।
- सूर्य लग्न (sun sign ): महारानी विक्टोरिया की कुंडली में , सूर्य लग्न में बैठा है , यानी वृष राशि में ही बैठा हुआ है ।
तो तीनो ही लगन वृष राशि की हो गई । और शुक्र , महारानी विक्टोरिया की कुंडली में मेष राशि का होकर द्वादश भाव (12 वें घर )में बैठा है। इससे यह अति बलशाली हो गया है । मेष राशि पर बैठने से , अपनी सीधी 7 वीं दृष्टी से तुला राशि (7 वीं ) को भी देख रहा है । इस वजह से महारानी विक्टोरिया दीर्घायु एवं बहुत लम्बे समय तक ब्रिटेन की महारानी बनकर राज्य किया ।
Note : अगर किसी इंसान की कुंडली में बहुत अच्छे फल प्राप्त न हो रहे हो और उसका जीवन सुखो से नहीं गुजर रहा हो या उसके पास सुख के साधन ना हो , ज्योतिषाचार्यो को दिखने के बाद दिमाग भ्रमित होता हो या शंकित रहता हो तो उस इंसान से में निवेदन करूँगा की वह अपने शुक्र की गणना मेरे लिखे अनुसार अवश्य करें । उसका मानसिक भ्रम या शंका दूर हो जायेगी ।
Lucky Baba
Om Sai....








