Saturday, November 24, 2012

                                                         नरेंद्र मोदी की शेर की सवारी
भरतीय राजनीति में आज कल सबसे चर्चित नामो में से एक है नरेंद्र मोदी ये नाम पिछले दस बारह सालो में जिस तेजी से आगेआया वो भी कम दिल चस्प नही है कई लोग इसकी वजह नरेंद्र मोदी के भाग्य को देते है कई लोग उनकी कार्य शेली को कई लोग उनके मीडिया मेनेजमेंट को कई लोगो का मानना की किसी भी कार्य को करने से जादा उसके श्रेय को अर्जित करने की कला में मोदी आज के राजनितिक परिद्रश्य में सबसे प्रमुख राजनेता माने जाते है मोदी की कार्य शेली अहंकारी भी प्रतीत होती है जिससे भी कई नेतावो को तकलीफ होती है जिसका उपयोग मोदी कई बार मंच पर बेठे नेतावो के स्वाभिमान को बिना कुझ बोले परेशान करने में करते   है इस लिए भी मोदी अपनों के बीच में भी कुछ कुछ  अहंकारी दिखाई देते हैं मोदी मंच हो या फिर केमरा लोगो को असहज कर देते है उन पर प्रतिक्रिया जरुर आती हैं मोदी के कुरते पयजामे भी आम नेतावो से अलग होते है कहने का मतलब ये है की वो आम नेतावो में अपने को खाश या फिर अपनी अलग पहचान के साथ दिखाई देने में जादा सुकून महसूस करते है ओर उनकी ये सारी हरकते उनके समकक्झ नेतावो में एक विशेष प्रकार का द्वेष उनके प्रति पैदा कर देती है उस पे सोने में सुहागा उनके भाषण  देने का अंदाज, वो म्रदु भाषी होने में भी  अपने आत्म सम्मान को पूरी ताकत से बचाकर मंच में बेठे अपने किसी भी सम्कक्छ  नेता के ऊपर कटाक्झ देने से नही चूकते और अगर वो अकेले ही मंच में हैउनके समकक्झ का कोई नेता उनकी पार्टी का नही है तो विरोधी दल के नेतावो की नक़ल करने और उनका मजाक उड़ाने में उनको विशेष आनद आता हैं मोदी ने अपनी इस तरह की ब्राड इमेज खुद बड़ी मेहनत से बनाई हैंये वो इमेज है जिसे अब मोदी को खुद संम्भाल ना होगां याँ यूँ कहें की मोदी ने खुद अपनी सवारी शेर की चुनी हैं और जब उन्होंने ही खुद शेर को चुना है तो मेरा ये   मानना हैं की मोदी को इसके परिणाम भी पता हगें !में जितना शेर की सवारी के बारे में जानता हूँ या अब तक इस कहावत को जितना समझ पाया हूँ वो ये हैं की अब शेर को चलावो और फिर चलावो जब तक आप इसको चलावोगे तब तक आप का कोई शानी नही आप एक साह्शी और सफल इंसान है सब आपके रोब और रूतबे की कद्र करते है विरोधी भी आपको सम्मान देते है किन्तुं जिस दिन आप इससे उतरे उस दिन ये भूखा शेर सबसे पहले आपको खाने का प्रयास करता हैं या फिर छोटी सी भूल भी आपको उसके पेट में पहुचा देती हैं कहने का मतलब ये है की सत्ता रुपी शेर को मोदी जी अब आप चलाते रहिये आपकी परीझा की घड़ी काफी पास आ गई हैं इस शेर को चलाने में आप को जो भी कसरत करनी है वो करिए लेकिन ध्यान रखिये कसरत आपको शेर के ऊपर बेठ के ही करनी हैं जरा सी चूक आपकी आपको अपने ही शेर के भूक को  शांत करने के काम आ जायेगी इस कहावत को पढ़ा सुना तो कई बार था लेकिन वो मजा नही आता था या यूँ कहे की इसका उपियोग जिन लोगो से मेनें सूना उसमे शेर तक तो ठीक लगता था किन्तुं शेर चलाने वाला ना जाने क्यूँ मुझे ठीक नही लगता था इसीलिये ये कहावत मेरे लिए बेमानी साबित होती थी शायद दिमाग में कही बेठा होगा की शेर चलाने वाले में कुझ खाश गुड होने चाहिएऔर उसमे सबसे पहला गुण ये होना चाहिए की ये निर्णय वो खुद ले और लेने के बाद किसी की परवाह ना करे कुझ कुझ आपमें वो गुण दिखे तो बस लिखने का मन बन गया और लिख दिया !शेर के शवार में एक गुण ना जाने कहाँ से आ जातां हैं और वो गुण होतां हैं की वो सबसे ऊपर है उसकी योग्यता का कोई भी इन्शान नही है अगर वो किसी को सम्मान देता है तो समझो की उसपे बड़ा भारी अह्शान कर रहा है और जिस को सम्मान मिला है ऐसा लगता हैं जेसे उसको पहले से ये हिदायत दे दी जाती है की इस सम्मान के एवज में अब तुमको जीवन भर इस शेर के सवार की तारीफ़ करनी हैं क्रतग्य रहना है जाहिर हैं की शेर के सवार की क्या इस्तिती होगीं इसी अवस्थां में वो अपने आपको सर्वप्रमुख मानने लगता हैं इस कार्य में धीरे धीरे वो अपने चारो तरफ चाटुकारों का समूह बना लेता हैं ये चाटुकार हमेशा इस बात का ध्यान रखते है की सवार की कार्य प्रणाली से लेकर उनके चलने बेठने तक की सभी लोग तारीफ करते वक्त इस बात का ध्यान रखे की ये विशेषता सिर्फ शेर के सवार में ही हैं और जिस किसी में अगर है भी तो वो शेर के सवार की नकल हैंऔर इस में उनको तथा उनके समर्थको को विशेष आनदं आता हैं   इस तरह शेर सवार  {मोदी}अपनी तथा विरोधी पार्टीयो में एक अह्कारीं नेता के रूप में जाने जाते है ये इस्थिति जब तक आप सफल है सत्ता में है  तब तक तो लोगआप का लिहाज करते है  सम्मान में खड़े होते है चाटुकारों की फोज हमेशा आपके अहंकार को बढाने में लगी रहती है ये वो फोज है जिसने नजाने कितने लायक और समझदार शासको को धीरे धीरे निकम्मा बना दिया हैं ! मोदी जी एक और गुण अहकारीं शासक में देखा जाता है और वो मेरे ख़याल से ये है की वो हमेशा अपने को विरोधी खेमे के सर्व प्रमुख के बराबर का मानता है वो लड़ाई कोई भी लड़ रहा हो उसमे विरोधी दल का मुखिया हो या ना हो लेकिन वो अह्कारं में बार बार विरोधी दल के मुखिया को ललकारते हुए दिखता है शायद वो अपने अहकार की वजह से ऐसा हो या फिर हो सकता है की चाटुकारों की सलाह से ऐसा करता हो लेकिन होता ऐसा ही है ऐसी इस्थिती अह्कारी शासक के लिए बड़ी ही हास्यपद हो जाती है मेरे ख़याल से इस इस्थिति से बचना चाहिए ख़ास कर आप को जब ये पता हो की विरोधी दल के प्रमुख के लिए दुएम दर्जे से भी निचे का युद्द हैं ! बल्कि में तो ये कहुगां की ऐसे युद्द का अगर आपको अहशास भी हो जाए तो किसी तरह से अपने को झोकने की बजाय अपने किसी समकक्झ के नेता को मैदान में उतार देना चाहिए और खुद को रणनीतिकार के रूप में लाना चाहिए इससे कई फायदे होते है आपकी साख बची रहती है आप विरोधी दल के नेता के समकक्झ के नेता के बराबर के माने जाने लगते हो और अगर हार भी गए तो सीधे आपको को कोई दोष नहीं देता है याने की अगर शेर के ऊपर से गिर भी गए तो शेर के मूह में जाने से बच  जाते हो और अगर जीत गए तो आपका कद बहुत बढ जाता हैं और आप स्वमेव विरोधी दल के नेता के समकक्झ आ जाते हो याने बिना किसी भय के शेर को चलाने के मास्टर माने जाने लगते हो !ये सब तो मेरे दिमाग की उपज मात्र है आप शेर की सवारी कर रहे है आप मुझ से बेहतर समझते है भगवान से तो में येही दुआ करूगां की बड़ी मुश्किल से तो शेर का सवार मिला है ना मंजिल तक सही कुझ दूर तक तो इसे किसी भी हालत में शेर की सवारी करने दी जाए
.............................................................बाबा लकी          

















Friday, November 23, 2012

                                   पैरों की आहट 

मेरा तेरे पेरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने  की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
वो तेरे सुन्दरं से पैरो का जरूरत से भी ज्यादा सुन्दरं होना
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करना तेरी खामोशी से निहारने की अदा
अगूठे से जमी को कुरेदना और मासूमियत से मुझे निहारने की अदा
किस लिए है और क्यूँ है तेरे इस तरह बला के हसीन पैर
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करने  से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुस्कुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
                                  बड़ी खूब सूरती से पैरो को छूपाने की और कभी दिखाने की अदा                            
                                  तेरे पेरो को देखते वक्त मेरी निगाहोंको पढने की तेरी मासूम सीअदा
                                  न जाने क्यूं मेरी किसी भी ख़ामोशी पे वो तेरे  पैर हिलाना की अदा
                                 मेरा धीरे से  थोड़ा सा मुशकुराना तेरा जोर से खिल खिलाने की अदा
                                 मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
                                   धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा
तेरे  सजने सवरने में पैरो को, बड़े ही करीने से सजाने की अदा
मेरे कुछ न बोलने पर तमतमा के बारबार मुझे देखने की अदा
जरा सी मेरी तारीफ़ में वो जी भर के मुझ से लिपटने की अदा
मेरा घबराके सहमना तेरा मुझ से इतराके के लिपटना की अदा
मेरा तेरे पैरो की तारीफ़ से तेरे शरमाने की वो खामोश अदा
धीरे धीरे मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की की अदा
                                  बड़ी खूब थी तेरी पुरानी वो यादे उन यादो को सुनाने की तेरी वो अदा
                                   किसी के आ जाने पे वो आ गया कहके तेरे खामोश हो जाने की वो अदा
                                  खामोशी में आखे झुकाकर धीरे से उसे देख कर मुश्कुराने की तेरी वो अदा
                                किस कदर खामोश हो जाया करती थी तू उसके आने भर की आह्ट  से
                                   जाते ही उसके पैरो को पटके जमी पे वो जोर से ठहांका लगाने की अदा
                                   मेरी तेरे पैरो की तारीफ़ करने से तेरे शरमाने ने  की वो खामोश अदा 
                                    धीरे धीरे  मुशकुराना फिर जोर से खिल खिलाने की अदा                                      
                                 
         बाबा लकी                                    
















                    
                                

Sunday, November 11, 2012

                                  हर पल न जाने क्यू मुझे फिर याद आ रहा है

                                  बीते हुए पलो मे क्याअब भी कुझ बचा है

                                                        किस से कहूँ की किस कदर दिल है मेरा दुखा

                                                        दिल बचाता हूँ अगर में,तो सासें रूकती है मेरी   

                                 सासें समेट कर न जाने क्यूँ जीये जा रहा हूँ में  

                                 हर पल न जाने क्यू मुझे फिर याद आ रहा है 

                                                        बीते हुए पलो में क्या अब भी कुझ बचा है  

                                                        दुखता है दिल मेरा और यादे भी कम नही है

                                 क्या करूगां में भला यादो को उनकी संजो कर 

                                 यादे सताती है उनकी और दिल है मेरा रोता 

                                                        पलो को बचाने की जिद में बरस खो गया है मेरा 

                                                        हर पल न जाने मुझे क्यूँ फिर याद आ रहा हैं 

                                बीते हुए पलो में क्या अब भी कुझ बचा है  
  

Friday, November 9, 2012

16 नवम्बर 2012 से 15 दिसम्बर 2012 तक लग्न की स्थिथि एवं भविष्य 

आने वाली 17/11/2012से दिन की शुरुवात वृश्चिक राशि की लग्न से होगी जो की मूल रूप से मंगल की राशी है यहाँ पर सूर्य 16/11/2012 को शाम को लगभग 5बजकर 8 मिनट पे पहुचेगा !सूर्य अभी तुला राशि में  जहाँ है, उन्हें भारतीय ज्योतिष में नीच का या फिर कमजोर सूर्य माना जाता है।  मंगल से सूर्य मैत्री भाव रखता है इसलिए वर्शचिक राशि में सूर्य को अच्छा माना जाता है इस लिहाज से वृश्चिक लग्न से दिन की शुरुवात अच्छी मानी जायेगी, लेकिन मेरे अनुसार मंगल सघर्ष,रक्त और भूमि का भी प्रतीक है सूर्य के मंगल की राशि में होने से इन तीनो जगह असर भी ज़्यादा  होगा ,ये एक महीना घटनावो का रहने की उम्मीद है, जिसमे राजनीतिक उठा पठक से लेकर सामाजिक, आर्थिक ,आन्दोलनो का डर  रहेगा। 

सूर्य यहाँ 15 दिसंबर तक रहेगा इन घटनावो के घटने की एक वजह में और मानता हूँ और वो ये है की वृश्चिक राशि में राहू पहले से विराजित है और में राहू तथा सूर्य की युति को ठीक नही मानता हूँ, ऊपर से दिन के लग्न की शुरुवात !सूर्य को शासक का मुखिया भी माना जाता है इस वजह से मेरा मानना है की ये एक महीना भारत सरकार और प्रदेश सरकारों के लिए संघर्ष एवं चुनौती  के रहेगे, इसमें सरकार के अस्थिर होने की भी कई बार सम्भावनाये  बनेगीं !ये युति सरकार एवं विपक्ष दोनों को ही कटघरे में खड़ा करेगी हाँ यहाँ एक बात जरुर काम करेगी और वो ये है की जिस भी मुखिया की कुंडली में गुरु और राहू अच्छी स्थिति में होगे वो स्थिति को संभाल लेगे क्योकि लग्न पे गुरु की शुभ द्रष्टि पड़ रही है ! 

शुक्र शनी और बुध की युति बारहवे भाव में होगी, में शुक्र और बुध की युति को भी ठीक नही मानता हूँ।  मेरे विचार से ये सामाजिक  कुव्यवस्था  एवं व्यशन को बहुत बडाता है बलात्कार  जेसी घटनाए भी  बढ़ेगी। चुकी ये युति बारहवे घर में है जिसे अच्छा नही माना जाता है, इसलिए हो सकता है की कोई सम्मानित व्यक्ति इसमें न फस जाए ! 

शनी उच्च का है एव शुक्र के साथ हैये युति में ठीक मानता हूँ इस वजह से औद्योगिक विकास में सुधार होगा तथा गती पकड़ेगा ! 

मंगल धनु राशी में है और धन भव में है इसलिए जमीन जायजाद के कार्यो में गती आ जायेगी ! केतू दिन की कुंडली के लग्न के अनुसार सप्तम भाव में है जो लग्न को सीधे देख रहा है जिससे धार्मिक माहोल बढेगा एवं किसी प्रकार की दुर्घटना, वाहन या भगदड़ से हो सकती है ! जो लोग काल सर्प योग मानते मानते है उनके हिसाब से पूरे महीने काल सर्प योग रहेगा, कभी आंशिक और कभी पूर्ण ! 

गुरु और सूर्य के द्रष्टी संबंध होने की वजह से ब्याज दरो में कमी आने की पूर्ण सम्भावना हैं, शनी की तीसरी द्रष्टि मंगल में होने की वजह से किसी भी प्रकार के इर्धन  - पेट्रोल, डीजल, रसोई गेस आदि में राहत की पूर्ण संभावना है। 


Lucky Baba
Om Sai....      

Thursday, November 8, 2012

                                               सपने 

                       न जाने क्यों मेरे सपने अक्सर  टूट जाते है
                       क्यों मेरे अपने अक्सर मुझ से रूठ जाते है
                                                                 
                                                                       मेरे दिल से पूछो कितना मुश्किल होता है रूठो को मनाना
                                                                       मुझ से पूछो की न मुमकिन होता है सपनों को सजाना
                     
                       क्या बताये की तुम्हे भाग्य ही मेरा कुछ ऐसा है
                       मेरे सपनों ने जो भी सजाया भाग्य ने उसे गवाया है
                                                                     
                                                                       मुझे हरदम मिलने की ख़ुशी से पहले खोने का डर रहता है
                                                                       कहा तो वो मिलते ही नही और मुझे बिछड़ने का डर रहता है
                     
                       इस सब पर हद ये है की अपने ही सपने रोज सजाता हू में
                       उधर वो बेखबर है मुझ से फिर भी सपने रोज सजाता ह में
                                                                     
                                                                       इस साजिश और मतलब की दुनिया में दिल पे दिमाग भरी है
                                                                       उस बेदरद की दुनिया में मेरे दिल पे उसका दिमाग भारी है
                                                                                                                                               
                                                                                                                                                   बाबा लकी