आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया हैआज
कहने को तो हर रिश्ता हैं मेरे आस पास और साथ साथ
फिर इन्ही रिश्तो ने क्यू कर अकेला कर दिया है आज
था इंतजार जिनका वो मिले तो मुझे पर मिलकर रुला गए
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
हम बड़ें सब्र से उनसे मिलने का ज़तन कर रहे थे आज
जाने किस बात से नाराज थे वो की मिलते ही रूठ गये आज
ये रिश्ते होते है क्या और क्यू कर परेशा करदेते है इस कदर
अजीब बातहैं रिश्तो में वो रूठ गए और हम परेशा हो गए इस कदर
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
था उनपे बड़ा नाज़ हमे की रिश्तो का सहारा हमे मिल गया
दर्द के अहसास को बड़ी बेरूखी से आज रिश्तो ने हमें सिखा दिया
क्यू मै ये रिश्तेऔर इन रिश्तो के दर्द से भी रिश्ता निभा रहा हूँ में
ये भी अजीब जिदहै मेरी सब जान कर भी क्यू नहीं मानता हूँ मै
में जानता हूँ फिर भी दुश्मनों में अपने रिश्ते क्यू ढूढ़ता रहताहूँ में
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
बाबा
कहने को तो हर रिश्ता हैं मेरे आस पास और साथ साथ
फिर इन्ही रिश्तो ने क्यू कर अकेला कर दिया है आज
था इंतजार जिनका वो मिले तो मुझे पर मिलकर रुला गए
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
हम बड़ें सब्र से उनसे मिलने का ज़तन कर रहे थे आज
जाने किस बात से नाराज थे वो की मिलते ही रूठ गये आज
ये रिश्ते होते है क्या और क्यू कर परेशा करदेते है इस कदर
अजीब बातहैं रिश्तो में वो रूठ गए और हम परेशा हो गए इस कदर
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
था उनपे बड़ा नाज़ हमे की रिश्तो का सहारा हमे मिल गया
दर्द के अहसास को बड़ी बेरूखी से आज रिश्तो ने हमें सिखा दिया
क्यू मै ये रिश्तेऔर इन रिश्तो के दर्द से भी रिश्ता निभा रहा हूँ में
ये भी अजीब जिदहै मेरी सब जान कर भी क्यू नहीं मानता हूँ मै
में जानता हूँ फिर भी दुश्मनों में अपने रिश्ते क्यू ढूढ़ता रहताहूँ में
आज मन फिर क्यू उदास है ये मन फिर क्यू रोया है आज
बाबा
No comments:
Post a Comment