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| Lucky Baba |
भारतीय राजनीति:
राम मंदिर से लेकर गौ मांस तक

भारतीय राजनीति में भाजपा, मुख्य रूप से अयोध्या में राम मंदिर , बाबरी मस्जिद को हटा कर , उसी स्थान पर राम मंदिर बनाने के मुद्दे से आगे बढ़ी । भारत देश के नागरिकों ने भारतीय राजनीति का यह दौर भी बड़े हतप्रभ होकर देखा । V.P Singh देश के प्रधान मंत्री थे , और सत्ता से चिपके रहने के लिए उन्होंने देश को मंडल आरक्षण की आग में झोंक दिया । V.P Singh का समर्थन कर रही भाजपा ने अपने आप को सत्ता से अलग करते हुए , राम मंदिर का राग छेड़ दिया । इसी वजह से , देश में मध्यावती चुनाव लग गया जिसमे पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी जी की हत्या हो गई । देश में Congress के नेतृत्व की संयुक्त सरकार बनी , जिसका नेतृत्व प्रधान मंत्री के रूप में P.V Narsimha Rao ने किया , यह बड़ा अजीब और विशेष प्रकार का दौर था भारतीय राजनीति में । इस समय देश, राष्ट्रीय स्तर से ले कर राज्य स्तर तक बड़े अजीब - अजीब आंदोलन एवं राजनितिक प्रयोग के दौर से गुज़र रहा था जिसे भारतीय जनमानस ने देखा । उन्ही में से एक प्रयोग देश के प्रधान मंत्री पद पर 1965 - 66 में लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद दूसरी बार Congress के नेतृत्व में देश की सत्ता कांग्रेस के हाथ में तो थी लेकिन , प्रधान मंत्री - P.V Narsimha Rao जी , गांधी - नेहरू परिवार के सदस्य नहीं थे।
P.V. Narsimha Rao, दक्षिण भारत से थे एवं गठबंधन की सरकार चला रहे थे । P.V. Narsimha Rao जी अपनी ही पार्टी की अंतर कलह को भी झेल रहे थे , तभी भारतीय जनता पार्टी ने राम नादिर मुद्दे को उठा कर देश में एक नया जन आंदोलन छेड़ दिया । राष्ट्र ने पहली बार अपनी प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में बहुसंख्यक वर्ग - विशेष के आंदोलन को देखा । बहुसंख्यक समुदाय ने इसमें विशेष रूचि दिखाई , प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का यह आंदोलन विश्व में अनोखे आंदोलन के रूप में जाना जायेगा । इस आंदोलन का नेतृत्व भाजपा के शीर्ष नेता कर रहे थे , जिसमे मुखिया के रूप में उस समय के भारतीय जनता पार्टी के धाकड़ नेता - लाल कृष्ण अडवाणी उभर कर सामने आये । यह एक तरीके से मंडल के ऊपर कमंडल की राजनीति का परिणाम था । प्रजातंत्र में सार्वजनिक रूप से बहुसंख्यक समुदाय द्वारा चलाया हुआ यह आंदोलन विशेष रहा जिसकी परिणीति आखिर में यह हुई कि , अयोध्या की बाबरी मस्जिद को कार सेवको ने ढहा दिया । राष्ट्र की राजनीति , दो समुदायों की लड़ाई के बीच सिमटने लगी । मंडल और कमंडल की लड़ाई , धर्मनिरपेक्ष (secular) और बहुसंख्यक समुदायों के बीच आ कर खड़ी हो गई । भाजपा ने राम मंदिर को मुद्दा बनाया एवं अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में देश को पहला भाजपाई प्रधान मंत्री दिया ।
धर्मनिरपेक्ष - प्रजातान्त्रिक व्यवस्था में यह भाजपा का अनूठा प्रयोग सफल हुआ । इस प्रयोग को भाजपा ने जड़ी - बूटी के रूप में लिया, जिससे निकला हुआ परिणाम - अटल बिहारी वाजपई जी को अपने कार्य काल को लगभग पूर्ण करने का अवसर दिया । राष्ट्र ने , गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई को करीब - करीब पूर्ण कालीन (5 साल ) प्रधान मंत्री के रूप में देखा । भाजपा को हिंदूत्व की अलख लगाने का सम्पूर्ण श्रेय गया । सत्ता शील होने के पश्चात बाजपई सरकार ने राममंदिर मुद्दे को करीब - करीब नकार सा दिया , जिसका विरोध भी उन्होंने कई बार अपने सत्ता में रहते हुए झेला । परिणाम स्वरुप , बाजपई सरकार जो की एक संयुक्त सरकार (NDA )थी सत्ता से बाहर हो गई लेकिन, भाजपा को भारतीय राजनीति में राममंदिर मुद्दे ने या यूँ कहे की हिंदूत्व के मुद्दे ने स्थापित कर दिया । इसके परिणाम स्वरुप,भारतीय जनता पार्टी ने अपने बल बूते पर देश के कई राज्यों में अपनी सरकारें बनाई। अब भाजपा राममंदिर मुद्दे को भूल कर हिंदूत्व के विभिन्न - विभिन्न मुद्दो को उठा कर , राष्ट्रीय राजनीति एवं प्रादेशिक राजनीति में अपनी पैट ज़माने लगी , जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत के कई राज्यों में भाजपा की सरकारे स्थापित हुई एवं राष्ट्रीय स्तर पर वह Congress के बाद दूसरा सबसे प्रमुख राजनितिक दल बना ।
भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे पे, राममंदिर के बाद गंगा की सफाई , जम्मू - कश्मीर में धारा 370 , पाकिस्तान का विरोध और गौ मांस जैसे प्रमुख मुद्दे रहे। इनका सम्मिश्रण इन्होने विकास की प्रयोग शाला के साथ, 2014 के चुनाव में , भ्रष्टाचार की चाशनी के साथ मिला कर पूर्ण बहुमत की सरकार बना कर , प्रधान मंत्री पद पर श्री नरेंद्र मोदी स्थापित किया । विकास एवं भ्रष्टाचार की चाशनी में गौ मांस का मुद्दा आजकल भारतीय जनता पार्टी का सर्व प्रमुख मुद्दा है । राष्ट्र , विशेष कर अल्प संख्यक समुदाय , अपने को असुरक्षित सा महसूस करने लगा है । पूरा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष एवं बहुसंख्यक - हिंदुत्व के मुद्दे पर बंट गया है। अब साधारणतः , राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक राजनीति इन्ही मुद्दो पर आगे बढ़ रही है , अगला चुनाव बिहार राज्य में है , जिसके परिणाम 8 नवंबर तक आ जायेंगे । यह चुनाव भी , बहुसंख्यक हिंदुत्व के मुद्दे - गौ मांस एवं धर्मनिरपेक्ष के बीच बटा हुआ है , जिसके परिणाम 8 नवंबर को सारा राष्ट्र देखेगा ।
राममंदिर से चला हुआ आंदोलन , गौ मांस के स्टेशन की तरफ जा रहा है । गंगा की सफाई , काशी को जापान के धार्मिक शहर qwetta बनाने का स्टेशन गुज़र चुका है । विकास के मुद्दे के स्टेशन , जैसे की - बुलेट ट्रैन का चलना , आदर्श शहर, skilled India , जैसे स्टेशन भी गुज़र गए है । अब अगला प्रमुख स्टेशन - गौ मांस की नीव पर , बिहार की सत्ता पर काबिज होना है । फिर कही चुनाव होगा, फिर कोई नया हिंदुत्व का मुद्दा होगा , फिर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में काबिज होगी । देखना है - भारतीय जनमानस इस प्रयोग को कब तक अपने काँधे पर ढोएगी । कब तक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र अपने मूल तत्व धर्मनिरपेक्षता को भूल कर , प्रजातंत्र के मूल तत्व को भूल कर , संविधान की आत्मा को भूल कर , किसी विशेष मुद्दे पर राजनितिक पार्टियों को सत्ता शील करता रहेगा , सत्ता पर बिठाता रहेगा ।
Lucky Baba
Om Sai....