प्रधानमंत्री की खोज
देश में बड़े नेता बनने का या किसी भी पार्टी या दल का स्वयम्भू बनने का नुस्खा खोज लिया है आज देश में बड़ी भारी प्रतियोगिता चल रही है वो भी किसी भी पार्टी या दल का स्वयम्भू घोषित कराने के लिए पता नहीं ये प्रतियोगिता क्यों और केसे शुरू हो गई इसकी देश को अभी ज़रूरत है भी या फिर स्वयम्भू सज्जनों (नेताओ ) को कोई डर सताने लगा है में कुछ समझ नहीं पा रहा हू लेकिन रोज़ इस प्रयास में या यूं कहे इसके लिए बुज़ुर्ग नेताओ की अथाह कसरत क्या गुल खिलाना चाहती है कुछ समझ में नहीं आ रहा है वेसे भी देश के इन नेताओ का नुस्खा साधारण जनता शुरू में कहा समझ पाई है इस देश में इसी कला को तो आम आदमियों के बीच का समझदार मनुष्य ये यह कहकर ये ही तो राजनीति है भइया तुम और हम समझ गए होते तो हम वहा ना होते ज़हा आज ये है अपने आप को समझदार घोषित करवा लेता है जेसा चल रहा है चलने दो ! इस पचड़े में बाद में पड़ेगे अभी तो इस बात पर चर्चा करेगे की स्वयम्भू बनाने की अचानक ज़रूरत क्यों आन पड़ी और इतने आसान रास्ते से ! रास्ता ये है बढ़िया खाना, नाश्ता खाया उसके बाद पान हुआ तो पान या गुटखा नहीं तो एक सिगरेट लगाईं जोर का कस खीचा सिगरेट का कस खीचते समय अपने पट्टो को ये हिदायत दे रखी होती है कोई फोटो वेगारह ना खीचे ! और प्रचार के किसी भी माध्यम का भरपूर उपयोग करते हुए देश को ये बता दिया की अगला प्रधानमंत्री देश का कोन होगा देश को प्रधानमंत्री दे दिया अपने दल के उभरते हुए चेहरे को बता दिया की बच्चू अभी तुम्हारी भलाई इसी में है की मेरी सेवा ढंग से करते रहो जो देश का प्रधानमंत्री बनाने की क्षमता रखता हो वो अपने दल का स्वयंभू पद कैसे छोड़ सकता है हाँ कभी कभी स्वास्थ्य या शरीर की थकावट की वज़ह से निर्लिप्त भाव पैदा हो जाता है जिसकी वज़ह से में उत्तराधिकारी वगैरह का शगूफा छेड़ देता हूँ लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है की में तुमको स्वयम्भू बनाके खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारू ! आप मानो या ना मानो दिल के किसी ना किसी कोने में ये बात एक दो दिन में ज़रूर आती होगी की अचानक देश के स्वयम्भू नेताओ को नए प्रधानमंत्री ढूढने की इतनी हड़बड़ी क्यों हो गई है अडवाणी जी से लेकर बालठाकरे तक ! इसके बीच में में भी कई उम्र दराज नेता है जो बड़ी शिद्दत से प्रधानमंत्री की खोज कर रहे है जेसे शरद यादव मुलायम सिंह यादव करूणानिधि आदि !खुद तो हे ही चिन्तित देश को भी चिंता में डाल दिया अरे भइया इसमें फायदा तो इनका ही है आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत सच साबित कर दी वो ऐसे की चुनाव तो 2014में कही है फिर भी अपने को लोग फ्री ना समझे अपन भी बहुत इम्पोर्टेन्ट है कई लोगो के लिए तो अभी अपने में क्या कमी है उम्र थोड़ी हो भी गई तो क्या हुआ अनुभव भी तो कोई चीज होती है अपन मनमोहन सिंह जी से 5/10 साल ही तो छोटे बड़े है क्या पता किस्मत काम कर जाए अरे हाँ मनमोहन सिंह जी को भी तो किस्मत का ही सहारा मिला था वरना राजनीती में तो वो अपने से बहुत जूनियर है बस उनके और अपने भाग्य में ही तो फर्क है उनके पास भाग्य से सोनिया गाँधी जेसी नेता थी जो त्याग की मूर्ति साबित हुई जो मनमोहन सिंह को सिवा इतना जानने कि एक अच्छे अर्थशास्त्री है कभी कभी कोई चुनाव लोकसभा या राज्यसभा का लड्लेते है हारना जीतना भगवान् के भरोसे छोड़ के दो एक बार जीते भी है उसका पारितोषक भी उनको मिला था केबिनेटमंत्री बनाके ! पता नहीं कोई देश या समाज के लिए इतना बड़ा सेक्रिफाइज़ केसे कर लेता है अपने से तो छोटा मोटा पद ही नहीं छोड़ा जाता है सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री का पद टुकरा दिया आपन तो हक्का बक्का ही रह गए थे और ऐक ऐसे इंसान को प्रधानमंत्री बना दिया जिसको वो बहुत जादा जानती भी नही थी अपने से नहीं बनता ऐसा सेक्रिफाइज़ आपन तो कुर्सी से किया वादा निभायेगे की तू भले छोड़ दे हमे हम मरते दम तक पूरेजोड़ तोड़ बदनामी शह कर अस्वस्थ होने होने के बाद भी तेरे से किया वादा निभायेगे अब चुकी अपने से सेक्रिफाइज बलिदान आदि नहीं बनता है और इस देश में इसकी बड़ी डिमांड है तो सोनिया गाँधी के बलिदान को राजनीतिक हथकंडा कानूनी अड़चन आदि बनाके बताने का प्रयास कर रहे है दिक्कत तो ये है की जनता इनकी सुनने को ही तैयार नही इसी चक्कर में उम्रदराज़ हुए जारहे है अब बताव इस में इनका क्या दोष है इन्हें तो कुर्सी से किया अपना वादा निभाना पडेगा ना ! इसके लिए भले कितने वादे तोड़ने पड़े वो सब आपन ये कह कर की ये ही राजनीति है कह के दात निपोड़ देगे !ये नेता मनमोहन सिंह जी के प्रधानमंत्री बनने में योग्यता से ज्यादा भाग्य को मानते है उनका मानना है की भाग्य से ही त्याग की देवी सोनिया गाँधी जेसी नेता उन्हें मिली और इन्हें अपने बनाये ही नेताओ (पट्ठो ) से चुनौती मिल रही है वरना क्या ज़रूरत है अभी से प्रधानमंत्री ढूँढने के बहाने अपनी उपियोगिता बनाए रखने की या फिर स्वयभू नेता बनने की इसे कहते है अपना अपना भाग्य !
बाबा लकी
