जिद्दी बेटे की बाप को हराने की जिद्द
बड़ा अजीब सा लग रहा हैं लिखते हुए लेकिन कब तक मन को मारू कब तक इस सच्चाई से भागू तीन दिन हो गए
मन को समझाते हुए की मत लिखो मत लिखो लेकिन मन नहीं मानता बार बार अन्दर से आवाज़ आती हैं इस ऐतिहासिक
घटना को अगर नहीं लिखोगे तो अपने आप से न्याय कैसे करोगे ! राजनीती में या फिर सत्ता को हथियाने के लिए
लोगो का मानना हैकी जहां अवसर मिलने
पे अपने बाप को भी पटकने में कोई लिहाज़ न करना,राजनीति में अवसर खोने वाले को राजनीति नहीं करनी चाहिए
सत्ता के खेल में सब कुझ जायज़ है भैया,राजनीति का पहला सिद्धांत हैं खुद आगे बढ़ो चाहे,उसके लिए अपने कितने ही
करीबी का भविष्य दावं पे लगाना पड़े उसका भविष्य बर्बाद ही क्यू ना करना पड़े करो,जैसें जुमले कहनेवालो को मैं निराश नहीं कर सकता ऐसे लोगो की राजनीतिक माहोल में बड़ी पकड़ होतीं है आपन अच्छा लिखते
हैं इनके रहमो करम पे निर्भर करता है ये पान का एक बीड़ा मुह में रख कर या गुटका दबाकर या फिर सिगरेट का लंबा कस खीचके किसी भी राजनीतिक चोपाल में ये कहने लगे की यार कुझ भी कहो राजनीति
पे ये लिखता सही हैं,अम्मा यार इसको राजनितिक समझ हैं, या फिर थोडा वरिष्ठ नुमा होगें तो कहेगें लड़के में दम हैं बेधडक होके लिख रहा हैं मजा आता हैं इसको पढने में,अपनी तो दुकान ही इनके रहमो
करम पे निर्भर करती हैं आपन नहीं चाह्ते ये कल ये कहे की की ख़ास अवसर पे ये चुप हो जाता हैं बिक
जाता है सेट हो जाता है या भैया इसके भी पेट हैं आदि आदि !इसलिए मन पे पत्थर रख के लिख रहा हूँ
अडवानी जी बुरा मत मानना अपनी रोजी रोटी का सवाल हैं,आपने ही राजनीति में इस नरेन्द मोदी रुपी बच्चे को आगे
बढाने का नीरणय लिया था भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह अटल बिहारी बाचपेई जी की इच्छा
के विरुद्ध, वो नहीं चाहते थे ये अतिमहात्वा कंझी व्यक्ती धर्म निरपेझ राजनीती में आगे बढे भारत एक धर्म
निरपेझ राष्ट्र हैं इसके मूलं मंत्रो में एक मूल मन्त्र धर्म निरपेझत़ा हैं! ऐसा व्यक्ती जो अपने अहम् को
राष्ट्र से ऊपर माने, और सबसे ख़ास बात अटल जी ने जो कही थी वो ये थी की नरेन्द मोदी ने राष्ट्र
बड़ा अजीब सा लग रहा हैं लिखते हुए लेकिन कब तक मन को मारू कब तक इस सच्चाई से भागू तीन दिन हो गए
मन को समझाते हुए की मत लिखो मत लिखो लेकिन मन नहीं मानता बार बार अन्दर से आवाज़ आती हैं इस ऐतिहासिक
घटना को अगर नहीं लिखोगे तो अपने आप से न्याय कैसे करोगे ! राजनीती में या फिर सत्ता को हथियाने के लिए
लोगो का मानना हैकी जहां अवसर मिलने
पे अपने बाप को भी पटकने में कोई लिहाज़ न करना,राजनीति में अवसर खोने वाले को राजनीति नहीं करनी चाहिए
सत्ता के खेल में सब कुझ जायज़ है भैया,राजनीति का पहला सिद्धांत हैं खुद आगे बढ़ो चाहे,उसके लिए अपने कितने ही
करीबी का भविष्य दावं पे लगाना पड़े उसका भविष्य बर्बाद ही क्यू ना करना पड़े करो,जैसें जुमले कहनेवालो को मैं निराश नहीं कर सकता ऐसे लोगो की राजनीतिक माहोल में बड़ी पकड़ होतीं है आपन अच्छा लिखते
हैं इनके रहमो करम पे निर्भर करता है ये पान का एक बीड़ा मुह में रख कर या गुटका दबाकर या फिर सिगरेट का लंबा कस खीचके किसी भी राजनीतिक चोपाल में ये कहने लगे की यार कुझ भी कहो राजनीति
पे ये लिखता सही हैं,अम्मा यार इसको राजनितिक समझ हैं, या फिर थोडा वरिष्ठ नुमा होगें तो कहेगें लड़के में दम हैं बेधडक होके लिख रहा हैं मजा आता हैं इसको पढने में,अपनी तो दुकान ही इनके रहमो
करम पे निर्भर करती हैं आपन नहीं चाह्ते ये कल ये कहे की की ख़ास अवसर पे ये चुप हो जाता हैं बिक
जाता है सेट हो जाता है या भैया इसके भी पेट हैं आदि आदि !इसलिए मन पे पत्थर रख के लिख रहा हूँ
अडवानी जी बुरा मत मानना अपनी रोजी रोटी का सवाल हैं,आपने ही राजनीति में इस नरेन्द मोदी रुपी बच्चे को आगे
बढाने का नीरणय लिया था भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह अटल बिहारी बाचपेई जी की इच्छा
के विरुद्ध, वो नहीं चाहते थे ये अतिमहात्वा कंझी व्यक्ती धर्म निरपेझ राजनीती में आगे बढे भारत एक धर्म
निरपेझ राष्ट्र हैं इसके मूलं मंत्रो में एक मूल मन्त्र धर्म निरपेझत़ा हैं! ऐसा व्यक्ती जो अपने अहम् को
राष्ट्र से ऊपर माने, और सबसे ख़ास बात अटल जी ने जो कही थी वो ये थी की नरेन्द मोदी ने राष्ट्र
धर्म नहीं निभायाअर्थात नरेन्द्र मोदी को राष्ट्र धर्म का ज्ञान ही नहीं है अडवानी जी आपने भीष्म पितामह
की इस समझ को अगर आप समझ गए होते तो आज ये दिन ना आप देख रहे होते ना ही ये प्रजातांत्रिक देश !
जहां आज आप बीमार होकर एक कमरे में सिमटे हुए है वही पूरा देश इन चंद साम्प्रदाइक लोगो के हुडदंग
को देखकर दुखी नहीं हो रहा होता !इसमें मै आपको भी बहुत दोष नहीं देता आप जिस संस्था के सदश्य हैं
वो ही मूल रूप से सांप्रदायिक हैं ये संस्था आज आजादी के झेझठ वर्ष पूरे होने के पश्चात् भी गाहे बगाहे आजादी
के पश्चात देश के एक दुकड़े के अलग होने में हुए दगों को तोड़ मरोड़ के धार्मिक उन्मादं फैलाती रहती है ये उस
टीस को भारतीय जनमानस के दिमाग से हटने नहीं देना चाहती है इस संस्था का मूल जितना मैंने समझा है
सप्रदायिकता को आधार बनाके या फिर यूँ कहे साम्प्रदायिक घ्रणा फेलाके सत्ता को हथियाने में लगी रहती
हैं ! वो सत्ता में किसी भी रूप में काबिज़ होना चाहती हैं इस के लिए देश के मूल मंत्रो को भी दावं में लगाने
में नहीं झिझकती !बड़ी बड़ी सिधान्तिक बाते करना आचार विचार पे उपदेश देना सिधान्तो पे बहस करना
सादगी का आवरण दिखाना देश के लिए शाब्दिक जाल बुनना और उसमे लोगो को फ़साना और जब लोग फस जाए तो उनमे साम्पदायिक घ्रणा भरना और उसका प्रचार करना ये ही इनका मूल हथियार हैं यहाँ से ये लोगो
को तैयार करके अपनी राजनितिक साखा भारतीय जनता पार्टी में भेजती है अडवानी जी आप भी राजनीति में
वाही से आये है आपको तो इनके काम करने के तरीके का पूर्ण अनुभव होगा फिर आप से ये चूक बार बार कैसे हो
रही हैं ये जब आपको लगातार अटल जी के के समकक्झ बढ़ा रहे थे आपको राम मंदिर से लेकर
राम रथ तक का हीरो इन्होने ऐसे ही तो बनाया था और अटल जी के समकझ या फिर यूँ कहे
हिन्दू वादी चेहरे में उनसे भी आगे कर दिया था आप हिन्दू राष्ट्रनायक हो गए थे ! परीश्तितियो
को अगर आप ध्यान से देखे तो इनोहने नरेंदर भाई मोदी जी को भी आपके ऊपर बिठाने का
वही रास्ता अपनाया पहले उग्र हिन्दू नायक बनाया और जब वो नायक बनगया तो आपके समकझ
खडा किया फिर गाहे बगाहे उनकी आपसे देश भर में तुलना करना सुरु कर दी और धीरे धीरे उनको
आपसे आगे बढाने लगगये यही तो आपने अटल जी के लिए किया था बस आपमें और अटल जी में एक मूल
फर्क था जिसकी वजह से आप अटल जी की जगह नहीं ले पाए और अटल जी को किनारे नहीं कर पाए
और वो फर्क ये था की वो राजनीति में कभी भी राष्ट्र धर्म को नहीं भूलते थे वो सारे धर्मो के ऊपर राष्ट्र धर्म को निभाते थे
वक्ता वो थे ही अच्छे बस इन दो चीजो का ज्ञान आपको लेने में काफी समय लग गया इसबीच आपने एक
भूल ये कर दी की अपने ही सुभाव के व्यक्ती को आगे बढाने लग गए और इतना बढ़ा दिया की उस पर आश्रित
हो गए और चुनाव लड़ने अपनी मूल सीट झोड़ के गाँधी नगर पहुच गए यानी की बेटे पे बाप आश्रित होने लग गया
इधर आपकी मूल सस्था को आपकी उम्र खलने लगी थी एक भूल आपने मेरे हिसाब से बहुत बड़ी की और वो भूल थी
पाकिस्तान जाने की चलो चले गए एक बार चल भी जाता लेकिन वहां जाकर आप जो जिन्ना साहेब की मज़ार चले गए एक उग्र हिन्दू राष्ट्र नायक का ये कृत्य सांप्रदायिक सक्तियो को झकझोर के रख दिया
आप बड़े सभलं के प्रधानमन्त्री पद की कुर्सी की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे थे धर्मं निरपेझ हो के
वही आपकी मूल संस्था आपके इस कृत्य को कुक्रत्य मान रही थी इस बीच आप के राजनीतिक बेटे ने अपनी
झवी हिन्दू राष्ट्र नायक के रूप में बना ली थी बल्कि आप से भी उग्र हिन्दू नेता के रूप में जमाने में लग गया था
उसे पता था की उसका मुकाबला अडवानी जी हैं जो उसके सनरझक भी रहे हैं उसने अपने को पहचान लिया था
उसे समझ आ चुका था की अगर अडवानी को सिक्श्त दे दी जाय तो सारे नेता वेसे ही दरबारी हो जायेगे मूल सगठन
उसका साथ दे ही रहा था समय का वो इंतज़ार वो कर रहा था आखिर जिद्दी बेटे का समय आया जिद्दी ने जिद्द की अभी
नहीं तो कभी नहीं और पार्टी ने उसकी जिद्द पूरी कर दी गोवा अधिवेशन नरेन्द्र मोदी की जिद के रूप में मै याद रखूगां
अडवानी जी यानी पिता की ? ,,,? के लिए जिद्दी पुत्र अभी तो लग रहा हैं अपनी जिद्द पूरी करा ले गया लेकिन बाप भी इतनी जल्दी हार मानेगा मुझे शक हैं अब अनुभव और जोश की लड़ाई सुरु होगी !देखे समय ने क्या लिख रखा है अपनी तो दोनों को शुभ कामना