इस तरह इंसान क्यू कर परेशान होगा
देख कर समाज के ये हालात अपने से ही क्यों कोई सवाल करेगा
कल तक जो आइना दिखाते थे किसी और को
उसी आईने में अपने को निहार कर अपनी ही सकल से इस कदर परेशान होगा
खुद को बचाकर किसी और पे उगली उठाने की आदत से खुद को निकालना बड़ा मुश्किल होगा
अब सवाल के घेरे में वो खुद है शवालो सेखुद परेशान केसे होगा
आईने में शक्ल भी तेरी है शवाल भी तेरे अपने है हालत से हारने की आदत भी तो तेरी अपनी हैं
बाते तू हिमालय की ही करता है शेर को पछाड़ने का दम भी तू खुद दिकाता है
आंधियो से लड़ने की बाते भी तेरी अपनी है तूफ़ान को ललकारने के होसले भी तू ही बताता है
ख़ामोश क्यों हो जाता है या फिर जोर जोर से चिलाने क्यों लगता है ज़रा हालात बिगड़ते ही
तेरे खुद कहे अंदाज ये कहने के लिए मजबूर क्यों हो जाते है लिखने को लिख कुछ भी दे
सच्चाई से लड़ने के वक्त
देख कर समाज के ये हालात अपने से ही क्यों कोई सवाल करेगा
कल तक जो आइना दिखाते थे किसी और को
उसी आईने में अपने को निहार कर अपनी ही सकल से इस कदर परेशान होगा
खुद को बचाकर किसी और पे उगली उठाने की आदत से खुद को निकालना बड़ा मुश्किल होगा
अब सवाल के घेरे में वो खुद है शवालो सेखुद परेशान केसे होगा
आईने में शक्ल भी तेरी है शवाल भी तेरे अपने है हालत से हारने की आदत भी तो तेरी अपनी हैं
बाते तू हिमालय की ही करता है शेर को पछाड़ने का दम भी तू खुद दिकाता है
आंधियो से लड़ने की बाते भी तेरी अपनी है तूफ़ान को ललकारने के होसले भी तू ही बताता है
ख़ामोश क्यों हो जाता है या फिर जोर जोर से चिलाने क्यों लगता है ज़रा हालात बिगड़ते ही
तेरे खुद कहे अंदाज ये कहने के लिए मजबूर क्यों हो जाते है लिखने को लिख कुछ भी दे
सच्चाई से लड़ने के वक्त