मानवता पे घ्रणइत हमला
प्रजातांत्रिक भारतीय इतिहास में इस तरह की निदनीय एवमं घ्रडित घटना शायद ही पहले कभी घटी होगी मुझे भूलने की बिमारी है लेकिन फिर भी मै दावे से कहं सकता हूँ
की मेरे देश में इतनी घ्रडित घटना पहले कभी नहीं घटी होगी जिस देश की आजादी में अहिंसा मूल मन्त्रं
रहा हो जिस मूल मन्त्रं ने अपने को साबित ही न किया हो बल्की विश्व को एक नई राह दिखाई हो जिसका जनक भारत देश हो जिसे पूरा विश्व शिविकार चुका हो जो आज विश्व के लिए मूल मन्त्रं का कार्य
कर रहो उस देश में हजार बारह सोंव लोग बदूकं लेकर एवमं रोड माइन्स बिछाकर एक साधारण् से राजनीतिक जुलुस को जो की शुद्ध रूप से शान्तिय पिर्य एवमं हलचल मात्रं था सोंव डेढ सोव लोग रहे होगें
कुझ गाड़ियां होगीं कुझ अति उत्साह में रहे होगें कुझ बुजुर्ग भी रहे होगें जो शाररिक रूप से भले थके रहे हो
चुकीं राजनेतिक मूमेंट था लोगो में जोश भरने के लिए अपनी थकान भुलाकर इस असहनीय गर्मी में भी अपनी
गरिमामय उपस्थिति दर्ज करा रहे थे किसी भी प्रजातांत्रिक शान्तिय प्रिय देश की राजनेतिक गतिविधियों की आदर्श हलचल की मिसाल प्रस्तुत कर रहे थे विश्व के किसी भी देश का बड़े से बड़ा नेता नागरिक
या फिर सामन्य सा इन्सान भी जिसे देख कर हम से इर्षा कर लेता या अपने देश में जाकर बताता की राजनीतिक
हलचल क्या होती है इससे अझा उधारण क्या होता ! ये राजनेता एवम कार्यकर्ता अपने गरिमामय इतिहास को ही तो दिखा रहे थे याँ यूँ कहे उसका पालन कर रहे थे इसमें इनका क्या दोष था इन्हें
क्या मालूम था जिस व्यवस्था से इनके बुजोर्गो ने विश्व के सबसे ताकत वर देश को इस देश से खदेड़ दिया था
वही वयवस्था इन्हें अपनों के द्वारा मोत दिलाएगी या फिर मोत से बदतर कष्ट ! जिस घटना से पूरा विश्व परेशान है दुखी है उस कुक्र्त्य को करके ये नाच गा रहे थे ये साधारण सामान्य इंसान नहीं हो सकते
ऐसे लोगो को सभ्य समाज का नागरिक केसे कहा जा सकता है ये या तो पाषंड युग के हो
सकते हैं याँ फिर जिन्हें आधुनिक विज्ञान नहीं मानता भूत पिशाच की दुनिया के लोग हो
सकते है उसी दुनिया की जो कहानिया सुनी है उसमे ही इस तरह का कभी कभी जिक्र सूना है लेकिन वहां
भी सुना है की भूत पिशाच भी निर्दोष लोगो को या फिर सामान्य लोगो के साथ इस तरह का
घण्इत कार्य नहीं करते कहानियो में जितना पढ़ा या फिर सुना है उसमे एक चीज समझ में
आई की उस दुनिया के लोग उन्ही से बदला लेते है जो उन्हें तगं करते है या फिर जाने अनजाने में कोई
इंसान उस वयवस्था के खिलाफ कुझ गलत कर दे तब बदला लेते है लेकिन ये तथा कथित नक्सलाइड
तो इस दूसरी दुनिया से भी बदतर लोग निकले मुझ से अगर कहाँ जाय की भूत पिशाच और नकस्लाईड
में किसी एक को तुम्हे चुनन्ना है या फिर पूजना है और कोई रास्ता नहीं है तो मै बिना देर किये भूत पिशाच
को चुनुगाँ क्योकि उनको चुनने के लिए मेरे पास बहुत से तर्क है नक्सलाईड की तुलना में,
कोई इसकी वजह पूझेगा तो इसकी कई वजह गिना सकता हूँ उसमे एक दो ऊपर लिख भी चूका हूँ
मै तथाकथित नक्सलाईडो से एक नम्र निवेदन करूंगा की वो अपने को नक्सलाइड कहना बंद कर दे
क्योकि मैंने नक्सलाइड आन्दोलन के बारे में सूना है कुझ थोड़ा बहुत पढ़ा भी है और मेरा ये मानना है
की आन्दोलन शब्द जहाँ कही भी आता हैं उसमे कोई न कोई सिद्धांत अवश्य होता है जिनसे कोई सहमत होता है और कोई सहमत नहीं होता लेकिन ये तैय है की सिद्धांत पिशाचिक से भी बदतर नहीं होते
लोगो को मारना मारने के बाद नाचना गाना जो बच जाय उनको उठा ले जाना वो भी दो चार नहीं सत्तर
अस्सी लोगो को ! नरभ्झी भी घ्रणा करने लगेगा तुमसे, नक्सलाईड आन्दोलन के जनक और उनके
सिद्धन्त मानने वालो की तो बात ही अलग है ! मुझे तुम दिल पे हाथ रख के बताव की कही तुम
अती महत्वाकंझी नेता की राजनीती का शिकार तो नहीं हो गए किसी राज नेता ने कही तुम्हें अपने षडंयंत्र
में तो नहीं फसाया था और अगर ये सही है तो अब तुम्हें केसा लग रहा हैं एक तो इतना घ्रडित कार्य वो भी
किसी के षडंयत्रं का शिकार हो के ऐसा कुक्र्त्य कर देना जिस को तुम खुद को माफ़ करना तो झोड़ो कही ज्यादा अपने आप से विचार किया तो मानसिक इस्थिति ठीक रख पावोगे इस्पे भी मुझे शक है ऊपर वाला
तुम्हे क्या सजा देगा ये बाद की बात है आत्मग्लानी बहुत ही खतरनाक बीमारी होती हैं ये अगर दिमाग में घर
कर जाये तो शरीर एवमं दिमाग दोनों को ही बड़ा नुक्सान पहुचाती है ! और जिस दिन तुम्हे ये लगे की
तुम जिस विध्यां में माहिर थे ब्रेन वास करने की कला में उसी विध्यां का इस्तेमाल किसी राज नेता ने
तुम्हारे ऊपर कर दिया और अपना उल्लू सीधा करने के लिए तुम्हारा ब्रेन वास करके तुम्हीं से इतना घ्रडित कार्य करा दिया जिसको तुम जब भी सोचोगे तो मानसिक और शारारिक रूप से बी बहुत पीड़ा होगी एवमं
आत्म ग्लानि से मन भर जाएगा जिसके बहुत वीभत्स परीडाम होते मैंने देखे है ..........बाबा
