आज का युवा (२० - २१ साल का) शायद शत्रुघ्न सिन्हा के इस रूप से वाक़िफ़ नहीं होगा। जब शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म इंडस्ट्री में आए - आए ही थे और विलेन का रोल किया करते थे, जो की किसी भी हीरो के रोल से कम नहीं हुआ करता था। फिल्मी निर्देशक, फिल्म के अंदर उनकी एंट्री को उनके बोले हुए संवादों के साथ एक विशेष अंदाज़ में दिखाने का प्रयास करते थे। उनकी एक फिल्म का नाम था - मेरे अपने। जितना मुझे ज्ञान है, यह गुलज़ार द्वारा निर्देशित पहली फिल्म थी जिसमे गुलज़ार ने उस काल के युवा पीढ़ी को दो समूहों में दिखाया था जिसमें पढ़े-लिखे युवा समूह का नेतृत्व विनोद खन्ना कर रहे थे और शत्रुघ्न सिन्हा उसमे अनपढ़ और छोटे - मोटे बदमाश का। एक तरफ फिल्म के हीरो विनोद खन्ना थे और दूसरी तरफ युवा शत्रुघ्न सिन्हा विलेन के रूप में थे, जो की संवाद में कई जगह फिल्म के हीरो - श्याम (विनोद खन्ना) को उसके अड्डे पर पहुंच कर यह डाईलोग बोल कर ललकारा करते थे -
'श्याम कहा है ? आए तो कहना की छैनु आया था'
मैं (लक्ष्मीकांत मिश्रा ) उस समय बहुत छोटा था। यह बात मैं उस समय की कर रहा हूँ जब त्योहारों के आस- पास सफ़ेद पर्दा लगा कर, सड़कों पर, गली मोहल्लों में, शहर-देहात में सूचना एवं प्रसारण विभाग द्वारा सामाजिक एवं पारिवारिक फिल्में दिखाया जाया करती थी। इन फिल्मों को देखने के लिए हर समुदाय के लोग, हर उम्र के लोग एकत्रित्त हुआ करते थे। उस समय की कई फिल्मों में से, जैसे की - पूरब - पश्चिम, उपकार, यादगार, मेरे अपने, आदि प्रमुख थीं। चूँकि मैं बहुत छोटा था, और यह फिल्म युवा अवस्था पर आधारित थी, मुझे बहुत भा गई थी, और खासकर शत्रुघ्न सिन्हा का यह डाईलोग 'श्याम कहा है ? आए तो कहना की छैनु आया था' , हुआ करता था, हर युवा, बच्चे , बूढ़े को अच्छा लगता रहा होगा ।
आज, बरसों बरस बाद, युवा अवस्था को पार करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा को राजनीति में कुछ-कुछ उसी अंदाज़ में देख कर मन प्रसन्न होता है। उसी फ़िल्मी पुरुषार्थ को राजनीति के दंगल में यह नायक दिखाने का प्रयास कर रहा है। संवाद बोलने की अदायगी एवं कपडे, चेहरे पे चश्मा लगा हुआ, एक घिसे हुए खालिश नेता (typical) की जगह, शत्रुघ्न सिन्हा का यह अंदाज़ मुझे (लक्ष्मीकांत मिश्रा) के साथ-साथ भारतीय जन-मानस को भी शायद कहीं लुभा रहा है । वार्ना, T R P पर आश्रित दूरदर्शन के समाचार माध्यम इन्हें बार - बार दिखाने का प्रयास क्यों कर रहें हैं ? अपनी बेबाक़ वाणी से अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा कर कुछ सामाजिक या राजनितिक एवं सार्थक सवाल खड़े कर रहा है। शत्रुघ्न सिन्हा, इन दिनों सत्ताशील राजनेताओं के बीच में एक राजनैतिक बाग़ी की तरह बाहर आ रहे हैं, जो सत्ता पर बैठे लोगों पर सवाल उठा रहा है लेकिन प्रजातंत्र के मूल तत्व: अपनी-अपनी राय रखने के अधिकार पर सत्ता के चाटुकारों के निशाने पर आ गए हैं । यह चाटुकार नेता प्रजातंत्र के मूल सिद्धांत को भूल कर शत्रुघ्न सिन्हा पर अनुशासन हीनता की दुहाई दे रहे हैं। यह प्रजातंत्र का दुर्भाग्य ही है की भारत जैसे देश में जब भी सत्ता कैबिनेट के खिलाफ कोई आवाज़ उठाता है तो उसे इस प्रकार की पीड़ा से गुज़ारना पड़ता है । पूर्व का मेरा (लक्ष्मीकांत मिश्रा) यह अनुभव रहा है की इस तरीके के दबंग नेताओं का हश्र भारतीय राजनीति में बहुत अच्छा नहीं रहा । यह साधारणतः बड़बोले पन का शिकार हो जाते हैं, राजनितिक गुटों का अंश हो जाते हैं , या फिर इनकी सारी ताक़त या हवा, इनको राजनीतिक पद देकर या सत्ता में कही इनकी हिस्सेदारी खड़ी कर के लालच से निकाल दी जाती है ।
शत्रुघ्न सिन्हा पूर्व के इन अनुभवों से सबक लेकर अगर अपनी आगे की योजनाएँ बनाएँ , तब मैं यह कह सकता हूँ- राजनीति का यह छैनु (शत्रुघ्न सिन्हा) भारतीय राजनीति में कोई लम्बी पारी खेलेगा। सत्ता लुलुप्ता, धुरंदर नेताओं की राजनीति का अंश एवं बड़बोलेपन को रोक कर अगर शत्रुघ्न सिन्हा राष्ट्रीय समस्याओ, अपने उनके खुद के ग्रह प्रदेश - बिहार की समस्याओं के निवारण के लिए अगर कोई रूपरेखा (ब्लूप्रिंट) एवं इन समस्याओं के समाधान के लिए अपना सहयोग दें, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ की ,तब शत्रुघ्न सिन्हा एक राजनितिक शक्ति के रूप में उभरेंगे । जिन नेताओं पर उन्होंने सवाल उठाएं है, तब उनके व्यक्तित्व एवं डाईलोग डिलीवरी का अंदाज़, उनके व्यक्तित्व से मेल करेगा। तब लगेगा, यह वही नायक है जिसने फिल्मी परदे पर ('मेरे अपने') हीरो को ललकारते हुए यह बोला था ; 'श्याम कहा है ? आए तो कहना की छैनु आया था' ,
Lucky Baba
Om Sai …
शत्रुघ्न सिन्हा पूर्व के इन अनुभवों से सबक लेकर अगर अपनी आगे की योजनाएँ बनाएँ , तब मैं यह कह सकता हूँ- राजनीति का यह छैनु (शत्रुघ्न सिन्हा) भारतीय राजनीति में कोई लम्बी पारी खेलेगा। सत्ता लुलुप्ता, धुरंदर नेताओं की राजनीति का अंश एवं बड़बोलेपन को रोक कर अगर शत्रुघ्न सिन्हा राष्ट्रीय समस्याओ, अपने उनके खुद के ग्रह प्रदेश - बिहार की समस्याओं के निवारण के लिए अगर कोई रूपरेखा (ब्लूप्रिंट) एवं इन समस्याओं के समाधान के लिए अपना सहयोग दें, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ की ,तब शत्रुघ्न सिन्हा एक राजनितिक शक्ति के रूप में उभरेंगे । जिन नेताओं पर उन्होंने सवाल उठाएं है, तब उनके व्यक्तित्व एवं डाईलोग डिलीवरी का अंदाज़, उनके व्यक्तित्व से मेल करेगा। तब लगेगा, यह वही नायक है जिसने फिल्मी परदे पर ('मेरे अपने') हीरो को ललकारते हुए यह बोला था ; 'श्याम कहा है ? आए तो कहना की छैनु आया था' ,
Lucky Baba
Om Sai …

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